कन्हेरी गुफ़ाएँ  

कन्हेरी गुफ़ाएँ
विवरण कन्हेरी गुफ़ाएँ मुंबई शहर के पश्चिमी क्षेत्र में बसे बोरीवली के उत्तर में स्थित हैं।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला मुम्बई
निर्माण काल कन्हेरी की गुफ़ाओं के प्रारंभिक निर्माण को तीसरी सदी ईसापूर्व का माना जाता है और अंतिम चरण के निर्माण को 9वीं सदी का माना जाता है।
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 19°12′30″ , पूर्व- 72°54′23″
मार्ग स्थिति कन्हेरी गुफ़ाएँ संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान के परिसर में स्थित हैं और मुख्य उद्यान से 6 किमी और बोरीवली स्टेशन से 7 किमी दूर हैं।
प्रसिद्धि कन्हेरी की गुफ़ाओं में एक ही पहाड़ को तराश कर लगभग 109 गुफ़ाओं का निर्माण किया गया है।
कैसे पहुँचें जलयान, हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
छ्त्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस
ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, सिटी बस
क्या देखें शिलालेख, मूर्तियाँ, मूर्तिकला, आदि
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
एस.टी.डी. कोड 022
ए.टी.एम लगभग सभी
गूगल मानचित्र
अन्य जानकारी कन्हेरी की गुफ़ाएँ बौद्ध धर्म की शिक्षा हीनयान तथा महायान का एक बड़ा केंद्र रहा है।
अद्यतन‎

कन्हेरी गुफ़ाएँ महाराष्ट्र के शहर मुंबई में कई पर्यटन स्थलों में से एक हैं। कन्हेरी गुफ़ाएँ मुंबई शहर के पश्चिमी क्षेत्र में बसे बोरीवली के उत्तर में स्थित हैं। ये गुफ़ाएँ संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान के परिसर में स्थित हैं और मुख्य उद्यान से 6 कि.मी. और बोरीवली स्टेशन से 7 कि.मी. दूर हैं।

संक्षिप्त परिचय

कन्हेरी उत्तर कोंकण, महाराष्ट्र में स्थित है। पश्चिम रेलवे के बोरीवली स्टेशन से एक मील पर कृष्णगिरि पहाड़ी में तीन प्राचीन गुहा मंदिर है, जिनका सम्बंध शिवोपासना से जान पड़ता है। एक गुफ़ा में अनेक मूर्तियाँ आज भी देखी जा सकती हैं। बोरीवली स्टेशन से पांच मील पर कन्हेरी है, जो कृष्णगिरि पहाड़ी का एक भाग है। 'कन्हेरी' शब्द कृष्णगिरि का अपभ्रंश है। यहां 9वीं शती ई. की बनी हुई लगभग 109 गुफ़ाएं हैं, पर उल्लेखनीय केवल एक ही है जो काली के चैत्य के अनुरूप बनाई गई है। इस चैत्यशाला में बौद्ध महायान सम्प्रदाय की सुंदर मूर्तिकारी है। गुफ़ा की भित्तियों पर अजंता के समान ही चित्रकारी भी थी, जो अब प्रायः नष्ट हो चुकी है।[१]

निर्माण काल

कन्हेरी में दूसरी शताब्दी ई. में चट्टानों को काट-छांट कर 90 गुफाओं का निर्माण किया गया। कन्हेरी चैत्यगृह की बनावट कार्ले के चैत्यगृह से मिलती है। कन्हेरी के चैत्यगृह के प्रवेश द्वार के सामने एक आंगन है जो अन्य किसी चैत्यगृह में नहीं मिलता। कन्हेरी गुफ़ाएँ बौद्ध कला दर्शाती हैं। कन्हेरी शब्द कृष्णागिरी यानी काला पर्वत से निकला है। इनको बड़े बड़े बेसाल्ट की चट्टानों से बनाया गया हैा।

कन्हेरी की गुफ़ाओं के समूह को भारत में विशालतम माना जाता है। कन्हेरी की गुफ़ाओं में एक ही पहाड़ को तराश कर लगभग 109 गुफ़ाओं का निर्माण किया गया है। यह बौद्ध धर्म की शिक्षा हीनयान तथा महायान का एक बड़ा केंद्र रहा है। पश्चिम भारत में सर्वप्रथम बौद्ध धर्म सोपारा में ही पल्लवित हुआ था जो कभी उत्तर कोंकण की राजधानी रही थी। उसी समय से कन्हेरी को जो सोपारा के क़रीब ही है, धार्मिक शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस अध्ययन केंद्र का प्रयोग बौद्ध धर्म के उत्थान एवं पतन में निरंतर 11वीं सदी तक किया जाता रहा है।

कन्हेरी की गुफ़ाओं के प्रारंभिक निर्माण को तीसरी सदी ईसा पूर्व का माना जाता है और अंतिम चरण के निर्माण को 9वीं सदी का माना जाता है। प्रारम्भिक चरण हीनयान सम्प्रदाय का रहा जो आडम्बर विहीन है। सीधे सादे कक्ष, गुफ़ाओं में प्रतिमाओं को भी नहीं उकेरा गया है। दूसरी तरफ अलंकरण युक्त गुफ़ाएँ महायान सम्प्रदाय की मानी जाती हैं।[२]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 132 |
  2. कन्हेरी की गुफ़ाएं (हिन्दी) वर्डप्रेस। अभिगमन तिथि: 15 अक्टूबर, 2010

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