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*[[राजस्थान]] के अलवर ज़िले में अरावली की पहाड़ियों पर 800 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला सरिस्का मुख्य रूप से वन्य जीव अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। | *[[राजस्थान]] के अलवर ज़िले में अरावली की पहाड़ियों पर 800 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला सरिस्का मुख्य रूप से वन्य जीव अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। | ||
*[[अलवर]] के सरिस्का की गिनती [[भारत]] के जाने माने वन्य जीव अभ्यारण्यों में की जाती है। | *[[अलवर]] के सरिस्का की गिनती [[भारत]] के जाने माने वन्य जीव अभ्यारण्यों में की जाती है। |
१२:०२, १२ अक्टूबर २०१० का अवतरण
- राजस्थान के अलवर ज़िले में अरावली की पहाड़ियों पर 800 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला सरिस्का मुख्य रूप से वन्य जीव अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है।
- अलवर के सरिस्का की गिनती भारत के जाने माने वन्य जीव अभ्यारण्यों में की जाती है।
- इसके अलावा इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व भी है।
- सरिस्का में बने मंदिरों के अवशेषों में गौरवशाली अतीत की झलक दिखती है।
- ईसापूर्व 5वीं शताब्दी के धर्मग्रन्थों में इस स्थान का उल्लेख मिलता है।
- कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान सरिस्का में आश्रय लिया था।
- मध्यकाल में औरंगज़ेब ने अपने भाई को कैद करने के लिए कंकावड़ी क़िले का प्रयोग किया था।
- 8वीं से 12वीं शताब्दी के दौरान यहाँ के अमीरों ने अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया।
- 20वीं शताब्दी में महाराजा जयसिंह ने सरिस्का को संरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए अभियान चलाया।
- आजादी के बाद 1958 में भारत सरकार ने इसे वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया और 1979 में इसे प्रोजेक्ट टाईगर के अधीन लाया गया।
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