कँड़िहारा - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कर्णधार)[१]
कँड़हार।
उदाहरण-
सतगुरु भव तारण कँड़िहारा। - कबीर सागर[२]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑
हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 731 |
- ↑ कबीर सागर, भाग 4, पृष्ठ 430, सम्पादक श्री युगलानंद बिहारी, वेंकटेश्वर स्टीम प्रिंटिंग प्रेस, मुम्बई
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