"जैन उपनीति संस्कार" के अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "Category:जैन धर्म कोश" to "Category:जैन धर्मCategory:जैन धर्म कोश") |
||
पंक्ति १७: | पंक्ति १७: | ||
[[Category:दर्शन कोश]] | [[Category:दर्शन कोश]] | ||
[[Category:जैन दर्शन]] | [[Category:जैन दर्शन]] | ||
− | [[Category:जैन धर्म कोश]] | + | [[Category:जैन धर्म]][[Category:जैन धर्म कोश]] |
__INDEX__ | __INDEX__ |
०७:५३, ८ मार्च २०११ का अवतरण
- इस उपनीति संस्कार को उपनयन एवं यज्ञोपवीत भी कहते हैं।
- इसका विधान है कि यह संस्कार ब्राह्मणों को गर्भ से आठवें वर्ष में, क्षत्रियों को ग्यारहवें वर्ष में और वैश्यों को बारहवें वर्ष में करना चाहिए।
- यदि किसी कारण नियत समय तक उपनयन विधान न हो सका तो ब्राह्मणों की सोलह वर्ष तक, क्षत्रियों को बाईस वर्ष तक और वैश्यों को चौबीस वर्ष तक यज्ञोपवीत संस्कार कर लेना उचित हे।
- पूजा-प्रतिष्ठा, जप, हवन आदि करने के लिए इस संस्कार को आवश्यक बतलाया है।
|
|
|
|
|
संबंधित लेख