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पिया मोहि दरसण दीजै हो -मीरां  

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पिया मोहि दरसण दीजै हो -मीरां
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ
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राग देस

पिया मोहि दरसण दीजै हो।
बेर बेर मैं टेरहूं[१], या किरपा कीजै हो॥
जेठ महीने जल बिना पंछी[२] दु:ख होई हो।
मोर असाढ़ा[३] कुरलहे[४] घन[५] चात्रा[६] सोई हो॥
सावण में झड़ लागियो, सखि तीजां[७] खेलै हो।
भादरवै[८] नदियां वहै दूरी जिन मेलै हो[९]
सीप स्वाति ही झलती आसोजां[१०] सोई हो।
देव[११] काती[१२] में पूजहे मेरे तुम होई हो॥
मंगसर[१३] ठंड बहोती[१४] पड़ै मोहि बेगि सम्हालो[१५] हो।
पोस महीं[१६] पाला घणा,अबही तुम न्हालो हो॥
महा महीं[१७] बसंत पंचमी फागां सब गावै हो।
फागुण फागां खेलहैं बणराय जरावै हो।
चैत चित्त में ऊपजी दरसण तुम दीजै हो।
बैसाख बणराइ फूलवै[१८] कोमल कुरलीजै[१९] हो॥
काग उड़ावत[२०] दिन गया बूझूं पंडित जोसी[२१] हो।
मीरा बिरहण व्याकुली दरसण क़द होसी[२२] हो॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुकारती हूं
  2. पक्षियों को
  3. आषाढ़ में
  4. करुण शब्द बोलते हैं
  5. बादल
  6. चातक
  7. सावन सुदी तीज का त्यौहार
  8. भादों में
  9. अलग न हो
  10. क्वार मास में भी
  11. भगवान विष्णु
  12. कार्तिक मासमें
  13. अगहन मास में
  14. बहुत अधिक
  15. सुध लो, देख लो, देख जाओ
  16. पूष मास में
  17. माघ मास में
  18. फूलती जाती है
  19. करुण बोल बोलती है
  20. कौआ उड़ा-उड़ाकर
  21. ज्योतिषी
  22. होगा

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