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बीड़ शहर, भिर भी कहलाता है। यह मध्य [[महाराष्ट्र]] राज्य, पश्चिमी [[भारत]] में, [[कृष्णा नदी]] की सहायक नदी के किनारे, निचली पहाड़ी श्रृंखला की घाटी में स्थित है। इससे पहले [[चंपावतीनगर]] कहलाने वाले इस शहर का नाम संभवत: [[फ़ारसी]] के भिर (पानी) शब्द से लिया गया है।
 
बीड़ शहर, भिर भी कहलाता है। यह मध्य [[महाराष्ट्र]] राज्य, पश्चिमी [[भारत]] में, [[कृष्णा नदी]] की सहायक नदी के किनारे, निचली पहाड़ी श्रृंखला की घाटी में स्थित है। इससे पहले [[चंपावतीनगर]] कहलाने वाले इस शहर का नाम संभवत: [[फ़ारसी]] के भिर (पानी) शब्द से लिया गया है।
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
बीड़ का प्रारंभिक इतिहास यह है कि [[चालुक्य]] और यादव [[हिंदू]] राजवंशों से इसका संबद्ध रहा था। 14वीं शाताब्दी में बीड़ को [[तुग़लक़]] मुस्लिम राजवंश द्वारा जीत लिया गया था और 1947 तक यह मुस्लिम राज्य का ही एक भाग बना रहा था। [[किंवदती]] के अनुसार [[महाभारत]] काल में इस नगर का नाम [[दुर्गावती]] था।कुछ समय पश्चात् यह नाम [[बलनी]] हो गया। तत्पश्चात् [[विक्रमादित्य]] की बहिन चंपावती ने यहाँ विक्रमादित्य का अधिकार हो जाने पर इसका नाम [[चंपावती]] रख दिया था। 1660 ई॰ में बनी जामा मसज़िद भी यहाँ का ऐतिहासिक स्मारक है।
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बीड़ का प्रारंभिक इतिहास यह है कि [[चालुक्य]] और यादव [[हिंदू]] राजवंशों से इसका संबद्ध रहा था। 14वीं शाताब्दी में बीड़ को [[तुग़लक़]] मुस्लिम राजवंश द्वारा जीत लिया गया था और 1947 तक यह मुस्लिम राज्य का ही एक भाग बना रहा था। [[किंवदती]] के अनुसार [[महाभारत]] काल में इस नगर का नाम [[दुर्गावती]] था।कुछ समय पश्चात् यह नाम [[बलनी]] हो गया। तत्पश्चात् [[विक्रमादित्य]] की बहिन चंपावती ने यहाँ विक्रमादित्य का अधिकार हो जाने पर इसका नाम चंपावती रख दिया था। 1660 ई॰ में बनी जामा मसज़िद भी यहाँ का ऐतिहासिक स्मारक है।
 
====विज्जलवीड====
 
====विज्जलवीड====
बीड़ का संभवत: सर्वप्रथम उल्लेख विज्जलवीड नाम से गणितज्ञ भास्कराचार्य के ग्रंथों में मिलता है। इनका जन्म विज्जलवीड में हुआ था जो सह्याद्रि में स्थित था। भीड़ या बीड़ विज्जलवीड का ही संक्षिप्त अपभ्रंश ही दिखाई पड़ता है।  
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बीड़ का संभवत: सर्वप्रथम उल्लेख [[विज्जलवीड]] नाम से [[गणितज्ञ भास्कराचार्य]] के ग्रंथों में मिलता है। इनका जन्म विज्जलवीड में हुआ था जो सह्याद्रि में स्थित था। भीड़ या बीड़ विज्जलवीड का ही संक्षिप्त अपभ्रंश ही दिखाई पड़ता है।  
भास्कराचार्य 12वीं शती के प्रारंभ में हुए थे। इनके ग्रंथों-लीलावती तथा सिद्धांतशिरोमणी की तिथि 1120 ई॰ के आसपास मानी जाती है। बीड़ का प्राचीन इतिहास अंधकार में है किंतु यह निश्चित है कि यहाँ पर काल के क्रमानुसार आंध्र, चालुक्य, राष्ट्रकूट, यादव और फिर देहली के सुलतानों का आधिपत्य रहा था। अकबर के समकालीन इतिहास लेखक फ़रिश्ता ने लिखा है कि 1326 ई॰ में मुहम्मद तुग़लक बीड़ होकर गुज़रा था। तुग़लकों के पश्चात् बीड़ पर बहमनी वंश के निजामशाही और फिर आदिलशाही सुलतानों का क़ब्ज़ा हुआ और 1635 ई॰ में मुग़लों का। मुग़लों के पश्चात् यह स्थान मराठों और इसके बाद निज़ाम के राज्य में सम्मिलित हो गया था। भूतपूर्व हैदराबाद रियासत के भारत में विलयन तक यह नगर इसी रियासत में था।
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भास्कराचार्य 12वीं शती के प्रारंभ में हुए थे। इनके ग्रंथों-लीलावती तथा सिद्धांतशिरोमणी की तिथि 1120 ई॰ के आसपास मानी जाती है। बीड़ का प्राचीन इतिहास अंधकार में है किंतु यह निश्चित है कि यहाँ पर काल के क्रमानुसार [[आंध्र]], चालुक्य, राष्ट्रकूट, यादव और फिर देहली के सुलतानों का आधिपत्य रहा था। [[अकबर]] के समकालीन इतिहास लेखक [[फ़रिश्ता]] ने लिखा है कि 1326 ई॰ में [[मुहम्मद तुग़लक]] बीड़ होकर गुज़रा था। तुग़लकों के पश्चात् बीड़ पर बहमनी वंश के [[निजामशाही]] और फिर [[आदिलशाही]] सुलतानों का क़ब्ज़ा हुआ और 1635 ई॰ में मुग़लों का। मुग़लों के पश्चात् यह स्थान मराठों और इसके बाद निज़ाम के राज्य में सम्मिलित हो गया था। भूतपूर्व [[हैदराबाद]] रियासत के भारत में विलयन तक यह नगर इसी रियासत में था।
 
====कवि मुकुंदराम====
 
====कवि मुकुंदराम====
कहा जाता है कि बीड़ का ज़िला मराठी कवि मुकुंदराम की जन्मभूमि है। इनका जन्म अंबाजोगई नामक स्थान पर हुआ था। महानुभाव-साहित्य की ख़ोज़ होने से पूर्व ये मराठी के प्राचीनतम कवि माने जाते थे। इनके ग्रंथ विवेकसिंधु, परमामृत आदि हैं।  
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कहा जाता है कि बीड़ का ज़िला मराठी कवि मुकुंदराम की जन्मभूमि है। इनका जन्म [[अंबाजोगई]] नामक स्थान पर हुआ था। महानुभाव-साहित्य की ख़ोज़ होने से पूर्व ये मराठी के प्राचीनतम कवि माने जाते थे। इनके ग्रंथ विवेकसिंधु, परमामृत आदि हैं।  
 
====दासोपंत====
 
====दासोपंत====
दासोपंत जी (1550-1615 ई॰) का निवास स्थान अंबाजोगई में ही  था। इन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता पर बृहत् टीका लिखी है। काग़ज के अभाव में इन्होंने अपने ग्रंथ खद्दर के कपड़े पर लिखे थे। इनका एक ग्रंथ परिमाण में 24 हाथ लंबा और 2.5 हाथ चौड़ा है।  
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दासोपंत जी (1550-1615 ई॰) का निवास स्थान [[अंबाजोगई]] में ही  था। इन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता पर बृहत् टीका लिखी है। काग़ज के अभाव में इन्होंने अपने ग्रंथ खद्दर के कपड़े पर लिखे थे। इनका एक ग्रंथ परिमाण में 24 हाथ लंबा और 2.5 हाथ चौड़ा है।  
 
==कृषि और खनिज==
 
==कृषि और खनिज==
बीड़ क्षेत्र मुख्यत: कृषि पर आश्रित है। यहाँ पर ज्वार, कपास, तिलहन और दलहन प्रमुख फ़सलें हैं। गन्ना और तरबूज़, अंगूर व आम जैसे फलों की खेती का क्षेत्रफल भी यहाँ पर बढ़ रहा है।
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बीड़ क्षेत्र मुख्यत: कृषि पर आश्रित है। यहाँ पर [[ज्वार]], [[कपास]], [[तिलहन]] और [[दलहन]] प्रमुख फ़सलें हैं। [[गन्ना]] और तरबूज़, अंगूर व आम जैसे फलों की खेती का क्षेत्रफल भी यहाँ पर बढ़ रहा है।
 
====सिंचाई परियोजनाऐं====
 
====सिंचाई परियोजनाऐं====
 
बीड़ में सिंदफाना नदी पर हाल ही में निर्मित माजलगाँव परियोजना और केज के समीप मांजरा नदी परियोजना जैसी सिंचाई योजनाओं ने वर्षा की कमी को पूरा किया है। और कृषि-उत्पादन, जिसमें कपास और ज्वार प्रमुख फ़सलें हैं, इनको को सुदृढ़ किया है। सहायक नदियों पर बनी बहुत सी छोटी-छोटी सिंचाई परियोजनाओं से भी कृषि-उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
 
बीड़ में सिंदफाना नदी पर हाल ही में निर्मित माजलगाँव परियोजना और केज के समीप मांजरा नदी परियोजना जैसी सिंचाई योजनाओं ने वर्षा की कमी को पूरा किया है। और कृषि-उत्पादन, जिसमें कपास और ज्वार प्रमुख फ़सलें हैं, इनको को सुदृढ़ किया है। सहायक नदियों पर बनी बहुत सी छोटी-छोटी सिंचाई परियोजनाओं से भी कृषि-उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
 
==उद्योग और व्यापार==
 
==उद्योग और व्यापार==
बीड़ शहर को चमड़े के काम के लिए जाना जाता है। यहाँ पर काफ़ी बड़ी संख्या में भूमिहीन मज़दूर, मौसमी तौर पर पास के औरंगाबाद ज़िले की चीनी मिलों में काम करने के लिए जाते हैं।
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बीड़ शहर को चमड़े के काम के लिए जाना जाता है। यहाँ पर काफ़ी बड़ी संख्या में भूमिहीन मज़दूर, मौसमी तौर पर पास के [[औरंगाबाद]] ज़िले की चीनी मिलों में काम करने के लिए जाते हैं।
 
==शिक्षण संस्थान==
 
==शिक्षण संस्थान==
 
बीड़ शहर में मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय हैं।
 
बीड़ शहर में मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय हैं।
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बीड़ में खंडेश्वरी देवी के दो मंदिर हैं। मंदिर के एक ऊर की दीवार गढ़े हुए सुडौल पत्थरों की बनी है। दूसरा मंदिर नगर से कुछ दूर है। इसमें मूल मूर्ति के अभाव में खांडोबा की प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। इस मंदिर में 45 फुट ऊँचे दो दीपस्तंभ हैं जो वर्गाकार आधार पर स्थित हैं। 1660 ई॰ में बनी जामा मसज़िद भी यहाँ का ऐतिहासिक स्मारक है।  
 
बीड़ में खंडेश्वरी देवी के दो मंदिर हैं। मंदिर के एक ऊर की दीवार गढ़े हुए सुडौल पत्थरों की बनी है। दूसरा मंदिर नगर से कुछ दूर है। इसमें मूल मूर्ति के अभाव में खांडोबा की प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। इस मंदिर में 45 फुट ऊँचे दो दीपस्तंभ हैं जो वर्गाकार आधार पर स्थित हैं। 1660 ई॰ में बनी जामा मसज़िद भी यहाँ का ऐतिहासिक स्मारक है।  
 
====नदियाँ====
 
====नदियाँ====
बीड़ और उसका परिप्रदेश गोदावरी नदी के बेसिन पर स्थित है। बालाघाट पठार कई नदियों का स्त्रोत है, जिनका निर्गम गोदावरी की सहायक नदी, मांजरा में होता है। इसके तटों पर अनेक मंदिर हैं, जिनके कारण लोग इसे पवित्र मानते हैं। भौतिक रूप से इस ज़िले के तीन भाग हैं :  
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बीड़ और उसका परिप्रदेश [[गोदावरी नदी]] के बेसिन पर स्थित है। [[बालाघाट]] पठार कई नदियों का स्त्रोत है, जिनका निर्गम गोदावरी की सहायक नदी, मांजरा में होता है। इसके तटों पर अनेक मंदिर हैं, जिनके कारण लोग इसे पवित्र मानते हैं। भौतिक रूप से इस ज़िले के तीन भाग हैं :  
 
*उत्तर में गंगथाडी (गोदावरी बेसिन)।
 
*उत्तर में गंगथाडी (गोदावरी बेसिन)।
 
* मध्य में बालाघाट पठार और।  
 
* मध्य में बालाघाट पठार और।  
 
*दक्षिण में संकरी मांजरथाडी (मांजरा बेसिन)।
 
*दक्षिण में संकरी मांजरथाडी (मांजरा बेसिन)।

१०:१८, ११ मई २०१० का अवतरण

बीड़ महाराष्ट्र

स्थापना

बीड़ शहर, भिर भी कहलाता है। यह मध्य महाराष्ट्र राज्य, पश्चिमी भारत में, कृष्णा नदी की सहायक नदी के किनारे, निचली पहाड़ी श्रृंखला की घाटी में स्थित है। इससे पहले चंपावतीनगर कहलाने वाले इस शहर का नाम संभवत: फ़ारसी के भिर (पानी) शब्द से लिया गया है।

इतिहास

बीड़ का प्रारंभिक इतिहास यह है कि चालुक्य और यादव हिंदू राजवंशों से इसका संबद्ध रहा था। 14वीं शाताब्दी में बीड़ को तुग़लक़ मुस्लिम राजवंश द्वारा जीत लिया गया था और 1947 तक यह मुस्लिम राज्य का ही एक भाग बना रहा था। किंवदती के अनुसार महाभारत काल में इस नगर का नाम दुर्गावती था।कुछ समय पश्चात् यह नाम बलनी हो गया। तत्पश्चात् विक्रमादित्य की बहिन चंपावती ने यहाँ विक्रमादित्य का अधिकार हो जाने पर इसका नाम चंपावती रख दिया था। 1660 ई॰ में बनी जामा मसज़िद भी यहाँ का ऐतिहासिक स्मारक है।

विज्जलवीड

बीड़ का संभवत: सर्वप्रथम उल्लेख विज्जलवीड नाम से गणितज्ञ भास्कराचार्य के ग्रंथों में मिलता है। इनका जन्म विज्जलवीड में हुआ था जो सह्याद्रि में स्थित था। भीड़ या बीड़ विज्जलवीड का ही संक्षिप्त अपभ्रंश ही दिखाई पड़ता है। भास्कराचार्य 12वीं शती के प्रारंभ में हुए थे। इनके ग्रंथों-लीलावती तथा सिद्धांतशिरोमणी की तिथि 1120 ई॰ के आसपास मानी जाती है। बीड़ का प्राचीन इतिहास अंधकार में है किंतु यह निश्चित है कि यहाँ पर काल के क्रमानुसार आंध्र, चालुक्य, राष्ट्रकूट, यादव और फिर देहली के सुलतानों का आधिपत्य रहा था। अकबर के समकालीन इतिहास लेखक फ़रिश्ता ने लिखा है कि 1326 ई॰ में मुहम्मद तुग़लक बीड़ होकर गुज़रा था। तुग़लकों के पश्चात् बीड़ पर बहमनी वंश के निजामशाही और फिर आदिलशाही सुलतानों का क़ब्ज़ा हुआ और 1635 ई॰ में मुग़लों का। मुग़लों के पश्चात् यह स्थान मराठों और इसके बाद निज़ाम के राज्य में सम्मिलित हो गया था। भूतपूर्व हैदराबाद रियासत के भारत में विलयन तक यह नगर इसी रियासत में था।

कवि मुकुंदराम

कहा जाता है कि बीड़ का ज़िला मराठी कवि मुकुंदराम की जन्मभूमि है। इनका जन्म अंबाजोगई नामक स्थान पर हुआ था। महानुभाव-साहित्य की ख़ोज़ होने से पूर्व ये मराठी के प्राचीनतम कवि माने जाते थे। इनके ग्रंथ विवेकसिंधु, परमामृत आदि हैं।

दासोपंत

दासोपंत जी (1550-1615 ई॰) का निवास स्थान अंबाजोगई में ही था। इन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता पर बृहत् टीका लिखी है। काग़ज के अभाव में इन्होंने अपने ग्रंथ खद्दर के कपड़े पर लिखे थे। इनका एक ग्रंथ परिमाण में 24 हाथ लंबा और 2.5 हाथ चौड़ा है।

कृषि और खनिज

बीड़ क्षेत्र मुख्यत: कृषि पर आश्रित है। यहाँ पर ज्वार, कपास, तिलहन और दलहन प्रमुख फ़सलें हैं। गन्ना और तरबूज़, अंगूर व आम जैसे फलों की खेती का क्षेत्रफल भी यहाँ पर बढ़ रहा है।

सिंचाई परियोजनाऐं

बीड़ में सिंदफाना नदी पर हाल ही में निर्मित माजलगाँव परियोजना और केज के समीप मांजरा नदी परियोजना जैसी सिंचाई योजनाओं ने वर्षा की कमी को पूरा किया है। और कृषि-उत्पादन, जिसमें कपास और ज्वार प्रमुख फ़सलें हैं, इनको को सुदृढ़ किया है। सहायक नदियों पर बनी बहुत सी छोटी-छोटी सिंचाई परियोजनाओं से भी कृषि-उत्पादकता में वृद्धि हुई है।

उद्योग और व्यापार

बीड़ शहर को चमड़े के काम के लिए जाना जाता है। यहाँ पर काफ़ी बड़ी संख्या में भूमिहीन मज़दूर, मौसमी तौर पर पास के औरंगाबाद ज़िले की चीनी मिलों में काम करने के लिए जाते हैं।

शिक्षण संस्थान

बीड़ शहर में मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय हैं।

जनसंख्या

बीड़ शहर की जनसंख्या (2001) 1,38,091 है। और बीड़ ज़िले की कुल जनसंख्या 21,59,84 है।

पर्यटन

बीड़ सुदंर कंकालेश्वर मंदिर के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां एक ग़रीब ब्राह्मण ने अपनी गहन उपासना के पुरस्कारस्वरूप सोने से भरे 1,000 पात्र प्राप्त किए थे। बीड़ में खंडेश्वरी देवी के दो मंदिर हैं। मंदिर के एक ऊर की दीवार गढ़े हुए सुडौल पत्थरों की बनी है। दूसरा मंदिर नगर से कुछ दूर है। इसमें मूल मूर्ति के अभाव में खांडोबा की प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। इस मंदिर में 45 फुट ऊँचे दो दीपस्तंभ हैं जो वर्गाकार आधार पर स्थित हैं। 1660 ई॰ में बनी जामा मसज़िद भी यहाँ का ऐतिहासिक स्मारक है।

नदियाँ

बीड़ और उसका परिप्रदेश गोदावरी नदी के बेसिन पर स्थित है। बालाघाट पठार कई नदियों का स्त्रोत है, जिनका निर्गम गोदावरी की सहायक नदी, मांजरा में होता है। इसके तटों पर अनेक मंदिर हैं, जिनके कारण लोग इसे पवित्र मानते हैं। भौतिक रूप से इस ज़िले के तीन भाग हैं :

  • उत्तर में गंगथाडी (गोदावरी बेसिन)।
  • मध्य में बालाघाट पठार और।
  • दक्षिण में संकरी मांजरथाडी (मांजरा बेसिन)।
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