आचारांग सूत्र  

आचारांग सूत्र जैन धार्मिक ग्रंथ है। इसमें जैन भिक्षुओं द्वारा पालन किये जाने वाले आचरण व नियमों का उल्लेख है।

  • इस सूत्र में कहा गया है कि- पृथ्वीकायिक जीवों को उतना ही कष्ट होता है, जितना कि एक जन्मान्ध, गूंगे, बहरे, विकलांग व्यक्ति के अंगों को काटने से होता है।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=आचारांग_सूत्र&oldid=646342" से लिया गया