ऋषिकेश पर्यटन  

ऋषिकेश पर्यटन
विवरण ऋषिकेश प्राकृतिक सुन्दरता से घिरा एक धार्मिक स्थान है।
राज्य उत्तराखण्ड
ज़िला देहरादून
भौगोलिक स्थिति उत्तर-30°.06 पूर्व-78°.18
मार्ग स्थिति दिल्ली से ऋषिकेश 222 किलोमीटर तथा देहरादून से ऋषिकेश 18 किलोमीटर की दूरी पर
प्रसिद्धि ऋषिकेश को पवित्र तीर्थ माना जाता है।
जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट एयरपोर्ट, देहरादून
हरिद्वार रेलवे स्टेशन
क्या देखें झूले, मंदिर, पहाड़ियाँ, नदियाँ
क्या ख़रीदें हस्तशिल्प का सामान, साड़ियाँ, बेड कवर, हैन्डलूम फेबरिक, कॉटन फेबरिक आदि
ए.टी.एम लगभग सभी
ऋषिकेश का मानचित्र
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी और गढ़वाली
अन्य जानकारी ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है।
बाहरी कड़ियाँ ऋषिकेश की वेबसाइट
ऋषिकेश ऋषिकेश पर्यटन देहरादून ज़िला

गढ़वाल, उत्तरांचल में हिमालय पर्वतों के तल में बसा ऋषिकेश धार्मिक दृष्टि के अतिरिक्त अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। ऋषिकेश पर्यटन के लिए सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। ऋषिकेश विश्व प्रसिद्ध योग केंद्र है। लक्ष्मण झूला, वसिष्ठ गुफा और नीलकंठ महादेव मंदिर यहा के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। दूर-दूर से पर्यटक ऋषिकेश की प्राकृतिक सौन्दर्य देखने के लिए आते हैं। सुबह के समय पहाड़ियों के पीछे से निकलता हुआ सूर्य, गंगा के बहते पानी की कलकल, कोहरे से ढकी पहाड़ी चोटियाँ, यह एक ऐसा अनुभव होता है जिसको ऋषिकेश में महसूस किया जा सकता है। ऋषिकेश में बहती गंगा की ख़ूबसूरती तो देखती ही बनती है।

पर्यटन स्थल

ऋषिकेश पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल है। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं। ऋषिकेश के प्रमुख पर्यटन स्थल इस प्रकार हैं।

लक्ष्मण झूला

  • ऋषिकेश से 5 किलोमीटर आगे एक झूला है, इस झूले को लक्ष्मण झूले के नाम से जाना जाता है।
  • यह झूला लोहे के मोटे रस्सों से बंधा है।
  • कहा जाता है कि गंगा नदी को पार करने के लिए लक्ष्मण ने इस स्थान पर जूट का झूला बनवाया था।

राम झूला

  • शिवानंद आश्रम के सामने एक झूलेनुमा पुल बना हुआ है, जिसे राम झूले के नाम से जाना जाता हैं।
  • राम झूला शिवानंद और स्वर्ग आश्रम के बीच बना है। इसलिए इसे शिवानंद झूला के नाम से भी जाना जाता है।
  • स्वर्गाश्रम क्षेत्र में जाने हेतु राम झूला गंगा के उस पार से इस पार ले जाने का रास्ता है।

त्रिवेणी घाट

  • ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट प्रमुख स्नानागार घाट है जहाँ प्रात:काल में अनेक श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।
  • कहा जाता है कि त्रिवेणी घाट पर हिन्दू धर्म की तीन प्रमुख नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है।
  • शाम को त्रिवेणी घाट पर भव्य आरती होती है और गंगा में दीप छोड़े जाते हैं, उस समय घाट पर काफ़ी भीड़ होती है।

स्वर्ग आश्रम

  • स्वर्ग आश्रम स्वामी विशुद्धानन्द द्वारा स्थापित सबसे प्राचीन आश्रम है।
  • इस स्थान पर बहुत से सुन्दर मंदिर बने हुए हैं।

वसिष्ठ गुफा

  • ऋषिकेश से 22 किलोमीटर की दूरी पर 3000 साल पुरानी वसिष्ठ गुफा बद्रीनाथ-केदारनाथ मार्ग पर स्थित है।
  • कहा जाता है यह स्थान भगवान राम और बहुत से राजाओं के पुरोहित वसिष्ठ का निवास स्थल था।

गीता भवन

भगवान शिव की मूर्ति, ऋषिकेश
  • ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला पार करते ही गीता आश्रम है जिसे 1950 ई. में बनवाया गया था।
  • यहाँ रामायण और महाभारत के चित्रों से सजी दीवारें इस स्थान को आकर्षण बनाती हैं।
  • यहाँ एक आयुर्वेदिक डिस्पेन्सरी और गीताप्रेस गोरखपुर की एक शाखा भी है।

योग केन्द्र

  • ऋषिकेश में विश्वप्रसिद्द योग केन्द्र है एवं कई विख्यात आश्रमों का घर है।
  • योग केन्द्र पहुँचने पर मंदिरों में लंबी कतारें दिखाई देना प्रारंभ हो जाती है।

धार्मिक स्थल

ऋषिकेश धार्मिक दृष्टि के लिए भी पर्यटकों के आकर्षण का विषय रहा है। ऋषिकेश में अनेक मंदिर व मठ हैं। सबका वर्णन किया जाना यहाँ संभव नहीं है। मगर उक्त स्थानों के अलावा सत्यनारायण मंदिर, स्वर्गाश्रम, शिवानन्द आश्रम, काली कमलीवाला पंचायती क्षेत्र देखने योग्य है, जिनकी जीवन पद्धति, सिद्धांत, जनकल्याण का भाव, भक्ति प्रवाह अतुलनीय है। ऋषिकेश कुल मिलाकर आत्म चेतना का केन्द्र है, जो न केवल ज्ञान और भक्ति का अलख जगाता है बल्कि भविष्य का पथ प्रदर्शक भी है। यहाँ माया कुंद नामक जगह है जहाँ पर हनुमानजी का मन्दिर है तथा यहाँ मन्दिर की नीति नियमों के साथ रहना पड़ता है एवं यहाँ शाम को सुंदर आरती होती है। यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थल इस प्रकार हैं।

नीलकंठ महादेव मंदिर

  • नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है।
  • कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था। उसी समय उनकी पत्नी, पार्वती ने उनका गला दबाया जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। गला नीला पड़ने के कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था।

भरत मंदिर

  • भरत मंदिर ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मंदिर है जिसे 12 शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने बनवाया था।
  • मंदिर का मूल रूप 1398 में तैमूर आक्रमण के दौरान क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। हालांकि मंदिर की बहुत सी महत्त्वपूर्ण चीज़ों को उस हमले के बाद आज तक संरक्षित रखा गया है।

अय्यपा मन्दिर

  • ऋषिकेश में अय्यपा मन्दिर प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
  • यह दिल्ली से महज 225 किमी की दूरी पर है।

कैलाश निकेतन मंदिर

  • लक्ष्मण झूले को पार करते ही कैलाश निकेतन मंदिर है।
  • इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं।

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