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'''हरदोई''' [[उत्तर प्रदेश]] राज्य का एक प्रमुख नगर है। संडी पक्षी अभयारण्य, बालामऊ, माधोगंज, पिहानी, संडीला और बेहता गोकुल आदि यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से है।  
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'''हरदोई''' [[उत्तर प्रदेश]] राज्य का एक प्रमुख नगर है। [[साण्डी पक्षी अभयारण्य|संडी पक्षी अभयारण्य]], बालामऊ, माधोगंज, पिहानी, संडीला और बेहता गोकुल आदि यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से है।  
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==विक्टोरिया मेमोरियल==
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जिस प्रकार [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]], [[लखनऊ]] शहर का हस्ताक्षर भवन है ठीक वैसे ही यह विक्टोरिया भवन जनपद [[हरदोई]] का हस्ताक्षर शिल्प भवन है। आज़ादी से पहले [[भारत]] देश 1877 ई. में जब [[महारानी विक्टोरिया]] सम्राज्ञी घोषित की गईं तो भारतवर्ष में दो स्थानों पर इतिहास में समेटने के लिये [[विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता|विक्टोरिया मेमोरियल]] भवनों का निर्माण कराया गया जो तत्कालीन [[कलकत्ता]] और आज [[कोलकाता]] है और दूसरा हरदोई में। वर्तमान में इस भवन में हरदोई क्लब संचालित है।
 
जिस प्रकार [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]], [[लखनऊ]] शहर का हस्ताक्षर भवन है ठीक वैसे ही यह विक्टोरिया भवन जनपद [[हरदोई]] का हस्ताक्षर शिल्प भवन है। आज़ादी से पहले [[भारत]] देश 1877 ई. में जब [[महारानी विक्टोरिया]] सम्राज्ञी घोषित की गईं तो भारतवर्ष में दो स्थानों पर इतिहास में समेटने के लिये [[विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता|विक्टोरिया मेमोरियल]] भवनों का निर्माण कराया गया जो तत्कालीन [[कलकत्ता]] और आज [[कोलकाता]] है और दूसरा हरदोई में। वर्तमान में इस भवन में हरदोई क्लब संचालित है।
 
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[[हरदोई ज़िला]] स्थित संडी पक्षी अभयारण्य की स्थापना 1990 ई. में हुई थी। यह अभयारण्य [[लखनऊ]] से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभयारण्य लगभग तीन किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पक्षियों की अनेक प्रजातियां देखी जा सकती है। यहां घूमने के लिए सबसे उचित समय [[दिसम्बर]] से [[फरवरी]] है।  
 
[[हरदोई ज़िला]] स्थित संडी पक्षी अभयारण्य की स्थापना 1990 ई. में हुई थी। यह अभयारण्य [[लखनऊ]] से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभयारण्य लगभग तीन किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पक्षियों की अनेक प्रजातियां देखी जा सकती है। यहां घूमने के लिए सबसे उचित समय [[दिसम्बर]] से [[फरवरी]] है।  
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हरदोई जनपद मुख्यालय से लगभग पच्चीस तीस किलोमीटर दूर सकहा नामक स्थान हैं जिसका पुराना नाम सोनिकपुर था तथा यहां पर [[शंकासुर]] नामक दैत्य रहा करता था जो हरदोई के शासक [[हिरण्याकश्य]] का सहयोगी था। भक्त प्रहलाद के आह्वाहन पर जब भगवान ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्याकश्यप का वध किया तो शंकासुर भी ने भी यह स्थान छोड दिया। इस स्थान पर शिवलिंगों की एक पिरामिड जैसी आकृति उभर आयी जिस पर भगवान शंकर का मंदिर स्थापित हुआ । यह एक प्राचीन मंदिर था जिसका जीर्णोधार लगभग सत्तर वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में तैनात रहे कोतवाल द्वारा कराया गया था।
 
इसके संबंध में यह भी किंवदंती है कि आजादी से कई वर्ष पूर्व लाला लाहौरीमल नामक एक व्यापारी के पुत्र को फांसी की सजा हुयी थी जिसकी माफी के लिये लाला लाहौरीमल ने यहां दरकार लगायी थी और मनौती पूरी होने के पश्चात उनके द्वारा यहां पर शंकर जी का मंदिर बनवाया गया । कालान्तर में यहां पर आवासीय संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना हुयी जो आज भी सुचारू रूप से गतिमान है। वर्तमान में इस मंदिर की व्यवस्था आदि का काम स्थानीय महंत श्री उदयप्रताप गिरि द्वारा देखा जा रहा है।
 
 
[[चित्र:Sakaha.jpg|सकहा शंकर मंदिर हरदोई |thumb|250px]]
 
[[चित्र:Sakaha.jpg|सकहा शंकर मंदिर हरदोई |thumb|250px]]
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हरदोई जनपद मुख्यालय से लगभग पच्चीस तीस किलोमीटर दूर सकहा नामक स्थान हैं जिसका पुराना नाम सोनिकपुर था तथा यहां पर [[शंकासुर]] नामक दैत्य रहा करता था जो हरदोई के शासक [[हिरण्यकशिपु]] का सहयोगी था। भक्त प्रहलाद के आह्वान पर जब भगवान ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्याकश्यप का वध किया तो शंकासुर भी ने भी यह स्थान छोड दिया। इस स्थान पर शिवलिंगों की एक पिरामिड जैसी आकृति उभर आयी जिस पर भगवान शंकर का मंदिर स्थापित हुआ । यह एक प्राचीन मंदिर था जिसका जीर्णोधार लगभग सत्तर वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में तैनात रहे कोतवाल द्वारा कराया गया था।
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इसके संबंध में यह भी किंवदंती है कि आजादी से कई वर्ष पूर्व लाला लाहौरीमल नामक एक व्यापारी के पुत्र को फाँसी की सजा हुई थी जिसकी माफी के लिये लाला लाहौरीमल ने यहां दरकार लगायी थी और मनौती पूरी होने के पश्चात् उनके द्वारा यहां पर शंकर जी का मंदिर बनवाया गया । कालान्तर में यहां पर आवासीय संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना हुई जो आज भी सुचारू रूप से गतिमान है। वर्तमान में इस मंदिर की व्यवस्था आदि का काम स्थानीय महंत श्री उदयप्रताप गिरि द्वारा देखा जा रहा है।
 
[[चित्र:2013-01-12_14.40.03.jpg|सकहा स्थित शंकर जी का लिंग शीर्ष|thumb|250px]]
 
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==गांधी भवन==
====गांधी भवन====
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{{main|गाँधी भवन, हरदोई}}
सन 1928 में [[साइमन कमीशन]] के भारत आने के बाद इसका विरोध करने के लिये [[महात्मा गांधी]] ने समूचे भारत में यात्रा कर जनजागरण किया । इसी दौरान 11 अक्टूबर 1929 को गांधी जी ने हरदोई का भी भ्रमण किया। सभी वर्गों के व्यक्तियों द्वारा महात्मा गांधी जी का स्वागत किया तथा उन्होंने टाउन हाल में 4000 से अधिक व्यक्तियों की जनसभा को संबोधित किया। सभा के समापन पर खद्दर के कुछ बढिया कपडें 296 रूपये में नीलाम किये गये और यह धनराशि गांधी जी को भेट की गयी। (संदर्भ:एच आर नेबिल संपादित हरदोई गजेटियर पृष्ठ 56)
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सन 1928 में [[साइमन कमीशन]] के भारत आने के बाद इसका विरोध करने के लिये [[महात्मा गांधी]] ने समूचे भारत में यात्रा कर जनजागरण किया । इसी दौरान 11 अक्टूबर 1929 को गांधी जी ने हरदोई का भी भ्रमण किया। सभी वर्गों के व्यक्तियों द्वारा महात्मा गांधी जी का स्वागत किया तथा उन्होंने टाउन हाल में 4000 से अधिक व्यक्तियों की जनसभा को संबोधित किया। सभा के समापन पर खद्दर के कुछ बढिया कपडें 296 रुपये में नीलाम किये गये और यह धनराशि गांधी जी को भेट की गयी। (संदर्भ:एच आर नेबिल संपादित हरदोई गजेटियर पृष्ठ 56)
 
स्वतंत्रता के बाद सम्पूर्ण भारत वर्ष में महात्मा गांधी जी के भृमण स्थलों पर स्मारकों का निर्माण किया गया जिसमें हरदोई में गांधी भवन का निर्माण हुआ । इस भवन का रख रखाव महात्मा गांधी जनकल्याण समिति द्वारा किया जाता है। इस समिति के सचिव अशोक कुमार शुक्ला ने इस परिसर में एक प्रार्थना कक्ष स्थापित कराया और 2013 के नववर्ष पर [[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]] के सहयोग से सर्वधर्म प्रार्थना का नियमित आरंभ कराया। यह प्रार्थना कक्ष महात्मा जी की विश्राम स्थली रहे कौसानी में स्थापित [[अनासक्ति आश्रम]] के समरूप है तथा [[कौसानी]] में संचालित नियमित सर्वधर्म प्रार्थना के अनुरूप इस परिसर में भी नियमित रूप से सर्वधर्म प्रार्थना की जाती है  
 
स्वतंत्रता के बाद सम्पूर्ण भारत वर्ष में महात्मा गांधी जी के भृमण स्थलों पर स्मारकों का निर्माण किया गया जिसमें हरदोई में गांधी भवन का निर्माण हुआ । इस भवन का रख रखाव महात्मा गांधी जनकल्याण समिति द्वारा किया जाता है। इस समिति के सचिव अशोक कुमार शुक्ला ने इस परिसर में एक प्रार्थना कक्ष स्थापित कराया और 2013 के नववर्ष पर [[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]] के सहयोग से सर्वधर्म प्रार्थना का नियमित आरंभ कराया। यह प्रार्थना कक्ष महात्मा जी की विश्राम स्थली रहे कौसानी में स्थापित [[अनासक्ति आश्रम]] के समरूप है तथा [[कौसानी]] में संचालित नियमित सर्वधर्म प्रार्थना के अनुरूप इस परिसर में भी नियमित रूप से सर्वधर्म प्रार्थना की जाती है  
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==सर्वोदय आश्रम टडियांवा==
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{{main|सर्वोदय आश्रम टडियांवा}}
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हरदोई जनपद मुख्यालय से लगभग चालीस किलोमीटर दूर टडियांवा नामक स्थान हैं जहां पर [[आचार्य विनोवा भावे]] और [[महात्मा गांधी]] के दर्शन से प्रेरित इस आश्रम की नीव प्रसिद्ध समाजसेवी रमेश भाई और उर्मिला बहन द्वारा 1984 में रखी गयी। इस आश्रम पसिर में हथकरघा कार्यो के अतिरिक्त छात्र छात्राओं के आवासीय विद्यालय का संचालन भी किया जाता है। दिनांक 1 जनवरी 2013 से यह आश्रम हरदोई स्थित गांधी भवन में स्थापित प्रार्थना कक्ष में नियमित सर्वधर्म प्रार्थना भी सम्पन्न करा रहा है।
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[[चित्र:Sandi_061.JPG|हरदोई में में स्थापित नरसिंह भगवान की मूर्ति|thumb|250px]]
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==बालामऊ==
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बालामऊ, हरदोई ज़िला के प्राचीन शहरों में से है। माना जाता है कि इस शहर की स्थापना [[अकबर]] काल के अन्तिम समय में बामी मिरमी ने की थी। वर्तमान समय में इस जगह को बामी खेरा ने नाम से जाना जाता है। यह शहर ज़िला मुख्यालय के दक्षिण की ओर तथा सांदिला के उत्तर-पूर्व से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शहर के समीप ही [[सीतापुर ज़िला]] है जो नैमिषारण्य के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह धार्मिक स्थल के रूप में जानी जाती है।
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==माधोगंज==
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राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित माधोगंज, हरदोई ज़िले का एक प्राचीन शहर है। यह शहर ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस शहर की स्थापना स्वतंत्रता सेनानी श्री नरपति सिंह ने की थी। इन्होंने देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। यहां स्थित रुइया गढ़ी क़िला, जो कि वर्तमान में नष्ट हो चुका है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक क्षणों का गवाह रहा है। वर्तमान समय में यह क़िला पुरातात्विक विभाग, उत्तर-प्रदेश की देख-रेख में है। माधोगंज हरदोई के दक्षिण से लगभग 34 किलोमीटर, [[कानपुर]] से 75 किलोमीटर और [[लखनऊ]] से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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==[[पिहानी]]==
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हरदोई ज़िला स्थित [[पिहानी]] एक ऐतिहासिक जगह है। यह जगह हरदोई, ज़िला मुख्यालय के उत्तर-पूर्व से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह का नाम पर्शियन शब्द पिनहानी से लिया गया है। जिसका अर्थ होता रहने की जगह। माना जाता है कि पूर्व समय में यह स्थान सघन जंगलों से घिरा हुआ था। [[शेरशाह सूरी|शेरशाह]] ने [[हुमायूँ]] के साथ हुए युद्ध में उनसे बचने के लिए इस जगह पर शरण ली थी। सदारजहां, अकबर शासक के मंत्री का पिहानी से नजदीकी सम्बन्ध रहा है। उनका मकबरा और चित्रकला यहां के प्रमुख आकर्षण केन्द्रों में से हैं।
  
====सर्वोदय आश्रम====
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==संडीला==
हरदोई जनपद मुख्यालय से लगभग चालीस किलोमीटर दूर टडियांवा नामक स्थान हैं जहां पर आचार्य विनोवा भावे और महात्मा गांधी के दर्शन से प्रेरित इस आश्रम की नीव प्रसिद्ध समाजसेवी रमेश भाई और उर्मिला बहन द्वारा 1984 में रखी गयी। इस आश्रम पसिर में हथकरघा कार्यो के अतिरिक्त छात्र छात्राओं के आवासीय विद्यालय का संचालन भी किया जाता है। दिनांक 1 जनवरी 2013 से यह आश्रम हरदोई स्थित गांधी भवन में स्थापित प्रार्थना कक्ष में नियमित सर्वधर्म प्रार्थना भी सम्पन्न करा रहा है।  
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संडीला हरदोई ज़िला का एक ख़ूबसूरत नगर है। यह नगर हरदोई के दक्षिण से लगभग 50 किलोमीटर और लखनऊ के उत्तर-पश्चिम से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह की स्थापना ऋषि संडीला ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम रखा गया है। कई प्राचीन इमारतें, मस्जिद और बाराखम्भा आदि इस शहर का प्रमुख आकर्षण है। इसके अलावा, हत्याहरण यहां का प्रमुख धार्मिक स्थल है।
====बालामऊ:====
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==बेहता गोकुल==
बालामऊ, हरदोई ज़िला के प्राचीन शहरों में से है। माना जाता है कि इस शहर की स्थापना [[अकबर]] काल के अन्तिम समय में बामी मिरमी ने की थी। वर्तमान समय में इस जगह को बामी खेरा ने नाम से जाना जाता है। यह शहर जिला मुख्यालय के दक्षिण की ओर तथा सांदिला के उत्तर-पूर्व से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शहर के समीप ही [[सीतापुर ज़िला]] है जो नैमिषारण्य के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह धार्मिक स्थल के रूप में जानी जाती है।
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हरदोई ज़िला स्थित यह एक छोटा सा गांव है। यह गांव हरदोई के उत्तर से 16 किलोमीटर और [[शाहाबाद]] के दक्षिण से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
 
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==विलग्राम==
====माधोगंज====
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जनपद हरदोई के सम्बन्ध में एक और आश्चर्यजनक तथ्य बताना चाहता हूं । इस जनपद में ‘विलग्राम‘ नाम का एक उपखंड है जिसके बारे में यह बताया जाता है कि यह मूल रूप से ‘विलग राम‘ शब्द का अपभ्रंश है । ‘विलग राम’ अर्थात राम से विलग रहने वाला। विलग्राम तहसील क्षेत्रान्तरर्गत स्थित [[साण्डी पक्षी अभ्यारण]] का एक मोहक दृष्य देखें।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित माधोगंज, हरदोई ज़िले का एक प्राचीन शहर है। यह शहर ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस शहर की स्थापना स्वतंत्रता सेनानी श्री नरपति सिंह ने की थी। इन्होंने देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। यहां स्थित रुइया गढ़ी क़िला, जो कि वर्तमान में नष्ट हो चुका है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक क्षणों का गवाह रहा है। वर्तमान समय में यह क़िला पुरातात्विक विभाग, उत्तर-प्रदेश की देख-रेख में है। माधोगंज हरदोई के दक्षिण से लगभग 34 किलोमीटर, [[कानपुर]] से 75 किलोमीटर और [[लखनऊ]] से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
 
 
 
====पिहानी====
 
हरदोई ज़िला स्थित पिहानी एक ऐतिहासिक जगह है। यह जगह हरदोई, जिला मुख्यालय के उत्तर-पूर्व से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह का नाम पर्शियन शब्द पिनहानी से लिया गया है। जिसका अर्थ होता रहने की जगह। माना जाता है कि पूर्व समय में यह स्थान सघन जंगलों से घिरा हुआ था। [[शेरशाह सूरी|शेरशाह]] ने [[हुमायूँ]] के साथ हुए युद्ध में उनसे बचने के लिए इस जगह पर शरण ली थी। सदारजहां, अकबर शासक के मंत्री का पिहानी से नजदीकी सम्बन्ध रहा है। उनका मकबरा और चित्रकला यहां के प्रमुख आकर्षण केन्द्रों में से हैं।
 
  
====संडीला====
 
संडीला हरदोई जिला का एक खूबसूरत नगर है। यह नगर हरदोई के दक्षिण से लगभग 50 किलोमीटर और लखनऊ के उत्तर-पश्चिम से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह की स्थापना ऋषि संडीला ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम रखा गया है। कई प्राचीन इमारतें, मस्जिद और बाराखम्भा आदि इस शहर का प्रमुख आकर्षण है। इसके अलावा, हत्याहरण यहां का प्रमुख धार्मिक स्थल है।
 
  
====बेहता गोकुल====
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{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
हरदोई जिला स्थित यह एक छोटा सा गांव है। यह गांव हरदोई के उत्तर से 16 किलोमीटर और शाहबाद के दक्षिण से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
 
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}

१०:४२, २ जनवरी २०१८ के समय का अवतरण

हरदोई हरदोई पर्यटन हरदोई ज़िला
विक्टोरिया हॉल, हरदोई

हरदोई उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख नगर है। संडी पक्षी अभयारण्य, बालामऊ, माधोगंज, पिहानी, संडीला और बेहता गोकुल आदि यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से है।

विक्टोरिया मेमोरियल

जिस प्रकार रूमी दरवाज़ा, लखनऊ शहर का हस्ताक्षर भवन है ठीक वैसे ही यह विक्टोरिया भवन जनपद हरदोई का हस्ताक्षर शिल्प भवन है। आज़ादी से पहले भारत देश 1877 ई. में जब महारानी विक्टोरिया सम्राज्ञी घोषित की गईं तो भारतवर्ष में दो स्थानों पर इतिहास में समेटने के लिये विक्टोरिया मेमोरियल भवनों का निर्माण कराया गया जो तत्कालीन कलकत्ता और आज कोलकाता है और दूसरा हरदोई में। वर्तमान में इस भवन में हरदोई क्लब संचालित है।

विक्टोरिया मेमोरियल, कोलकाता
Victoria Memorial, Kolkata

साण्डी पक्षी अभयारण्य

हरदोई ज़िला स्थित संडी पक्षी अभयारण्य की स्थापना 1990 ई. में हुई थी। यह अभयारण्य लखनऊ से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभयारण्य लगभग तीन किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पक्षियों की अनेक प्रजातियां देखी जा सकती है। यहां घूमने के लिए सबसे उचित समय दिसम्बर से फरवरी है।

साण्डी पक्षी अभ्यारण्य

सकहा शंकर मंदिर

सकहा शंकर मंदिर हरदोई

हरदोई जनपद मुख्यालय से लगभग पच्चीस तीस किलोमीटर दूर सकहा नामक स्थान हैं जिसका पुराना नाम सोनिकपुर था तथा यहां पर शंकासुर नामक दैत्य रहा करता था जो हरदोई के शासक हिरण्यकशिपु का सहयोगी था। भक्त प्रहलाद के आह्वान पर जब भगवान ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्याकश्यप का वध किया तो शंकासुर भी ने भी यह स्थान छोड दिया। इस स्थान पर शिवलिंगों की एक पिरामिड जैसी आकृति उभर आयी जिस पर भगवान शंकर का मंदिर स्थापित हुआ । यह एक प्राचीन मंदिर था जिसका जीर्णोधार लगभग सत्तर वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में तैनात रहे कोतवाल द्वारा कराया गया था। इसके संबंध में यह भी किंवदंती है कि आजादी से कई वर्ष पूर्व लाला लाहौरीमल नामक एक व्यापारी के पुत्र को फाँसी की सजा हुई थी जिसकी माफी के लिये लाला लाहौरीमल ने यहां दरकार लगायी थी और मनौती पूरी होने के पश्चात् उनके द्वारा यहां पर शंकर जी का मंदिर बनवाया गया । कालान्तर में यहां पर आवासीय संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना हुई जो आज भी सुचारू रूप से गतिमान है। वर्तमान में इस मंदिर की व्यवस्था आदि का काम स्थानीय महंत श्री उदयप्रताप गिरि द्वारा देखा जा रहा है।

सकहा स्थित शंकर जी का लिंग शीर्ष

गांधी भवन

सन 1928 में साइमन कमीशन के भारत आने के बाद इसका विरोध करने के लिये महात्मा गांधी ने समूचे भारत में यात्रा कर जनजागरण किया । इसी दौरान 11 अक्टूबर 1929 को गांधी जी ने हरदोई का भी भ्रमण किया। सभी वर्गों के व्यक्तियों द्वारा महात्मा गांधी जी का स्वागत किया तथा उन्होंने टाउन हाल में 4000 से अधिक व्यक्तियों की जनसभा को संबोधित किया। सभा के समापन पर खद्दर के कुछ बढिया कपडें 296 रुपये में नीलाम किये गये और यह धनराशि गांधी जी को भेट की गयी। (संदर्भ:एच आर नेबिल संपादित हरदोई गजेटियर पृष्ठ 56) स्वतंत्रता के बाद सम्पूर्ण भारत वर्ष में महात्मा गांधी जी के भृमण स्थलों पर स्मारकों का निर्माण किया गया जिसमें हरदोई में गांधी भवन का निर्माण हुआ । इस भवन का रख रखाव महात्मा गांधी जनकल्याण समिति द्वारा किया जाता है। इस समिति के सचिव अशोक कुमार शुक्ला ने इस परिसर में एक प्रार्थना कक्ष स्थापित कराया और 2013 के नववर्ष पर सर्वोदय आश्रम टडियांवा के सहयोग से सर्वधर्म प्रार्थना का नियमित आरंभ कराया। यह प्रार्थना कक्ष महात्मा जी की विश्राम स्थली रहे कौसानी में स्थापित अनासक्ति आश्रम के समरूप है तथा कौसानी में संचालित नियमित सर्वधर्म प्रार्थना के अनुरूप इस परिसर में भी नियमित रूप से सर्वधर्म प्रार्थना की जाती है

सर्वोदय आश्रम टडियांवा

हरदोई जनपद मुख्यालय से लगभग चालीस किलोमीटर दूर टडियांवा नामक स्थान हैं जहां पर आचार्य विनोवा भावे और महात्मा गांधी के दर्शन से प्रेरित इस आश्रम की नीव प्रसिद्ध समाजसेवी रमेश भाई और उर्मिला बहन द्वारा 1984 में रखी गयी। इस आश्रम पसिर में हथकरघा कार्यो के अतिरिक्त छात्र छात्राओं के आवासीय विद्यालय का संचालन भी किया जाता है। दिनांक 1 जनवरी 2013 से यह आश्रम हरदोई स्थित गांधी भवन में स्थापित प्रार्थना कक्ष में नियमित सर्वधर्म प्रार्थना भी सम्पन्न करा रहा है।

हरदोई में में स्थापित नरसिंह भगवान की मूर्ति

बालामऊ

बालामऊ, हरदोई ज़िला के प्राचीन शहरों में से है। माना जाता है कि इस शहर की स्थापना अकबर काल के अन्तिम समय में बामी मिरमी ने की थी। वर्तमान समय में इस जगह को बामी खेरा ने नाम से जाना जाता है। यह शहर ज़िला मुख्यालय के दक्षिण की ओर तथा सांदिला के उत्तर-पूर्व से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शहर के समीप ही सीतापुर ज़िला है जो नैमिषारण्य के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह धार्मिक स्थल के रूप में जानी जाती है।

माधोगंज

राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित माधोगंज, हरदोई ज़िले का एक प्राचीन शहर है। यह शहर ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस शहर की स्थापना स्वतंत्रता सेनानी श्री नरपति सिंह ने की थी। इन्होंने देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। यहां स्थित रुइया गढ़ी क़िला, जो कि वर्तमान में नष्ट हो चुका है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक क्षणों का गवाह रहा है। वर्तमान समय में यह क़िला पुरातात्विक विभाग, उत्तर-प्रदेश की देख-रेख में है। माधोगंज हरदोई के दक्षिण से लगभग 34 किलोमीटर, कानपुर से 75 किलोमीटर और लखनऊ से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

पिहानी

हरदोई ज़िला स्थित पिहानी एक ऐतिहासिक जगह है। यह जगह हरदोई, ज़िला मुख्यालय के उत्तर-पूर्व से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह का नाम पर्शियन शब्द पिनहानी से लिया गया है। जिसका अर्थ होता रहने की जगह। माना जाता है कि पूर्व समय में यह स्थान सघन जंगलों से घिरा हुआ था। शेरशाह ने हुमायूँ के साथ हुए युद्ध में उनसे बचने के लिए इस जगह पर शरण ली थी। सदारजहां, अकबर शासक के मंत्री का पिहानी से नजदीकी सम्बन्ध रहा है। उनका मकबरा और चित्रकला यहां के प्रमुख आकर्षण केन्द्रों में से हैं।

संडीला

संडीला हरदोई ज़िला का एक ख़ूबसूरत नगर है। यह नगर हरदोई के दक्षिण से लगभग 50 किलोमीटर और लखनऊ के उत्तर-पश्चिम से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह की स्थापना ऋषि संडीला ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम रखा गया है। कई प्राचीन इमारतें, मस्जिद और बाराखम्भा आदि इस शहर का प्रमुख आकर्षण है। इसके अलावा, हत्याहरण यहां का प्रमुख धार्मिक स्थल है।

बेहता गोकुल

हरदोई ज़िला स्थित यह एक छोटा सा गांव है। यह गांव हरदोई के उत्तर से 16 किलोमीटर और शाहाबाद के दक्षिण से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

विलग्राम

जनपद हरदोई के सम्बन्ध में एक और आश्चर्यजनक तथ्य बताना चाहता हूं । इस जनपद में ‘विलग्राम‘ नाम का एक उपखंड है जिसके बारे में यह बताया जाता है कि यह मूल रूप से ‘विलग राम‘ शब्द का अपभ्रंश है । ‘विलग राम’ अर्थात राम से विलग रहने वाला। विलग्राम तहसील क्षेत्रान्तरर्गत स्थित साण्डी पक्षी अभ्यारण का एक मोहक दृष्य देखें।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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