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− | *संस्कृत के अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य दण्डी के शब्दों में 'काव्य' शोभाकरान धर्मान अलंकारान प्रचक्षते' - काव्य के शोभाकारक धर्म (गुण) अलंकार कहलाते हैं। | + | *[[संस्कृत]] के अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य दण्डी के शब्दों में 'काव्य' शोभाकरान धर्मान अलंकारान प्रचक्षते' - काव्य के शोभाकारक धर्म (गुण) अलंकार कहलाते हैं। |
− | *हिन्दी के कवि [[केशवदास]] एक अलंकारवादी हैं। | + | *[[हिन्दी]] के कवि [[केशवदास]] एक अलंकारवादी हैं। |
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+ | *[[उल्लेख अलंकार]] | ||
+ | *[[विरोधाभास अलंकार]] | ||
+ | *[[दृष्टान्त अलंकार]] | ||
+ | *[[विभावना अलंकार]] | ||
+ | *[[भ्रान्तिमान अलंकार]] | ||
+ | *[[सन्देह अलंकार]] | ||
+ | *[[व्यतिरेक अलंकार]] | ||
+ | *[[असंगति अलंकार]] | ||
+ | *[[प्रतीप अलंकार]] | ||
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०९:५५, २४ फ़रवरी २०१७ के समय का अवतरण
काव्य में भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित तथा सुन्दर बनाने वाले चमत्कारपूर्ण मनोरंजन ढंग को अलंकार कहते हैं। अलंकार का शाब्दिक अर्थ है, 'आभूषण'। जिस प्रकार सुवर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की।
- संस्कृत के अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य दण्डी के शब्दों में 'काव्य' शोभाकरान धर्मान अलंकारान प्रचक्षते' - काव्य के शोभाकारक धर्म (गुण) अलंकार कहलाते हैं।
- हिन्दी के कवि केशवदास एक अलंकारवादी हैं।
भेद
अलंकार को दो भागों में विभाजित किया गया है:-
- शब्दालंकार- शब्द पर आश्रित अलंकार
- अर्थालंकार- अर्थ पर आश्रित अलंकार
- आधुनिक/पाश्चात्य अलंकार- आधुनिक काल में पाश्चात्य साहित्य से आये अलंकार
1.शब्दालंकार
मुख्य लेख : शब्दालंकार
- जहाँ शब्दों के प्रयोग से सौंदर्य में वृद्धि होती है और काव्य में चमत्कार आ जाता है, वहाँ शब्दालंकार माना जाता है।
- प्रकार
2.अर्थालंकार
मुख्य लेख : अर्थालंकार
- जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार स्पष्ट हो, वहाँ अर्थालंकार माना जाता है।
- प्रकार
- उपमा अलंकार
- रूपक अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- उपमेयोपमा अलंकार
- अतिशयोक्ति अलंकार
- उल्लेख अलंकार
- विरोधाभास अलंकार
- दृष्टान्त अलंकार
- विभावना अलंकार
- भ्रान्तिमान अलंकार
- सन्देह अलंकार
- व्यतिरेक अलंकार
- असंगति अलंकार
- प्रतीप अलंकार
- अर्थान्तरन्यास अलंकार
- मानवीकरण अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
- अन्योक्ति अलंकार
आधुनिक/पाश्चात्य अलंकार
अलंकार | लक्षण\पहचान चिह्न | उदाहरण\ टिप्पणी |
---|---|---|
मानवीकरण | अमानव (प्रकृति, पशु-पक्षी व निर्जीव पदार्थ) में मानवीय गुणों का आरोपण | जगीं वनस्पतियाँ अलसाई, मुख धोती शीतल जल से। (जयशंकर प्रसाद) |
ध्वन्यर्थ व्यंजना | ऐसे शब्दों का प्रयोग जिनसे वर्णित वस्तु प्रसंग का ध्वनि-चित्र अंकित हो जाय। | चरमर-चरमर- चूँ- चरर- मरर। जा रही चली भैंसागाड़ी। (भगवतीचरण वर्मा) |
विशेषण - विपर्यय | विशेषण का विपर्यय कर देना (स्थान बदल देना) | इस करुणाकलित हृदय में अब विकल रागिनी बजती। (जयशंकर प्रसाद) यहाँ 'विकल' विशेषण रागिनी के साथ लगाया गया है जबकि कवि का हृदय विकल हो सकता है रागिनी नहीं। |
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