"अयन" के अवतरणों में अंतर
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− | *हिंदू धर्म में अयन 'समय प्रणाली' है जिससे ॠतुओं का | + | *हिंदू धर्म में अयन 'समय प्रणाली' है जिससे ॠतुओं का ज्ञान होता है। |
*क्रांति वृत के प्रथम अंश का विभाजन उत्तर और दक्षिण गोल के मध्यवर्ती धुर्वों के द्वारा माना गया है। यह विभाजन "उत्तरायन" और "दक्षिणायन" कहलाता है। | *क्रांति वृत के प्रथम अंश का विभाजन उत्तर और दक्षिण गोल के मध्यवर्ती धुर्वों के द्वारा माना गया है। यह विभाजन "उत्तरायन" और "दक्षिणायन" कहलाता है। | ||
− | *एक वर्ष दो अयन के बराबर होता है और एक अयन [[देवता]] का एक दिन होता है. 360 अयन | + | *एक वर्ष दो अयन के बराबर होता है और एक अयन [[देवता]] का एक दिन होता है. 360 अयन देवता का एक वर्ष बन जाता है। |
*[[सूर्य ग्रह|सूर्य]] की स्थिति के अनुसार वर्ष के आधे भाग को अयन कहते हैं। अयन दो होते हैं- | *[[सूर्य ग्रह|सूर्य]] की स्थिति के अनुसार वर्ष के आधे भाग को अयन कहते हैं। अयन दो होते हैं- | ||
#[[उत्तरायन]] - सूर्य के उत्तर दिशा में अयन अर्थात गमन को उत्तरायन कहा जाता है। | #[[उत्तरायन]] - सूर्य के उत्तर दिशा में अयन अर्थात गमन को उत्तरायन कहा जाता है। |
०६:२२, १९ सितम्बर २०१० का अवतरण
- 'अयन' का अर्थ होता है चलना।
- पूरे वर्ष में सूर्य गतिमान रहता है, सूर्य की अवस्था से ही ॠतुओं का निर्धारण होता है।
- हिंदू धर्म में अयन 'समय प्रणाली' है जिससे ॠतुओं का ज्ञान होता है।
- क्रांति वृत के प्रथम अंश का विभाजन उत्तर और दक्षिण गोल के मध्यवर्ती धुर्वों के द्वारा माना गया है। यह विभाजन "उत्तरायन" और "दक्षिणायन" कहलाता है।
- एक वर्ष दो अयन के बराबर होता है और एक अयन देवता का एक दिन होता है. 360 अयन देवता का एक वर्ष बन जाता है।
- सूर्य की स्थिति के अनुसार वर्ष के आधे भाग को अयन कहते हैं। अयन दो होते हैं-
- उत्तरायन - सूर्य के उत्तर दिशा में अयन अर्थात गमन को उत्तरायन कहा जाता है।
- दक्षिणायन - सूर्य के दक्षिण दिशा में अयन अर्थात गमन को दक्षिणायन कहा जाता है।
संबंधित लेख
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टीका टिप्पणी और संदर्भ