एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "३"।

कंकुष्ठ  

कंकुष्ठ - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कङ्कुष्ठ)[1]

एक प्रकार की पहाड़ी मिट्टी

विशेष - भावप्रकाश के अनुसार यह हिमालय के शिखर पर उत्पन्न होती है। कहते हैं, यह सफेद और पीली दो प्रकार की होती है। सफेद को नालिक और पीली को रेणुक कहते हैं। रेणुक ही अधिक गुण वाली समझी जाती है। वैद्यक के अनुसार यह गुरु, स्निग्ध, विरेचक, तिक्त, कटु, उष्ण, वर्णकारक और कृमि, शोथ, गुल्म तथा कफ की नाशक होती है।

पर्यायवाची - कालकुष्ठ। विरंग। रंगदायक। रेचक। पुलक। शोधक। कालपालक।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्द सागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी.ए. (मूल सम्पादक) |प्रकाशक: शंभुनाथ वाजपेयी द्वारा, नागरी मुद्रण वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 717 |

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=कंकुष्ठ&oldid=666930" से लिया गया