गीता 15:13  

गीता अध्याय-15 श्लोक-13 / Gita Chapter-15 Verse-13

गामाविश्य च भूतानि धारयाम्यहमोजसा ।
पुष्णामि चौषधी: सर्वा: सोमो भूत्वा रसात्मक: ।।13।।



और मैं ही पृथ्वी में प्रवेश करके अपनी शक्ति से सब भूतों को धारण करता हूँ और रस स्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा[१] होकर सम्पूर्ण औंषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूँ ।।13।।

And permeating the soil, it is I who support all creatures by My vital power; and becoming the nectarine moon, I nourish all plants. (13)


च = और ; अहम् = मैं (ही) ; ओजसा = अपनी शक्ति से ; भूतानि = सब भूतों को ; धारयामि = धारणा करता हूं ; च = और ; रसात्मक: = रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय ; गाम् = पृथिवी में ; आविश्य = प्रवेश करके ; सोम: = चन्द्रमा ; भूत्वा = होकर ; सर्वा: = संपूर्ण ; ओषधी: = ओषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को ; पुष्णामि = पुष्ट करता हूं ;



अध्याय पन्द्रह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-15

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी अत्रि और अनुसूया की संतान बताया गया है जिसका नाम 'सोम' है।

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