"दक्षिणायण" के अवतरणों में अंतर
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*इस काल में षोड़श कर्म और अन्य मांगलिक कर्मों के आतिरिक्त अन्य कर्म ही मान्य है। | *इस काल में षोड़श कर्म और अन्य मांगलिक कर्मों के आतिरिक्त अन्य कर्म ही मान्य है। | ||
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१३:३७, १७ मई २०१२ का अवतरण
दक्षिणायण में सूर्य कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर अर्थात भूमध्य रेखा से दक्षिण दिशा की ओर भ्रमण करता है।
- दक्षिणायण का समय देवताओं की रात्रि माना जाता है।
- जब सूर्य कर्क राशि अर्थात 21-22 जून से ले कर 6 माह तक अर्थात धनु राशि तक रहता है, तब तक दक्षिणायण कहलाता है। इसे 'याम्य अयण' भी कहते हैं।
- दक्षिणायन में वर्षा, शरद और हेमंत आदि ऋतु होती है।
- इस काल में सूर्य, पितरों का अधिपति माना जाता है।
- इस काल में षोड़श कर्म और अन्य मांगलिक कर्मों के आतिरिक्त अन्य कर्म ही मान्य है।
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