मत्तनचेरी महल  

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मत्तनचेरी महल, कोच्चि

मत्तनचेरी महल (अंग्रेज़ी: Mattancherry Palace) कोच्चि, केरल में स्थित है जिसमें कोच्चि के राजा या राजवंश की विभिन्न वस्तुओं को संगृहीत करके रखा गया है। यह एक प्रकार का संग्रहालय वाला महल है जिसे बनाया तो पुर्तगालियों ने था लेकिन समय के साथ साथ यह महल डच लोगों यानि आज के नीदरलैंड जिसे हम हॉलैंड के नाम से भी जानते हैं, उन्होंने इस पर अपना कब्ज़ा जमाया। उनका इस महल पर लम्बे वर्षों तक कब्ज़ा रहा और उन्होंने अपने मनमुताबिक इस महल में कई परिवर्तन करवाए। इसीलिए इस महल को 'डच महल' के नाम से भी जाना जाता है।

इतिहास

मत्तनचेरी महल केरल राज्य के कोच्चि में स्थित है। इस जगह का इतिहास अति प्राचीन है। इस जगह पर कोच्चि के राजा केरल वर्मा को खुश करने के लिए पुर्तगाल ने एक भव्य महल का निर्माण करवाया था जिसे आज हम मत्तनचेरी महल के नाम से जानते हैं। मत्तनचेरी महल का निर्माण यूरोपीय देश पुर्तगाल के निवासियों ने किया था। इसका निर्माण वर्ष 1545 ई. के आस पास किया गया था। पुर्तगाली भारतवर्ष को लूटने के उद्देश्य से आये थे। इसीलिए ये जहाँ पर भी गए मार-काट करते थे।

पुर्तगाली दिन प्रतिदिन उद्दंड होते जा रहे थे और लोग भयभीत भी हो रहे थे। इसी क्रम में जब केरल में इनका अत्याचार बढ़ने लगा तब कोच्चि राजवंश के राजा केरल वर्मा ने इन्हें भारत से खदेड़ने का सोचा। पुर्तगालियों को जब यह बात पता चली तो वह भयभीत हो गए और उन्होंने कोच्चि के राजा को एक महल बनाकर भेंट स्वरूप दिया। राजा केरल वर्मा ने उस भेंट को स्वीकारा और उनसे यह आश्वासन भी लिया की भविष्य में कभी भी उनकी प्रजा को परेशान नहीं करेंगे।

स्थापत्य कला

मत्तनचेरी महल की स्थापत्य कला के बारे में बात करें तो यह पता चलता है की इस महल की दीवारों पर कुल 48 भित्तिचित्र बनाये गये हैं। इनकी बनावट और कलाकारी काफी श्रृंखलाबद्ध है। जिस वजह से यह काफी सुन्दर दिखता है। महल के अंदर की कलाकृति में वॉर्म रगों का प्रयोग किया गया है जिससे यह आज भी अपनी खूबसूरती को समाहित किये हुए है। ये भित्तिचित्र लगभग 300 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैले हुए हैं।

इन दीवारों पर हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध ग्रन्थ रामायण का चित्रण किया गया है। साथ ही कृष्णलीला का दीदार भी किया गया है। इसके ऊपर वाले कमरे में जिसे राज्याभिषेक हाल कहा जाता है इन पर भी भित्तिचित्र का सहारा लिया गया है। महल में उपनिवेशिक काल का प्रभाव दीखता है। इसे केरल की रचनात्मक शैली यानि नलुकुट्टु शैली में बनाया गया था। महल के आंगन में राजा की कुल देवी यानि पझाह्यनूर भगवती देवी जी की मूर्ति स्थापित है। ऐसा माना जाता था की राजा और उनके परिवार पर भगवती देवी की कृपा से ही राजा और उनकी प्रजा तरक्की कर पायी।

इस महल में कोच्चि के राजशाही परिवार की जीवन शैली की झलक मिलती है। मत्तनचेरी महल में राजशाही तलवार, कुल्हाड़ी, ढल, बरछे, राजमुकुट, सिक्के इत्यादि वस्तुओं को संग्रह करके रखा गया है। इसी तरह का एक प्रयास हैदराबाद सरकार या तेलंगाना सरकार द्वारा सालारजंग संग्रहालय बनाकर किया गया है। इस संग्रहालय में इसी प्रकार की सजावट और राजशाही परिवार से सम्बंधित वस्तुओं को रखा गया है। जो काफी रोमांचक लगता है। सन 1951 में केरल सरकार द्वारा इस महल की जर्जर हालत को देखते हुए इसे पुनः मरम्मत किया गया और इस महल को केंद्रीय संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित किया गया। जिस वजह से इस जगह का महत्ता भी बढ़ गई और विभिन्न पर्यटकों की नजरों में आने से इस स्थान का विकास भी संभव हो पाया।

कैसे पहुँचें

मत्तनचेरी महल से रेलवे स्टेशन की दूरी 10 कि.मी. है। इस स्टेशन को ऐर्नाकुलम रेलवे स्टेशन के नाम से भी जानते हैं। हवाई यात्रा के लिए कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जो इस जगह से लगभग 42 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।

अन्य आकर्षण

मत्तनचेरी में पर्यटन के लिए विभिन्न जगह और भी हैं, जैसे-

  1. कोचीन तिरुमला देवासवाम
  2. पहायानूर मंदिर
  3. कोच्ची संग्रहालय
  4. कुन्नन क्रॉस चर्च


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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