एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

"प्रयोग:दीपिका3" के अवतरणों में अंतर  

 

(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के १२ अवतरण नहीं दर्शाए गए)

पंक्ति ६: पंक्ति ६:
 
<quiz display=simple>
 
<quiz display=simple>
  
{[[दबाव समूह|दबाव समूहों]] का स्वभाव होता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-108,प्रश्न-27
+
{[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-राजनीतिक दल के रूप में
+
-[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]]
-न्यायपालिका के रूप में
+
+[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]]
-समूह-अभिकरण के रूप में
+
-[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]]
+अदृश्य सरकार के रूप में
+
-[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]]
||[[दबाव समूह|दबाव समूहों]] को इनकी कार्यशैली के कारण 'अदृश्य सरकार' कहा जाता है। एस. इ. फाइनर ने इन्हें 'अज्ञात साम्राज्य' की संज्ञा दी है। शुम्पीटर ने इन्हें वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में 'गुमनाम साम्राज्य के शासक' कहा है।
+
||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है।
  
{[[भारत]] में 'एपलबी समिति' की स्थापना किस में सुधार करने के लिये हुई थी, निम्नलिखित में सुधार करने के लिए- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-17
 
|type="()"}
 
-कैबिनेट प्रणाली
 
-केंद्र-राज्य संबंध
 
-आंग्ल-भारतीय हेतु विशेष प्रावधान
 
+भारतीय प्रशासन
 
||वर्ष 1953 में लोक प्रशासन के प्रबुद्ध अमेरिकी विद्वान डीन पाल एपलबी ने भारतीय लोक सेवा के संदर्भ में अपनी अनुशंसाएं [[भारत सरकार]] को सौंपी। उनकी अनुशंसा के अनुसार 1954 में [[नई दिल्ली]] में भारतीय लोक 'इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन' की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य [[भारत]] में लोक प्रशासन के विधिवत अध्ययन एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करना तथा सरकारी कर्मचारियों को समुचित प्रशिक्षण प्रदान करना है।
 
 
{परमाणु अप्रसार संधि पर [[अमेरिका]] और [[सोवियत संघ]] ने कब हस्ताक्षर किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-115,प्रश्न-27
 
|type="()"}
 
+1971 के पूर्व
 
-1971 के पश्चात
 
-1975 के पश्चात
 
-उपर्युक्त सभी असत्य है
 
||परमाणु अप्रसार संधि पर [[अमेरिका]] और सोवियत संघ ने 1971 के पूर्व वर्ष 1968 में हस्ताक्षर किए थे।
 
 
{इनमें से किसका नाम वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत के साथ जुड़ा हुआ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-136,प्रश्न-48
 
|type="()"}
 
-राइमन ग्वोलो
 
-विशप साइक्लो
 
-हैंड्रिक गेलर
 
+फ्रेडरिक टेलर
 
||फ्रेडरिक टेलर का नाम वैज्ञानिक प्रबंध सिद्धांत के साथ जुड़ा हुआ है।
 
 
{'लेनिन का मार्क्सवाद [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] के सिद्धांतों की दृढ़ता में एवं कट्टरतम स्वीकृति होने के साथ परिस्थितियों के अनुसार इन सिद्धांतों की स्वतंत्रतम बदलती हुई व्यवस्था है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-55,प्रश्न-31
 
|type="()"}
 
-प्रो. लास्की
 
+जार्ज एच. सेबाइन
 
-कोकर
 
-कैटलीन
 
||जॉर्ज एच. सेबाइस ने अपनी पुस्तक "द हिस्ट्री ऑफ़ पॉलिटिकल थियरी" (1973) में लिखा है कि "लेनिन का मार्क्सवाद मार्क्स के सिद्धांतों की दृढ़तम एवं कट्टरतम स्वीकृत होने के साथ परिस्थितियों के अनुसार इन सिद्धांतों की स्वतंत्रतम बदलती हुई व्यवस्था है।"
 
 
{के.सी. व्हीयर द्वारा प्रतिपादित 'व्यवस्थापिकाओं के ह्रास' का अर्थ है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-52
 
|type="()"}
 
-उनकी कानूनी शक्तियों में कमी
 
-उनकी प्रतिष्ठा तथा स्थिति में अवनति
 
+दूसरी संस्थाओं की बढ़ती हुई शक्तियों की तुलना में उनकी स्थिति में उतार
 
-सरकार के बढ़ते हुई कार्यों को करने में उनकी अक्षमता
 
||के.सी. व्हीयर ने अपनी पुस्तक 'लेजिस्लेचर्स' में एक अध्याय 'व्यवस्थापिकाओं का पतन' जोड़ा है। इनके अनुसार, व्यवस्थापिकाओं के ह्रास का अर्थ है कि दूसरी संस्थाओं की बढ़ती हुई शक्तियों की तुलना में उनकी स्थिति में  उतार हुआ है।
 
  
{'उदारवाद' शब्द की उत्पत्ति 'लिबर' शब्द से है जो लिया गया है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-86,प्रश्न-20
+
{'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-फ्रेंच भाषा से
+
-[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से
+लैटिन भाषा से
+
-[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से
-ग्रीक भाषा से
+
+[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से
-जर्मन भाषा से
+
-कॉमनवेल्थ की सदस्यता से
||'लिबर्टी' शब्द लैटिन भाषा के 'लाइबर' शब्द से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है 'बंधनों का अभाव'। किंतु स्वतंत्रता शब्द की व्युत्पत्ति के आधार पर प्रचलित इस अर्थ को स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ नहीं माना जा सकता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में रहते हुए मनुष्य असीमित स्वतंत्रता का उपभोग नहीं कर सकता। उसे सामाजिक नियमों की मर्यादा के अंतर्गत रहना होता है। अत: स्वतंत्रता मानवीय प्रकृति और सामाजिक जीवन के इन दो विरोधी तत्वों (बंधनों का अभाव और नियमों का पालन) में सामंजस्य का नाम है।
+
||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था।
  
{किसकी देख-रेख में ज़िले की पुलिस बल शांति और व्यवस्था कायम करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-18
 
|type="()"}
 
+ज़िलाधीश
 
-पुलिस कप्तान
 
-राज्य के गृह मंत्री
 
-[[मुख्यमंत्री]]
 
||ज़िले में कानून व्यवस्था बनाए रखना जिलाधीश का कर्तव्य होता है। ज़िलाधीश के अन्य संबंधित कर्त्तव्य हैं- पुलिस और जेलों का पर्यवेक्षण, अधीनस्थ कार्यकारी मजिस्ट्रेट के पद का पर्यवेक्षण, दंड प्रक्रिया संहिता की निवारक खंड के अंतर्गत मामलों की सुनवाई आदि।
 
  
{"प्रशासन कार्यों के प्रबंध अथवा उनको पूर्ण करने की एक क्रिया है।" यह व्याख्या किसकी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-136,प्रश्न-49
 
|type="()"}
 
-डिमॉक
 
+लूथर गुलिक
 
-एपिलबी
 
-इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका
 
||लूथर गुलिक के अनुसार, "प्रशासन कार्यों के प्रबंध अथवा उनका पूर्ण करने की एक क्रिया है"। अर्थात प्रशासन  की चार विशेषताएं हैं- कार्य विभाजन, पदसोपान, निर्वैव्यक्तिता तथा कार्यकुशलता गुलिक ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पोस्डकोर्ब शब्द का विशेष रूप से प्रयोग किया है।
 
  
{नेतृत्व के सिद्धांत के रूप में 'पारिस्थिति की दृष्टिकोण' प्रतिपादित किया गया था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-53
+
{सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34
 
|type="()"}
 
|type="()"}
+मिलेट द्वारा
+
-सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन
-टीड द्वारा
+
-दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन
-बर्नार्ड द्वारा
+
+माडर्न कांस्टीट्यूशन
-लिविंग्सन द्वारा
+
-कैबिनेट गवर्नमेंट
||नेतृत्व के सिद्धांत के रूप में 'पारिस्थिति की दृष्टिकोण' का प्रतिपादन मिलेट द्वारा किया गया था। मिलेट के अनुसार, "नेतृत्व प्राय: परिस्थितियों के अनुसार बनता या बिगड़ता है। मिलेट ने नेतृत्व की दो आवश्यक परिस्थितियां बतायी हैं- 1.राजनीतिक, 2.संस्थागता।
+
||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है।
  
{शीत युद्ध का अर्थ है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-115,प्रश्न-30
+
{यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-शीतकाल में लड़ा जाने वाला युद्ध
+
+संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता
+महाशक्तियों के बीच तनावपूर्ण संबंध
+
-दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा
-दो पड़ोसी राष्ट्रों के मध्य वैमनस्य
+
-लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा
-सियाचिन में लड़ा जाने वाला युद्ध
+
-लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी
||शीत युद्ध का अर्थ है- 'अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में दो विरोधी महाशक्तियों के बीच तनावपूर्ण संबंध'। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के काल में 'शीतयुद्ध' शब्द का प्रयोग उन भारी तनावपूर्ण संबंध का वर्णन करने के लिए किया जाता रहा जो [[सोवियत संघ]] तथा [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के बीच धीरे-धीरे विकसित हुए थे।
+
||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं।
 
 
{निम्नलिखित में से किसने [[भारत]] में कलेक्टर के पद सृजन किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-19
 
|type="()"}
 
-डलहौजी
 
-कर्जन
 
+वारेन हेस्टिंग्स
 
-रिपन
 
||भारत में कलेक्टर पद का सृजन वर्ष 1772 में वारेन हेस्टिंग्स ने किया था। भारत में जिला प्रशासन ब्रिटिश राज की देन है।
 
 
 
 
</quiz>
 
</quiz>
 
|}
 
|}
 
|}
 
|}

१२:५६, १७ मार्च २०१८ के समय का अवतरण

1 भारतीय संविधान को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है?

तीसरी अनुसूची
चौथी अनुसूची
पांचवीं अनुसूची
छठीं अनुसूची

2 'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25

भारत-चीन वार्ता से
भारत-पाक वार्ता से
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता से
कॉमनवेल्थ की सदस्यता से

3 सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34

सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन
दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन
माडर्न कांस्टीट्यूशन
कैबिनेट गवर्नमेंट

4 यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25

संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता
दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा
लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा
लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=प्रयोग:दीपिका3&oldid=620932" से लिया गया