बड़े बड़ाई ना करैं -रहीम  

बड़े बड़ाई ना करैं , बड़ो न बोले बोल ।
‘रहिमन’ हीरा कब कहै, लाख टका मम मोल ॥

अर्थ

जो सचमुच बड़े होते हैं, वे अपनी बड़ाई नहीं किया करते, बड़े-बड़े बोल नहीं बोला करते। हीरा कब कहता है कि मेरा मोल लाख टके का है।[१]


रहीम के दोहे

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. छोटे छिछोरे आदमी ही बातें बना-बनाकर अपनी तारीफ के पुल बाँधा करते हैं।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=बड़े_बड़ाई_ना_करैं_-रहीम&oldid=548214" से लिया गया