"आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट" के अवतरणों में अंतर
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+ | स्वाइन फ़्लू फैल रहा है। जानलेवा है। बहुत ध्यान से रहें। इसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी प्राप्त करें और सबको बताएँ। मास्क लगा कर रहें। इसमें शर्म की कोई बात नहीं। डॉक्टर से सलाह लें। विटेमिन सी अधिक लें। | ||
+ | हर किसी को अपना मुँह और अपनी नाक ढक कर रखना जरूरी है, खासकर तब जब कोई छींक रहा हो। | ||
+ | बार-बार हाथ धोना जरूरी है। | ||
+ | अगर किसी को ऐसा लगता है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें घर पर रहना चाहिये। ऐसी स्थिति में काम या स्कूल पर जाना उचित नहीं होगा और जहां तक हो सके भीड़ से दूर रहना फायदेमंद साबित होगा। | ||
+ | अगर सांस लेने में तकलीफ होती है, या फिर अचानक चक्कर आने लगते हैं, या उल्टी होने लगती है तो ऐसे हालात में फ़ौरन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। | ||
+ | खराब पानी से दूर रहें। | ||
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+ | | [[चित्र:Swine-flue.jpg|250px|center]] | ||
+ | | 7 फ़रवरी, 2015 | ||
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+ | कि तुम कुछ इस तरह आना | ||
+ | मेरे दिल की दुछत्ती में | ||
+ | लगे ऐसा कि जैसे रौशनी है | ||
+ | दिल के आंगन में | ||
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+ | बरसना फूल बन गेंदा के | ||
+ | मेरे भव्य स्वागत को | ||
+ | और बन हार डल जाना | ||
+ | मेरी झुकती सी गरदन में | ||
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+ | सुबह की चाय की चुसकी की | ||
+ | तुम आवाज़ हो जाना | ||
+ | सुगंधित तेल बन बिखरो | ||
+ | फिसलना मेरे बालों में | ||
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+ | रसोई के मसालों सी रोज़ | ||
+ | महकाओ घर भर को | ||
+ | कढ़ी चावल सा लिस जाना | ||
+ | मेरे हाथों में होठों में | ||
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+ | मचलना, सीऽ-सीऽ होकर | ||
+ | चाट की चटख़ारियों में तुम | ||
+ | कभी खट्टा, कभी मीठा लगो | ||
+ | तुम स्वाद चटनी में | ||
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+ | मेरी आँखों के गुलशन में | ||
+ | रहो राहत भरी झपकन | ||
+ | सहमना और सिकुड़ जाना | ||
+ | छुईमुई बन के सपनों में | ||
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+ | कहूँ क्या मैं तो | ||
+ | इक सीधा और सादा सा बंदा हूँ | ||
+ | ग़रज़ ये है कि मिलता है | ||
+ | तुम्हीं से सार जीवन में | ||
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+ | | 2 फ़रवरी, 2015 | ||
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१२:४५, १५ फ़रवरी २०१५ का अवतरण
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