"जैन धृति संस्कार" के अवतरणों में अंतर  

[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
पंक्ति १६: पंक्ति १६:
 
{{संस्कार}}
 
{{संस्कार}}
  
[[Category:जैन धर्म]][[Category:जैन धर्म कोश]]
+
[[Category:जैन धर्म]][[Category:जैन धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

१३:४२, २१ मार्च २०१४ का अवतरण

  • 'धृति' को 'सीमन्तोन्नयन' अथवा सीमान्त क्रिया भी कहते हैं।
  • इसको सातवें माह के शुभ दिन, नक्षत्र, योग, मुहूर्त आदि में करना चाहिए।
  • इसमें प्रथम संस्कार समान सब विधि कर लेना चाहिए।
  • पश्चात यन्त्र-पूजन एवं हवन करना चाहिए।
  • इसके बाद सौभाग्यवती नारियाँ गर्भिणी के केशों में तीन माँग निकालें।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=जैन_धृति_संस्कार&oldid=469814" से लिया गया