गीता 3:43  

गीता अध्याय-3 श्लोक-43 / Gita Chapter-3 Verse-43

एवं बुद्धे परं बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना ।
जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम् ।।43।।



इस प्रकार बुद्धि से परे अर्थात् सूक्ष्म, बलवान् और अत्यन्त श्रेष्ठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में कर। हे महाबाहो[१] ! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल ।।43।।

Thus, Arjuna, knowing that which is higher than the intellect and subduing the mind by reason, kill this enemy in the span of Desire that is hard to overcome. (43)


एवम् = इस प्रकार; परम् =परे अर्थात् सूक्ष्म तथा सब प्रकार बलवान् और श्रेष्ठ अपने आत्मा को; बुद्ध्वा = जानकर (और); आत्मना = बुद्धि के द्वारा; आत्मानम् =मनको; संस्तभ्य = वश में करके; महाबबो = हे महाबाहो (अपनी शक्ति से समझकर इस); दुरासदम् = दुर्जय; कामरूपम् = कामरूप; शत्रुम् = शत्रु को; जहि = मार



अध्याय तीन श्लोक संख्या
Verses- Chapter-3

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14, 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।

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