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*पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि जब देवराज [[इंद्र]] वृत्रासुर से संग्राम में पराजित होकर भागे तो उन्हांने यहीं आकर [[शिव]] की आराधना की थी। | *पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि जब देवराज [[इंद्र]] वृत्रासुर से संग्राम में पराजित होकर भागे तो उन्हांने यहीं आकर [[शिव]] की आराधना की थी। | ||
*शिव से वरदान प्राप्त होने पर ही वे वृत्रासुर को मार सके थे। | *शिव से वरदान प्राप्त होने पर ही वे वृत्रासुर को मार सके थे। | ||
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०९:२२, २ फ़रवरी २०१२ का अवतरण
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इंद्रप्रयाग उत्तराखण्ड के ऋषिकेश से देवप्रयाग जाने वाले मार्ग पर नवालिका-गंगा-संगम पर स्थित प्राचीन तीर्थ था।
- पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि जब देवराज इंद्र वृत्रासुर से संग्राम में पराजित होकर भागे तो उन्हांने यहीं आकर शिव की आराधना की थी।
- शिव से वरदान प्राप्त होने पर ही वे वृत्रासुर को मार सके थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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