मुगलाँ ज़हर पियाले पीते -बुल्ले शाह  

मुगलाँ ज़हर पियाले पीते -बुल्ले शाह
कवि बुल्ले शाह
जन्म 1680 ई.
जन्म स्थान गिलानियाँ उच्च, वर्तमान पाकिस्तान
मृत्यु 1758 ई.
मुख्य रचनाएँ बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ, अब हम गुम हुए, किते चोर बने किते काज़ी हो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बुल्ले शाह की रचनाएँ

मुग़लाँ ज़हर पियले पीते,
भूरियाँ वाले राजे कीते,
सभ अशरफ़ फिरन चुप कीते,
भला उन्हाँ नूँ झड़िया ए,
रहो रहो वे इश्क़ा मा मारया ए,
कहो किस नूँ पार उतारया ए।।


हिन्दी अनुवाद

मुग़लों ने ज़हर के प्याले पिए हैं।
कम्बलधारी जाटों को राजा बनाया गया है।
सभी शरीफ़ लोग चुपचाप घूम रहे हैं
और आप उनकी उपेक्षा कर रहे हैं।
हे इश्क़! तूने दूर रहकर मुझे शोकग्रस्त कर दिया है
बता, तूने किस को पार लगाया है?


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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