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सालसेट को लेकर [[मराठा|मराठों]] एवं [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] के बीच संघर्ष [[मार्च]], 1739 में हुआ। इस समय मराठा शक्ति पेशवा [[बाजीराव प्रथम|बाजीराव]] के नेतृत्व में एक प्रगतिशील शक्ति थी। लेकिन मराठों को सालसेट के द्वीप और बेसिन लेने में पसीने आ गये। इस कार्य को पूर्ण किया, बाजीराव के भाई, चिमनाजी ने। बम्बई के [[अंग्रेज़]] इस घटना से घबरा गये। अतः उन्होंने [[जुलाई]], 1739 में मराठों से संधि कर ली और मराठों ने अंग्रेज़ों को दक्खिन में व्यापार करने की छूट दे दी। | सालसेट को लेकर [[मराठा|मराठों]] एवं [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] के बीच संघर्ष [[मार्च]], 1739 में हुआ। इस समय मराठा शक्ति पेशवा [[बाजीराव प्रथम|बाजीराव]] के नेतृत्व में एक प्रगतिशील शक्ति थी। लेकिन मराठों को सालसेट के द्वीप और बेसिन लेने में पसीने आ गये। इस कार्य को पूर्ण किया, बाजीराव के भाई, चिमनाजी ने। बम्बई के [[अंग्रेज़]] इस घटना से घबरा गये। अतः उन्होंने [[जुलाई]], 1739 में मराठों से संधि कर ली और मराठों ने अंग्रेज़ों को दक्खिन में व्यापार करने की छूट दे दी। | ||
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१०:१९, २६ नवम्बर २०११ का अवतरण
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सालसेट भारत के पश्चिमी तट पर मुम्बई के निकट स्थित एक द्वीप है।
इतिहास
सालसेट को लेकर मराठों एवं पुर्तग़ालियों के बीच संघर्ष मार्च, 1739 में हुआ। इस समय मराठा शक्ति पेशवा बाजीराव के नेतृत्व में एक प्रगतिशील शक्ति थी। लेकिन मराठों को सालसेट के द्वीप और बेसिन लेने में पसीने आ गये। इस कार्य को पूर्ण किया, बाजीराव के भाई, चिमनाजी ने। बम्बई के अंग्रेज़ इस घटना से घबरा गये। अतः उन्होंने जुलाई, 1739 में मराठों से संधि कर ली और मराठों ने अंग्रेज़ों को दक्खिन में व्यापार करने की छूट दे दी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख