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मानव के लिए एक छोटे कदम लेकिन मानवता के लिए एक बड़ी शुरुआत करने वाले नील आर्मस्ट्रांग आज भले ही हमारे बीच न हों, मगर उनकी यह उपलब्धि आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। स्टीफन आर्मस्ट्रांग और विवियोला इंजेल की प्रथम संतान के रूप में इनका जन्म 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो प्रान्त के वापाकोनेता में हुआ। चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग में हवाई यात्राओं के प्रति रूचि बचपन से ही शायद तभी जाग गई जब उनके पिता उन्हें हवाई उड़ानों को दिखलाने ले जाया करते थे। 6 वर्ष की अवस्था में ही इन्हें पिता के साथ अपनी पहली हवाई यात्रा का अनुभव हुआ। मात्र 15 वर्ष की आयु में इन्होने अपना फ्लाईट सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया और विमान उड़ना शुरू किया था।
 
मानव के लिए एक छोटे कदम लेकिन मानवता के लिए एक बड़ी शुरुआत करने वाले नील आर्मस्ट्रांग आज भले ही हमारे बीच न हों, मगर उनकी यह उपलब्धि आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। स्टीफन आर्मस्ट्रांग और विवियोला इंजेल की प्रथम संतान के रूप में इनका जन्म 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो प्रान्त के वापाकोनेता में हुआ। चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग में हवाई यात्राओं के प्रति रूचि बचपन से ही शायद तभी जाग गई जब उनके पिता उन्हें हवाई उड़ानों को दिखलाने ले जाया करते थे। 6 वर्ष की अवस्था में ही इन्हें पिता के साथ अपनी पहली हवाई यात्रा का अनुभव हुआ। मात्र 15 वर्ष की आयु में इन्होने अपना फ्लाईट सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया और विमान उड़ना शुरू किया था।
 
इन्होने Aeronautical Engineering में स्नातक तथा Aerospace Engineering में परास्नातक की उपाधियाँ प्राप्त कीं। इस शिक्षा द्वारा उन्होंने जो विमान सञ्चालन संबंधी तकनिकी कार्यकुशलता प्राप्त की उसका लाभ उन्हें आगामी कई उड़ान अभियानों में मिला।
 
इन्होने Aeronautical Engineering में स्नातक तथा Aerospace Engineering में परास्नातक की उपाधियाँ प्राप्त कीं। इस शिक्षा द्वारा उन्होंने जो विमान सञ्चालन संबंधी तकनिकी कार्यकुशलता प्राप्त की उसका लाभ उन्हें आगामी कई उड़ान अभियानों में मिला।

०६:३२, ३० अगस्त २०१२ का अवतरण

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नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong)

नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong))

मानव के लिए एक छोटे कदम लेकिन मानवता के लिए एक बड़ी शुरुआत करने वाले नील आर्मस्ट्रांग आज भले ही हमारे बीच न हों, मगर उनकी यह उपलब्धि आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। स्टीफन आर्मस्ट्रांग और विवियोला इंजेल की प्रथम संतान के रूप में इनका जन्म 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो प्रान्त के वापाकोनेता में हुआ। चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग में हवाई यात्राओं के प्रति रूचि बचपन से ही शायद तभी जाग गई जब उनके पिता उन्हें हवाई उड़ानों को दिखलाने ले जाया करते थे। 6 वर्ष की अवस्था में ही इन्हें पिता के साथ अपनी पहली हवाई यात्रा का अनुभव हुआ। मात्र 15 वर्ष की आयु में इन्होने अपना फ्लाईट सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया और विमान उड़ना शुरू किया था। इन्होने Aeronautical Engineering में स्नातक तथा Aerospace Engineering में परास्नातक की उपाधियाँ प्राप्त कीं। इस शिक्षा द्वारा उन्होंने जो विमान सञ्चालन संबंधी तकनिकी कार्यकुशलता प्राप्त की उसका लाभ उन्हें आगामी कई उड़ान अभियानों में मिला।

एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में उभरने से पूर्व आर्मस्ट्रोंग संयुक्त राष्ट्र नौसेना के अधिकारी रहे तथा कोरिया युद्ध में भी अपनी सेवाएं दीं। युद्ध के पश्चात वे एक पायलट के रूप में National Advisory Comittee for Aeronautics से जुड़े जहाँ उन्होंने 900 से अधिक उड़ानों का अनुभव प्राप्त किया।

जनवरी 1956 में इनका विवाह Janet Elizabeth Shearon से हुआ। 1958 में इनका चयन अमेरिकी वायुसेना के ‘Man in Space Soonest‘ कार्यक्रम में हुआ। यह दौर चन्द्रमा से संबंधित अनेक सफल-असफल अभियानों का था। आर्मस्ट्रांग अब तक बार-बार यह प्रदर्शित कर चुके थे कि वे उड़ानों को लेकर कितने समर्पित और दक्ष हैं। इसके साथ ही उनके व्यक्तित्व का एक सुनहरा पक्ष भी उभरकर सामने आया कि वे अपने मिशनों की सफलता में अपने अहम को आड़े नहीं आने देते। उनके चरित्र के इन्ही मजबूत पक्षों ने चन्द्रमा के लिए बहुप्रतीक्षित ‘अपोलो 11’ उड़ान की कमान उनके हाथों में सौंप दी और अंततः 20 जुलाई 1969 को यान की चंद्रमा के धरातल पर सुरक्षित लैंडिंग हो ही गई। मिशन कंट्रोल रूम को आर्मस्ट्रांग का पहला सन्देश था - Houston, Tranquility Base Here. The Eagle has landed.” 21 जुलाई, 1969 वह ऐतिहासिक दिन था जब मानव ने पहली बार पृथ्वी के बाहर किसी खगोलीय पिंड पर आधिकारिक रूप से अपने कदम रखे। इस मौके पर आर्मस्ट्रांग के विश्वप्रसिद्ध उद्दगार थे – That’s one small step for man, one giant leap for mankind.” ('एक आदमी का छोटा कदम, मानवता के लिए बड़ी छलांग' बताया था।) 20वीं शताब्दी में उनकी यह उक्ति खासी लोकप्रिय हुई थी।

आर्म्सट्रांग ने 1971 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा छोड़ दिया था और छात्रों को अंतरिक्ष इंजीनियरिंग के बारे में पढ़ाने लगे थे।

आर्म्सट्रांग हृदय रोग के निदान के लिए उनका ऑपरेशन किया गया था, लेकिन इसके बाद उनकी हालत और बिगड़ती गई और 25 अगस्त 2012 को अंतत: उन्होंने दम तोड़ दिया।

चन्द्रमा को लेकर कई मिथकों और भ्रांतियों से घिरी मानव सभ्यता को आज विज्ञान ने एक नई दिशा दिखाई थी, जो भविष्य में कई अभियानों का आधार बनी। भले ही आर्मस्ट्रांग सशरीर हमारे बीच न रहे हों, मगर अंतरिक्ष अभियानों में उनके क़दमों के निशाँ मानवजाति को सदा-सर्वदा प्रेरित करते रहेंगे। अब जब हम चाँद की ओर निहारें तो शायद उसमें कहीं आर्मस्ट्रांग का अक्स भी नजर आ जाये।



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