"नरेन्द्रसेन भट्टारक" के अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
छो (1 अवतरण) |
|||
(६ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ७ अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
− | + | '''आचार्य नरेन्द्रसेन भट्टारक'''<br /> | |
− | |||
*इनका एकमात्र न्याय-ग्रन्थ 'प्रमाणप्रमेयकलिका' है। | *इनका एकमात्र न्याय-ग्रन्थ 'प्रमाणप्रमेयकलिका' है। | ||
*इसमें तत्त्व-सामान्य की जिज्ञासा करते हुए उसके दो भेद- | *इसमें तत्त्व-सामान्य की जिज्ञासा करते हुए उसके दो भेद- | ||
पंक्ति ६: | पंक्ति ५: | ||
#प्रमेयतत्त्व बतलाकर उनका समीक्षापूर्वक विवेचन किया है। | #प्रमेयतत्त्व बतलाकर उनका समीक्षापूर्वक विवेचन किया है। | ||
*कृति सुन्दर और सुगम है। | *कृति सुन्दर और सुगम है। | ||
− | * | + | *यह [[भारतीय ज्ञानपीठ]] से प्रकाशित हो चुकी है। |
*ग्रन्थकार का समय वि0 सं0 1787 है। | *ग्रन्थकार का समय वि0 सं0 1787 है। | ||
− | [[Category:कोश]] | + | {{प्रचार}} |
+ | ==संबंधित लेख== | ||
+ | {{जैन धर्म2}} | ||
+ | {{जैन धर्म}} | ||
+ | [[Category:दर्शन कोश]] | ||
[[Category:जैन_दर्शन]] | [[Category:जैन_दर्शन]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
१२:१०, १६ जून २०११ के समय का अवतरण
आचार्य नरेन्द्रसेन भट्टारक
- इनका एकमात्र न्याय-ग्रन्थ 'प्रमाणप्रमेयकलिका' है।
- इसमें तत्त्व-सामान्य की जिज्ञासा करते हुए उसके दो भेद-
- प्रमाणतत्त्व और
- प्रमेयतत्त्व बतलाकर उनका समीक्षापूर्वक विवेचन किया है।
- कृति सुन्दर और सुगम है।
- यह भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हो चुकी है।
- ग्रन्थकार का समय वि0 सं0 1787 है।