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प्रयोग:दीपिका1  

दीपिका1
पूरा नाम सौरव चंडीदास गांगुली
जन्म 8 जुलाई, 1972
जन्म भूमि कोलकाता, प. बंगाल
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र क्रिकेट
पुरस्कार-उपाधि अर्जुन पुरस्कार’ (1998), 'मैन ऑफ द मैच' (1997), ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द ईयर’ (1998)
प्रसिद्धि भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख राहुल द्रविड, वीरेन्द्र सहवाग
अन्य जानकारी सौरव गांगुली को फरवरी 2000 में भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया।

सौरव गांगुली (अंग्रेज़ी: Sourav Ganguly; जन्म- 8 जुलाई, 1972, कोलकाता, प. बंगाल) भारत के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ियों में से एक हैं। इनकी गिनती भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम कप्तानों में होती है। वह बायें हाथ से खेलने वाले उत्तम बल्लेबाज है। सौरव गांगुली को 1998 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।

परिचय

सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई, 1972 को कोलकाता, प. बंगाल में हुआ था। इनका पूरा नाम सौरव चंडीदास गांगुली है। यह दाहिने हाथ से मीडियम पेस गेंदबाज भी है। गांगुली ने पहला एक दिवसीय मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ ब्रिसबर्न में 11 जनवरी, 1992 को खेला था तथा पहला टैस्ट लार्ड्स मैदान पर इंग्लैंड के विरुद्ध 1996 में खेला था

गांगुली की बल्लेबाजी में ताकत और जोश का अद्‌भुत संगम देखने को मिलता है। वह ऑफ साइड पर भी कमाल के शॉट्‌स खेलते हैं। उन्हें जब टैस्ट मैच में शामिल किया तो उनकी तीखी आलोचना हुई। कहा गया कि कोटा सिस्टम के कारण उसे टीम में रखा गया। लेकिन सौरव ने अपनी पहली दो टैस्ट पारियों में शतक बना कर सब को चुप करा दिया। यही नहीं, उन मैचों में उन्होंने अधिक विकेट लेकर ‘मैन ऑफ द सीरीज’ पुरस्कार भी जीत लिया।

सहारा कप

शुरू में सौरव गांगुली को, उनके ऑन साइड स्ट्रोक न खेल पाने के कारण, केवल टेस्ट मैच खेलने के योग्य समझा गया, लेकिन जल्दी ही उन्होंने अपनी कमजोरी पर विजय प्राप्त कर ली और 1997 में टोरंटो में हुए सहारा कप में पाकिस्तान के विरुद्ध शानदार खेलते हुए हर भारतीय के दिल में अपनी जगह बना ली। उसने 75 गेंदों पर 75 रन बनाने का कमाल दिखाया है और 16 रन देकर 5 विकेट लेने का भी। उसने टोरंटो में 4 बार ‘मैन ऑफ द मैच’ जीता। इसी कारण ‘मैन ऑफ द सीरीज’ भी वह चुने गए।

वे अनेक बार सचिन तेंदुलकर के साथ ‘ओपनिंग’ खिलाड़ी के रूप में खेले हैं। सौरव की मुख्य समस्या विकेट के बीच भागने की है। वह एक-एक रन की बजाय चौका लगाने में ज्यादा यकीन करते हैं।

मैन ऑफ द सीरीज का खिताब

सौरव को श्रीलंका के विरुद्ध खेली गई सीरीज में भी ‘मैन ऑफ द सीरीज’ चुना गया। 1997 में एक दिवसीय मैच में सर्वाधिक रन बनाने के कारण वर्ष का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज घोषित किया गया। उनके शतक की बदौलत ही ढाका में पाकिस्तान के विरुद्ध भारत ने सर्वाधिक 314 का स्कोर एक दिवसीय मैच में बना डाला। एक दिवसीय मैच में उनकी तेंदुलकर के साथ 252 रन की पार्टनरशिप आज तक का सर्वाधिक ऊँचा रिकार्ड है। एक दिवसीय क्रिकेट इतिहास में उनकी और सचिन की ओपनिंग जोड़ी विश्व की चौथे नंबर की बेहतरीन जोड़ी है।

पुरस्कार

1997 के सहारा कप में सौरव ने लगातार 5 बार ‘मैन ऑफ द मैच’ पुरस्कार पाने का रिकार्ड कायम किया और फिर ‘मैन ऑफ द सीरीज’ पुरस्कार जीता। सौरव गांगुली को 1998 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 1998 में गांगुली को ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द ईयर’ पुरस्कार दिया गया।

उपलब्धियां

  1. फरवरी 2000 में सौरव को भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया।
  2. नवम्बर 1999 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध 5 एक दिवसीय मैचों की श्रृंखला में उन्हें ‘मैन ऑफ द सीरीज’ चुना गया।
  3. सौरव ने विश्व कप 1999 में श्रीलंका के विरुद्ध खेलते हुए एक दिवसीय मैच में 183 रन का विशाल स्कोर बनाया और उससे पहले का कपिल देव का 175 का रिकार्ड तोड़ दिया। यह उस वक्त का किसी भारतीय खिलाड़ी का सर्वाधिक स्कोर था।
  4. पेप्सी कप 1999 में गांगुली को ‘मैन आफ द सीरीज’ चुना गया। उन्होंने 278 रन बनाए तथा 6 विकेट लिए।
  5. गांगुली विश्व के उन गिने-चुने खिलाड़ियों में से हैं जिन्होने एक ही मैच में शतक भी बनाया है और 4 विकेट भी लिए हैं।
  6. सौरव गांगुली सचिन के साथ शुरूआती खिलाड़ी जोड़ी के रूप में विश्व में चौथे नम्बर पर हैं।
  7. सौरव और सचिन ने मिलकर शुरुआती जोड़ी के रूप में 252 रन की पार्टनरशिप का रिकार्ड बनाया है।
  8. सौरव गांगुली को 1998 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया।
  9. सौरव को 1998 में ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द ईयर’ पुरस्कार दिया गया।
  10. 1997 में सौरव एक दिवसीय मैच में सर्वाधिक स्कोर करने वाले खिलाड़ी बने।
  11. 1997 के सहारा कप में सौरव ने लगातार 5 बार ‘मैन ऑफ द मैच’ पुरस्कार पाने का रिकार्ड कायम किया और फिर ‘मैन ऑफ द सीरीज’ पुरस्कार जीता।


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अनिल कुंबले (अंग्रेज़ी: Anil Kumble; जन्म- 17 अक्टूबर, 1970, बंगलौर, कर्नाटक) भारत के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ियों में से एक हैं। अनिल भारत के पहले स्पिनर तथा दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होने लिमिटेड ओवर वाले अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 200 विकेट का आंकड़ा पार किया था।

परिचय

अनिल कुंबले का जन्म 17 अक्टूबर, 1970 को बंगलौर, कर्नाटक मे हुआ था। इनके पिता का नाम कृष्णा स्वामी और माता सरोजा हैं। अनिल लम्बाई के कारण वो जंबो नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इन्होंने नेशनल कॉलेज बसावनागुडी से शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात 1992 में राष्ट्रीय विद्यालय कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है।

खेल जीवन

अनिल ने 7 फरवरी, 1999 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर पाकिस्तान के विरुद्ध टैस्ट मैच खेलते हुए 26.3 ओवर में मात्र 74 रन देकर 10 विकेट ले लिए। दस विकेट लेकर अनिल कुंबले विश्व के ऐसे दुसरे खिलाड़ी बन गए। इससे पूर्व इंग्लैंड के ऑफ स्पिनर जिम लेकर ने एक पारी में दस विकेट लेने का रिकार्ड बनाया था। अनिल कुंबले भारत के पहले स्पिनर तथा दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने लिमिटेड ओवर वाले अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 200 विकेट का आंकड़ा पार किया था।

अनिल कुंबले के 10 विकेट लेने पर भारत ने पाकिस्तान से न केवल 2 मैच की श्रृंखला जीती वरन अनिल कुंबले को ‘मैन ऑफ द मैच’ भी दिलाया। इसी उपलब्धि के कारण अनिल क्रिकेट के ‘हॉल ऑफ फेम’ में अपना नाम दर्ज करवा सके। 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाने वाले पहले खिलाड़ी जिम लेकर ने अपना रिकार्ड 31 जुलाई 1956 को अर्थात उससे 43 वर्ष पूर्व बनाया था।

बल्लेबाज़ी शैली

अनिल कुंबले शुरू के क्रिकेट मैचों में बल्लेबाज के रूप में खेले थे। अत: उनकी छवि बल्लेबाज की ही बनने लगी थी। 1990 में हुए मैच में पाकिस्तान के विरुद्ध खेलते हुए उन्होंने दिल्ली में 113 रन बनाए। उसी वर्ष उन्होंने अपने टेस्ट जीवन की शुरुआत की जिसमें उन्होंने मानचेस्टर के ओल्ड ट्राफर्ड में ग्राहम गूच की इंग्लिश टीम के विरुद्ध खेलते हुए अपने प्रथम मैच में तीन विकेट लिए ।


इसके पश्चात् टैस्ट मैच में खेलने के लिए कुंबले को सवा वर्ष तक इंतजार करना पड़ा | फिर उन्होंने 1992-93 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध टैस्ट मैच खेला । इस बार के दक्षिण अफ्रीका तथा जिम्बाब्बे के दो देशों के टूर में अनिल कुंबले सफल खिलाड़ियों में से एक थे । उसके पश्चात् भारतीय क्रिकेट टीम में उनका महत्वपूर्ण स्थान रहा है । कुंबले अपने आदर्श चन्द्रशेखर की भाँति ही खेलों में सफल रहे हैं । उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अच्छी पहचान बनाई ।

कुंबले पारंपरिक स्टाइल से हट कर स्पिनर हैं जो कभी गुगली गेंद फेंकते हैं और कभी मीडियम पेस फास्ट गेंद फेंकते हैं । वह गेंद को अधिक घुमाते नहीं हैं जो उनका अपना अलग अंदाज है ।

वेस्टइंडीज ने कुंबले की काबिलियत को कलकत्ता में हुए एक दिवसीय मैच में पहचाना । 1994 में लखनऊ टेस्ट में श्रीलंका को उनकी श्रेष्ठ गेंदबाजी का सामना करना पड़ा, जबकि आस्ट्रेलियाई टीम ने 1997-98 में अनिल कुंबले की श्रेष्ठ गेंदबाजी का प्रदर्शन देखा । पाकिस्तान अनिल की गेंदबाजी को हमेशा याद रखेगा जो उन्होंने 1999 में की थी और पाकिस्तान के एक ही पारी में 10 विकेट लिए थे । वैसे कुंबले ने 5 अथवा अधिक विकेट अनेक बार लिए थे, परन्तु 10 विकेट लेकर 1999 में इतिहास बना दिया ।

अन्तरराष्ट्रीय खेल

कुंबले ने 1998 में जिम्बाब्वे के विरुद्ध खेलते हुए अपने 200 विकेट पूरे किए । वह अन्तरराष्ट्रीय मैच में इतने विकेट लेने वाले प्रथम स्पिनर व द्वितीय भारतीय गेंदबाज थे । इसके पूर्व कपिलदेव ने इतने विकेट लिए थे । वह 100 टैस्ट विकेट लेने वाले खिलाड़ी भी कम समय में ही बन गए थे । उन्होंने 21 टैस्ट मैच में 100 विकेट ले लिए थे । उनका यह रिकार्ड 1995 में बना था । वह पांच वर्ष में 100 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज थे ।

उन्होंने अपना प्रथम एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मैच 25 अप्रैल 1990 को आस्ट्रेलिया कप के लिए शारजाह में खेला था जो श्रीलंका के विरुद्ध खेला गया था । 1994 में उन्होंने न्यूजीलैंड के विरुद्ध 10 ओवर में 33 रन पर 5 विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया ।

विल्स वर्ल्ड कप में वह अत्यन्त सफल गेंदबाज रहे । अनिल कुंबले ने रणजी ट्रॉफी में कर्नाटक टीम की कप्तानी की । ईरानी कप में उन्होंने 13 विकेट लिए । 1997 में भारत के दक्षिण अफ्रीका दौरे मे खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें खेल से आराम दे दिया गया । फिर उन्हें श्रीलंका के विरुद्ध खेलने के लिए पुन: टीम में शामिल किया गया । अनिल ने 1999 के ‘विश्व कप’ में भी भारतीय टीम में भाग लिया था ।

पुरस्कार

मृदुभाषी अनिल कुंबले को 1995 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया।

अनिल कुंबले ने मार्च, 2007 में अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया । क्रिकेट से विदाई के वक्त उन्होंने कहा- ”क्रिकेट महज खेल है । जब आप खेलते हैं और जीत या हार जाते हैं, तब यह खेल से कहीं बड़ा लगता है । लेकिन जब आप घर वापस जाते हैं, अपने परिवार और बच्चों को देखते हैं, तब लगता है कि नहीं, यह सिर्फ खेल ही है, उससे ज्यादा नहीं ।”

कीर्तिमान

  1. वह उन गिने-चुने भारतीय खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने 21 टेस्ट खेलने के कम समय में 100 विकेट लिए ।
  2. कुंबले प्रथम स्पिनर तथा द्वितीय भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने 1998 में 200 विकेट लेने का आंकड़ा पार किया ।1999 में पाकिस्तान के विरुद्ध दिल्ली में खेलते हुए अनिल #कुंबले ने 26.3 ओवर में 74 रन देकर 10 विकेट लेने का करिश्मा कर दिखाया।
  3. वह ऐसा करने वाले विश्व के दूसरे खिलाड़ी थे ।
  4. 1965 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया ।
  5. कुंबले ने मार्च 2007 तक कुल 113 टैस्ट मैच खेले, जिनमें कुल 547 विकेट लिए ।
  6. एक दिवसीय मैचों से सन्यास लेने तक उन्होंने कुल 271 वन डे मैच खेले जिसमें उन्होने 337 विकेट लिए ।


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