एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

चारुकीर्ति भट्टारक  

आचार्य चारुकीर्ति भट्टारक

  • ये वि. सं. की 18वीं शती के तार्किक हैं।
  • इन्होंने माणिक्यनन्दि के परीक्षामुख पर बहुत से ही विशद एवं प्रौढ़ व्याख्या 'प्रमेयरत्नालंकार' लिखी है, जो मैसूर यूनिवर्सिटी से प्रकाशित है।
  • रचना तर्कपूर्ण है।
  • इसमें नव्यन्याय का भी अनेक स्थलों पर समावेश है।
  • चारुकीर्ति की विद्वत्ता और पाण्डित्य दोनों इसमें दृष्टिगोचर होते हैं।
  • इन्हीं अथवा दूसरे चारुकीर्ति की 'अर्थप्रकाशिका' भी है, जो प्रमेयरत्नमाला की संक्षिप्त व्याख्या है।
  • ये 'पण्डिताचार्य' की उपाधि से विभूषित थे।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=चारुकीर्ति_भट्टारक&oldid=172024" से लिया गया