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-संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग | -संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग | ||
||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोछ भूमिका निभाता है। | ||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोछ भूमिका निभाता है। | ||
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+ | {नवीन लोक प्रशासन के उदय एवं विकास में कौन-सी घटना सहायक है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-130,प्रश्न-12 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -सार्वजनिक सेवाओं संबंधी उच्च शिक्षा पर हनी प्रतिवेदन, 1967 | ||
+ | -मिन्नोब्रुक सम्मेलन, 1968 | ||
+ | -ड्वाइट वाल्ड द्वारा संपादित पुस्तक 'पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन ए टाइम ऑफ़ टर्बुलेंस', 1971 | ||
+ | +उपर्युक्त सभी | ||
+ | ||नवीन लोक प्रशासन के उदय एवं विकास में सार्वजनिक सेवाओं संबंधी उच्च शिक्षा पर हनी प्रतिपादन, 1967 मिन्नोब्रुक सम्मेलन, 1968 तथा ड्वाइड वाल्डो द्वारा संपादित पुस्तक 'पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन ए टाइम ऑफ़ टर्बुलेंस, 1971 विशेष रूप से सहायक हैं। | ||
+ | |||
+ | {नाटो (एन.टी.ओ.) का मुख्यालय स्थित है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-21 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +ब्रुसेल्स में | ||
+ | -न्यूयॉर्क में | ||
+ | -[[लंदन]] में | ||
+ | -उपर्युक्त में से कोई भी नहीं | ||
+ | |||
+ | ||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें। | ||
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+ | {नौकरशाह की नियुक्ति का आधार है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-42 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -अस्थायी आधार | ||
+ | +स्थायी आधार | ||
+ | -विशेष कार्य की समाप्ति तक (तदर्थ आधार) | ||
+ | -दिन के दिन वेतन पर (दैनिक वेतन) | ||
+ | ||नौकरशाह की नियुक्ति का आधार 'स्थायी आधार' है। किसी बड़ी संस्था या सरकार के परिचालन के लिए निर्धारित की गई संरचनाओं एवं नियमों को समग्र रूप से 'नौकरशाही' या 'अफसरशाही' या 'ब्यूरो क्रेसी' कहते हैं। शक्ति का विभाजन (औपचारिक रूप से) एवं पदानुक्रम इसके मुख्य लक्षण हैं। | ||
+ | |||
+ | {निम्न में कौन यह जानता है कि आधुनिक उदारवादी प्रजातांत्रिक राज्य एक औद्योगिक राज्य बन गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-38, प्रश्न-14 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +गैल्ब्रेथ | ||
+ | -मैकफर्सन | ||
+ | -कींस | ||
+ | -रूजवेल्ट | ||
+ | ||समकालीन अमेरिकी अर्थशास्त्रवेत्ता जॉन कैनेथ गैल्ब्रेथ ने अपनी पुस्तक 'द न्यू इंडस्ट्रियल स्टेट' (नया औद्योगिक राज्य) (1971) के अंतर्गत यह तर्क दिया कि आधुनिक उदारवादी प्रजातांत्रिक राज्य एक औद्योगिक राज्य बन गया है। गैल्ब्रेथ ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'द एफ्लुएंट सोसायटी' के अंतर्गत निजी सुसंपन्नता (Private Affluence) और सार्वजनिक दरिद्रता के सह अस्तित्व की बात की है। | ||
+ | |||
+ | {मार्क्स ने निम्न में से किस सिद्धांत का प्रतिपादन किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-24 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत | ||
+ | -आदर्शवादी मूल्य का सिद्धान्त | ||
+ | -समाजवादी मूल्य का सिद्धांत | ||
+ | -उपर्युक्त में किसी का भी नहीं | ||
+ | ||अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत का प्रतिपादन राजनीतिक क्षेत्र में कार्ल मार्क्स द्वारा किया गया। 'अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत' (Theory of Surplus Value) मूलत: रिकार्डो के 'मूल्य का श्रम सिद्धांत' (Labour Theory of value) से प्रभावित है। मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत रिकार्डो के सिद्धांत का ही व्यापक रूप है। इसलिए रिकार्डो को अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत का जनक माना जाता है। मार्क्स के अनुसार, "अतिरिक्त मूल्य उन दो मूल्यों का अंतर है जिसे एक मजदूर पैदा करता है और जो वह वास्तव में पाता है।" | ||
+ | |||
+ | {परंपरापत संप्रभुता के विचार का बहुलवादी विरोध करते हैं क्योंकि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-23 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +दूसरे संगठन उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं जितना कि राज्य | ||
+ | -वह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में आड़े आता है | ||
+ | -वह जनतंत्र विरोधी है | ||
+ | -राज्य जन-सेवा का निगम है | ||
+ | ||परंपरागत संप्रभुता के विचार का बहुलवादी विरोध करते हैं क्योंकि उनके अनुसार समाज के अन्य संगठन एवं संस्थाएं उतनी ही महत्त्वपूर्ण हैं। जितना कि राज्य वे यह नहीं मानते कि मनुष्यों की सामाजिक प्रकृति एक ही संगठन में पूरी तरह व्यक्त हो सकती है जिसे 'राज्य' कहते हैं। | ||
+ | |||
+ | {निम्नलिखित में से कौन द्विदल पद्धति का एक लाभ नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-46 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -स्थायित्व | ||
+ | -पूर्वानुमेय | ||
+ | +निर्वाचक की पसंद का सरलीकरण | ||
+ | -समाज का मत ठीक ढंग से प्रतिबिंबित होना | ||
+ | ||द्विदल पद्धति का लाभ यह है कि इससे स्थिर सरकार, स्थायी नीतियाँ का निर्माण, शासन का 'स्वस्थ रचनात्मक विरोध, पूर्वानुमेय आदि है। द्विदलीय पद्धति में राजनीतिज्ञों में असंतोष की भावना उत्पन्न नहीं हो पाती। वे जानते हैं कि आज का विरोधी दल कल का शासक दल होगा अत: वे केवल रचनात्मक विरोध करके शासन को सुचारू रूप से नियंत्रित करते हैं। | ||
+ | |||
+ | {'स्वतंत्रता और समानता एक-दूसरे की विरोधी है' यह मत था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-13 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +लॉर्ड एक्टन का | ||
+ | -टी.एच. ग्रीन का | ||
+ | -एच.जे. लास्की का | ||
+ | -अर्नेस्ट बार्कर का | ||
+ | ||लॉर्ड एक्टन ने स्वतंत्रता उर समानता को एक-दूसरे का विरोधी माना है। इसके अतिरिक्त फ्रांसीसी विचारक अलेक्सी द टाकवील स्वतंत्रता व समानता को एक-दूसरे का विरोधी मानते हुए लिखते हैं कि "लोकतंत्र का विस्तार समानता को जितना बढ़ावा देता है, स्वतंत्रता के लिए उटना ही बड़ा खतरा पैदा कर देता है।" | ||
+ | |||
+ | {द्विसदनवाद निम्नलिखित शासन प्रणालियों में से किस एक ही एक अनिवार्य विशिष्टता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-94,प्रश्न-7 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -अध्यात्मक व्यवस्था | ||
+ | -संसदात्मक व्यवस्था | ||
+ | +संघात्मक व्यवस्था | ||
+ | -एकात्मक व्यवस्था | ||
+ | ||द्विसदनवाद संघात्मक शासन प्रणाली की अनिवार्य विशिष्टता है। | ||
+ | |||
+ | {दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -अनिश्चित कार्यकाल | ||
+ | +प्रशासन में अरोक्ष भूमिका | ||
+ | -सर्वव्यापक प्रकृति | ||
+ | -संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग | ||
+ | ||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है। | ||
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१२:०६, २८ जनवरी २०१८ का अवतरण
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