संतरा  

संतरे

संतरा एक स्वास्थ्यवर्धक फल है। संतरा को नारंगी भी कहा जाता हैं और अंग्रेज़ी में ऑरेंज कहते हैं। संतरा विटामिनों से भरपूर है। संतरा ठंडा, शक्तिवर्द्धक, अम्ल, मीठा, स्वादिष्ट, खट्टा-मीठा, क्षुधावर्द्धक (भूख का बढ़ना) है। गर्मी में इसकी ख़पत सबसे ज़्यादा होती है। गर्मी से रक्षा के लिए संतरा एक लोकप्रिय फल है। संतरे के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है, चुस्ती-फुर्ती बढ़ती है, त्वचा में निखार आता है तथा सौंदर्य में वृद्धि होती है। यह पाचन में अत्यंत लाभकारी होता हैं। संतरा ख़ून को साफ़ करता है। संतरे के रस या इससे बनाया गया मार्मेलेड ज़्यादा पौष्टिक है। संतरा तन और मन को प्रसन्नता देने वाला फल है। व्रत और सभी रोगों में संतरा खाया जाता है।

भारत में संतरा

भारत में नागपुर व झालावाड़ में बड़े पैमाने पर संतरे की खेती होती है।

पौष्टिक तत्व

संतरे में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है। इसमें विटामिन 'सी', 'ए', 'बी' के अलावा फॉस्फोरस, कैल्सियम, प्रोटीन और ग्लूकोज़ भी पाया जाता है। लोहा और पोटेशियम भी काफ़ी होता है। संतरे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें विद्यमान फ़्रुक्टोज़, डेक्स्ट्रोज़, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुंचते ही ऊर्जा देना प्रारंभ कर देते हैं।

गुण

  • संतरे का एक गिलास रस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान एवं तनाव दूर करता है, हृदय तथा मस्तिष्क को नई शक्ति व ताज़गी से भर देता है।
  • संतरे में विटामिन `सी´ व `डी´ का अदभुत मिश्रण होता है। यह पेड़ पर ही धूप एवं हवा के संयोग से पक जाता है। संतरा रोग निरोधक शक्ति को बढ़ाता है। इसमें ग्लूकोज़ व डेक्सटोल 2 ऐसे तत्त्व होते हैं, जो जीवनदायिनी शक्ति से परिपूर्ण होते हैं। इसलिए संतरा न केवल रोगी के शरीर में ताज़गी लाता है बल्कि अनेक रोगों के लिए लाभदायक भी होता है।
  • संतरे के रस में घुलनशील ग्लूकोज़, फ्रुक्टोज, सूक्रोज कार्बनिक एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं। इसमें विटामिन `सी´, विटामिन `बी´ कॉम्लेक्स, विटामिन `ए´, खनिज तत्त्व, कुछ मात्रा में पौष्टिक पदार्थ एवं अन्य पोषक तत्त्व होने के कारण इसकी गणना पौष्टिक भोजन के रूप में की जाती है। बुख़ार के रोगी को संतरे का रस देने से शांति और ताकत मिलती है। मुँह सूखने व प्यास लगने की शिकायत दूर होती है। शरीर में खुश्की नहीं बढ़ पाती है। इसके रस को दिन में बार-बार भी पी सकते हैं।
सन्तरे (वर्गीय आकार)
  • ख़ून साफ़ करने के लिए व्रत में इसके रसाहार पर अनेक प्रयोग किए गए हैं। इसे शरीर शोधक व लगातार भोजन में जगह देने योग्य बताया गया है।
  • संतरे में 23 स्वास्थ्यवर्द्धक गुण पाये जाते हैं। यूरोपवासी इसे बहुत उपयोगी मानकर इसे गोल्डन एप्पल के नाम से संबोधित करते हैं।
  • गर्भवती औरतों को चाहिए कि वे गर्भावस्था के समय रोजाना 1 गिलास संतरे का रस पियें इससे संतान गोरे रंग की उत्पन्न होती है। इसके साथ ही यह गर्भवती की उल्टी को रोकने में सहायता करता है।
  • रोगी के लिए संतरे का रस पानी, दवा और आहार का काम करता है। यह पेट की बढ़ती गर्मी को रोकता है और मुंह के स्वाद को सुधारता है।
  • संतेरे में मौजूद विटामिन सी जहाँ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, वहीं कैल्सियम और खनिज लवण दांतोंहड्डियों को मज़बूत बनाते हैं। यह अनेक रोगों के लिए लाभदायक है, संतरा केवल स्वास्थ्यवर्धक ही नहीं, ख़ूबसूरती को संवारने वाला फल भी है |
  • संतरे के सेवन से दाँतों और मसूड़ों के रोग भी दूर होते हैं।
  • संतरा ठंडा, तन और मन को चुस्ती-फुर्ती प्रदान करता है। जिनकी पाचन शक्ति ख़राब है उनको नारंगी का रस तीन गुने पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से भूख खुलकर लगती है, खाना जल्दी हज़म होता है। कब्ज़ होने पर इसका रस पीने से कब्ज़ की समस्या से निज़ात मिलती है। पेट में दर्द होने से संतेरे के रस में थोड़ी सी भुनी हुई हींग मिलाकर देने से लाभ मिलता है, उलटी होने या जी मिचलाने पर संतेरे के रस में शहद मिलाकर सेवन करें। पेचिस की शिकायत होने पर संतेरे के रस में बकरी का दूध मिलाकर लेने से फ़ायदा होता है । संतेरे का नियमित सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है ।
  • पेट में गैस, अपच, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप, गठिया, बेरी-बेरी रोग में भी संतरे का सेवन बहुत कुछ लाभकारी होता है।
  • संतरे का सेवन जहाँ जुकाम में राहत पहुँचाता है, वहीं सूखी खाँसी में भी फ़ायदा करता है। यह कफ को पतला करके बाहर निकालता है।
  • बच्चों के लिए तो संतेरे अमृततुल्य है गर्भवती महिलाओं को इसका रस देने से बच्चा तंदुरुस्त होता है। बच्चों को स्वास्थय व हष्ट-पुष्ट बनाने के लिए दूध में चौथाई भाग मीठे संतेरे का रस मिलाकर पिलाने से यह टॉनिक का कम करता है। बच्चों को बुखार या खांसी होने पर एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच संतेरे के छिलकों का पाउडर और नमक या चीनी मिलाकर देने से बुखार में राहत मिलती है। यह किडनी, दिल और त्वचा के लिए भी फ़ायदेमंद है। दिल के मरीज़ को संतेरे का रस में शहद मिलाकर देने से आश्चर्यनक लाभ मिलता है । इसका एक गिलास रस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान व तनाव दूर कर मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से भर देता है।
संतरे
  • जब बच्चों के दाँत निकलते हैं, तब उन्हें उल्टी होती है और हरे-पीले दस्त लगते हैं। उस समय संतरे का रस देने से उनकी बेचैनी दूर होती है तथा पाचन शक्ति भी बढ़ जाती है।
  • तेज़ बुखार में संतरे के रस का सेवन करने से तापमान कम हो जाता है। इसमें उपस्थित साइट्रिक अम्ल मूत्र रोगों और गुर्दा रोगों को दूर करता है।
  • संतरे का नियमित सेवन करने से बवासीर की बीमारी में लाभ मिलता है। रक्तस्राव को रोकने की इसमें अद्भुत क्षमता है।
  • संतेरे के सूखे छिलकों का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर पीसकर लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ़ और कांतिवान हो जाता है। कील-मुंहासे से छुटकारा मिलता है और झाईयाँ व संवालापन दूर होता है ।
  • संतेरे के छिलकों और रेशों में भी विटामिन और कैल्सियम होता है। इनका पतला आवरण और रेशे में जो पल्प है वह आँतों में चिपके मल की सफाई करता है इन्हें धूप में सुखाकर कूटकर उबटन बनाकर अपने त्वचा पर प्रयोग करने से त्वचा चिकनी और मुलायम हो जाती है।
  • संतरे के ताजे फूल को पीसकर उसका रस सिर में लगाने से बालों की चमक बढ़ती है। बाल जल्दी बढ़ते हैं और उसका कालापन बढ़ता है।
  • संतरे के छिलकों से तेल निकाला जाता है। शरीर पर इस तेल की मालिश करने से मच्छर आदि नहीं काटते।
  • बच्चे, बूढ़े, रोगी और दुर्बल लोगों को अपनी दुर्बलता दूर करने के लिए संतरे का सेवन अवश्य करना चाहिए।
  • संतरे के मौसम में इसका नियमित सेवन करते रहने से मोटापा कम होता है और बिना डायटिंग किए ही आप अपना वजन कम कर सकते हैं।[१]

संतरे में पाये जाने वाले तत्व

तत्व मात्रा
प्रोटीन 0.9 प्रतिशत
वसा 0.3 प्रतिशत
कार्बोहाइड्रेट 10.6 प्रतिशत
सल्फर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
तांबा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
लोहा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
पोटैशियम लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
मैग्नेशियम लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
सोडियम लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
क्लोरीन लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
विटामिन-`ए´ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
विटामिन-`बी´ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
विटामिन-`सी´ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
पानी 87.8 प्रतिशत
कैल्शियम 0.05 प्रतिशत
फॉस्फोरस 0.02 प्रतिशत

सुझाव

जिस व्यक्ति की पाचन-शक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) ख़राब हो उनको संतरे का रस 3 गुने पानी में मिलाकर देना चाहिए। संतरा सुबह ख़ाली पेट या खाना खाने के 5 घंटे बाद सेवन करने से सबसे ज़्यादा लाभ करता है। यदि पूरे मौसम में एक या दो संतेरे सुबह-सुबह ख़ाली पेट खाएँ तो कई रोगों से बचा सा सकता है। एक व्यक्ति को जितने विटामिन `सी´ की आवश्यकता होती है वह एक संतरा रोजाना खाने से पूरी हो जाती है।[२]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संतरा सेहत का मन्त्र (एच टी एम एल) एलो वेरा प्रॉडक्ट्स। अभिगमन तिथि: 22 अगस्त, 2010
  2. संतरा (हिन्दी) जनकल्याण। अभिगमन तिथि: 22 अगस्त, 2010

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=संतरा&oldid=515417" से लिया गया