"सदस्य:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास4" के अवतरणों में अंतर
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− | ||[[चित्र:Gadisagar-Lake-Jaisalmer-2.jpg|गडसीसर सरोवर, जैसलमेर|100px|right]]बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक राजस्थान में लोगों का मनोरंजन का साधन लोक नाट्य व नृत्य रहे थे। | + | ||[[चित्र:Gadisagar-Lake-Jaisalmer-2.jpg|गडसीसर सरोवर, जैसलमेर|100px|right]]बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक [[राजस्थान]] में लोगों का मनोरंजन का साधन लोक नाट्य व [[नृत्य]] रहे थे। [[रासलीला]] जैसे नाट्यों के अतिरिक्त प्रदेश में ख्याल, रम्मत, रासधारी, नृत्य, भवाई, ढाला-मारु, तुर्रा-कलंगी या माच तथा आदिवासी गवरी या गौरी नृत्य नाट्य, [[घूमर नृत्य|घूमर]], अग्नि नृत्य, कोटा का चकरी नृत्य, डीडवाणा पोकरण के तेराताली नृत्य, मारवाड़ की कच्ची घोड़ी का नृत्य, पाबूजी की फड़ तथा [[कठपुतली]] प्रदर्शन के नाम उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजस्थान]] |
− | {शेखावटी के प्रसिद्ध नृत्य का क्या नाम है? | + | {शेखावटी के प्रसिद्ध [[नृत्य]] का क्या नाम है? |
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-[[घूमर नृत्य|घूमर]] | -[[घूमर नृत्य|घूमर]] | ||
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-थेर | -थेर | ||
− | - | + | -तेराताली |
− | { | + | {दूरदर्शन से [[हिन्दी]] समाचार के प्रसारण की शुरुआत कब हुई? |
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− | - | + | -15 सितम्बर, 1959 ई. |
− | - | + | -3 दिसम्बर, 1971 ई. |
− | + | + | +15 अगस्त, 1965 ई. |
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+[[अमजद अली ख़ाँ]] | +[[अमजद अली ख़ाँ]] | ||
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-[[अल्ला रक्खा]] | -[[अल्ला रक्खा]] | ||
-शिव कुमार शर्मा | -शिव कुमार शर्मा | ||
− | ||[[चित्र:Amjad-ali-khan.jpg|अमजद अली ख़ाँ|100px|right]]अमजद अली ख़ाँ एक प्रसिद्ध सरोद वादक हैं, जो अपनी वंशावली को सेनिया घराने से जोड़ते हैं और जिन्हें [[भारत]] का अग्रणी शास्त्रीय संगीतकार माना जाता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमजद अली ख़ाँ]] | + | ||[[चित्र:Amjad-ali-khan.jpg|अमजद अली ख़ाँ|100px|right]]अमजद अली ख़ाँ एक प्रसिद्ध सरोद वादक हैं, जो अपनी वंशावली को सेनिया घराने से जोड़ते हैं और जिन्हें [[भारत]] का अग्रणी शास्त्रीय संगीतकार माना जाता है। [[ग्वालियर]] के शाही परिवार के संगीतकार हाफ़िज अली ख़ां के पुत्र [[अमजद अली ख़ां]] प्रसिद्ध बंगश वंशावली की छठी पीढ़ी के हैं, जिसकी जड़ें [[संगीत]] की सेनिया बंगश शैली में हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमजद अली ख़ाँ]] |
− | {[[भारत]] में मनीऑर्डर प्रणाली का प्रारम्भ कब से हुआ? | + | {[[भारत]] में 'मनीऑर्डर प्रणाली' का प्रारम्भ कब से हुआ? |
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+1880 ई. | +1880 ई. | ||
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-1907 ई. | -1907 ई. | ||
− | {गुरु अर्जुन देव [[सिक्ख|सिक्खों]] के कौन से गुरु थे? | + | {गुरु अर्जुन देव [[सिक्ख|सिक्खों]] के कौन-से गुरु थे? |
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-दूसरे | -दूसरे | ||
+पाँचवें | +पाँचवें | ||
-छठे | -छठे | ||
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+ | ||[[सिक्ख|सिक्खों]] चौथे गुरु रामदास अत्यन्त [[साधु]] प्रकृति के व्यक्ति थे, इसलिए बादशाह [[अकबर]] भी उनका आदर करता था। अकबर ने [[अमृतसर]] में एक जलाशय से युक्त भू-भाग उन्हें दान दिया, जिस पर आगे चलकर सिक्ख [[स्वर्णमन्दिर]] का निर्माण हुआ। पाँचवें गुरु अर्जुन ने सिक्खों के आदि ग्रन्थ नामक धर्म ग्रन्थ का संकलन किया, जिसमें उनके पूर्व के चारों गुरुओं तथा कुछ [[हिन्दू]] और [[मुसलमान]] [[संत|संतों]] की वाणी संकलित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिक्ख]] | ||
{सर्वप्रथम [[शूद्र]] की चर्चा किस धार्मिक ग्रंथ में मिली है? | {सर्वप्रथम [[शूद्र]] की चर्चा किस धार्मिक ग्रंथ में मिली है? | ||
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-[[सामवेद]] | -[[सामवेद]] | ||
-[[अथर्ववेद]] | -[[अथर्ववेद]] | ||
− | ||[[चित्र:Rigveda.jpg|ऋग्वेद|100px|right]]ऋग्वेद के कुल मंत्रों की संख्या लगभग 10600 है। बाद में जोड़ गये दशम मंडल, जिसे ‘पुरुषसूक्त‘ के नाम से जाना जाता है, में सर्वप्रथम शूद्रों का उल्लेख मिलता है। इसके अतिरिक्त | + | ||[[चित्र:Rigveda.jpg|ऋग्वेद|100px|right]]ऋग्वेद के कुल मंत्रों की संख्या लगभग 10600 है। बाद में जोड़ गये दशम मंडल, जिसे ‘पुरुषसूक्त‘ के नाम से जाना जाता है, में सर्वप्रथम [[शूद्र|शूद्रों]] का उल्लेख मिलता है। इसके अतिरिक्त 'नासदीयसूक्त' (सृष्टि विषयक जानकारी), 'विवाहसूक्त' (ऋषि दीर्घमाह द्वारा रचित), 'नदिसूक्त' और 'देवीसूक्त' आदि का वर्णन इसी मण्डल में है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]] |
{[[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख किस [[बौद्ध]] धर्म-ग्रंथ में मिलता है? | {[[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख किस [[बौद्ध]] धर्म-ग्रंथ में मिलता है? | ||
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-[[महावंश]] | -[[महावंश]] | ||
-[[दिव्यावदान]] | -[[दिव्यावदान]] | ||
− | +[[अंगुत्तरनिकाय]] | + | +[[अंगुत्तरनिकाय]] |
− | ||अंगुत्तरनिकाय महत्त्वपूर्ण [[बौद्ध]] ग्रंथ है। इसके लेखक महंत आनंद कौसलायन हैं। महाबोधि सभा, [[कलकत्ता]] द्वारा इसको वर्तमान समय में प्रकाशित किया गया है। 11 निपातों से युक्त इस निकाय में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] द्वारा भिक्षुओं को उपदेश में | + | ||अंगुत्तरनिकाय महत्त्वपूर्ण [[बौद्ध]] ग्रंथ है। इसके लेखक 'महंत आनंद कौसलायन' हैं। महाबोधि सभा, [[कलकत्ता]] द्वारा इसको वर्तमान समय में प्रकाशित किया गया है। 11 निपातों से युक्त इस निकाय में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] द्वारा भिक्षुओं को उपदेश में दी जाने वाली बातों का वर्णन है। इस निकाय में छठी शताब्दी ई.पू. के [[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख मिलता हैं|{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंगुत्तरनिकाय]] |
− | {[[पैगम्बर मुहम्मद]] की कही गई बातें तथा उनकी स्मृतियाँ किस ग्रंथ में संकलित हैं? | + | {[[पैगम्बर मुहम्मद]] की कही गई बातें तथा उनकी स्मृतियाँ किस ग्रंथ में संकलित हैं? |
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+[[हदीस]] | +[[हदीस]] | ||
− | -[[ | + | -[[क़ुरान]] |
-तोराह | -तोराह | ||
− | -जेंदावेस्ता | + | -जेंदावेस्ता |
− | {[[दक्षिण भारत]] से उत्तर भारत में भक्ति | + | {[[दक्षिण भारत]] से उत्तर भारत में [[भक्ति आन्दोलन]] किसने चलाया? |
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+[[रामानन्द]] | +[[रामानन्द]] | ||
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-[[विवेकानन्द]] | -[[विवेकानन्द]] | ||
-[[कबीर]] | -[[कबीर]] | ||
− | || | + | ||स्वामी रामानन्द का केन्द्र मठ [[काशी]] के 'पंच गंगाघाट' पर स्थित था। एक किंवदन्ती के अनुसार छुआ-छूत मतभेद के कारण गुरु राघवानन्द ने उन्हें नया सम्प्रदाय चलाने की अनुमति दी थी। दूसरा वर्ग एक प्राचीन रामावत सम्प्रदाय की कल्पना करता है और [[रामानन्द]] को उसका एक प्रमुख आचार्य मानता है। डॉ. फर्कुहर के अनुसार यह रामावत सम्प्रदाय दक्षिण [[भारत]] में था और उसके प्रमुख ग्रन्थ '[[वाल्मीकि रामायण]]' तथा 'अध्यात्म रामायण' थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामानन्द]] |
− | {[[भारत]] में [[ब्रह्मा]] का | + | {[[भारत]] में [[ब्रह्मा]] का एकमात्र मन्दिर कहाँ पर अवस्थित है? |
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+[[पुष्कर]] | +[[पुष्कर]] | ||
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-[[द्वारिका]] | -[[द्वारिका]] | ||
-[[केदारनाथ]] | -[[केदारनाथ]] | ||
− | ||[[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer-1.jpg|पुष्कर झील, अजमेर|100px|right]]पूरे [[भारत]] में केवल एक यही ब्रह्मा का मन्दिर है। इस मन्दिर का निर्माण [[ग्वालियर]] के महाजन गोकुल | + | ||[[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer-1.jpg|पुष्कर झील, अजमेर|100px|right]]पूरे [[भारत]] में केवल एक यही [[ब्रह्मा]] का मन्दिर है। इस मन्दिर का निर्माण [[ग्वालियर]] के महाजन गोकुल ने [[अजमेर]] में करवाया था। ब्रह्मा मन्दिर की लाट [[लाल रंग]] की है तथा इसमें ब्रह्मा के वाहन हंस की आकृतियाँ हैं। चतुर्मुखी ब्रह्मा की पत्नी [[गायत्री देवी|देवी गायत्री]] तथा [[सावित्री देवी|सावित्री]] यहाँ मूर्तिरूप में विद्यमान हैं। [[हिन्दु|हिन्दुओं]] के लिए पुष्कर एक पवित्र [[तीर्थ]] व महान पवित्र स्थल है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुष्कर]] |
− | {'[[संगीत नाटक अकादमी]]' की स्थापना कब हुई? | + | {'[[संगीत नाटक अकादमी]]' की स्थापना कब हुई थी? |
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− | -1951 | + | -1951 ई. |
− | +1953 | + | +1953 ई. |
− | -1954 | + | -1954 ई. |
− | -1957 | + | -1957 ई. |
− | {[[शांति निकेतन]] की स्थापना किसने की? | + | {[[शांति निकेतन]] की स्थापना किसने की? |
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-[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] | -[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] | ||
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+[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] | +[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] | ||
-[[देवेन्द्रनाथ टैगोर]] | -[[देवेन्द्रनाथ टैगोर]] | ||
− | ||[[चित्र:Shantiniketan-1.jpg|शांति निकेतन|100px|right]]1901 में टैगोर ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित | + | ||[[चित्र:Shantiniketan-1.jpg|शांति निकेतन|100px|right]]1901 ई. में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने [[पश्चिम बंगाल]] के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित 'शांति निकेतन' में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की। जहाँ उन्होंने [[भारत]] और पश्चिमी परंपराओं के सर्वश्रेष्ठ को मिलाने का प्रयास किया। वह विद्यालय में ही स्थायी रूप से रहने लगे और 1921 ई. में यह 'विश्व भारती विश्वविद्यालय' बन गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] |
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+सतीश गुजराल | +सतीश गुजराल | ||
− | {निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य विधा से संबंधित नहीं है? | + | {निम्नलिखित में से कौन-सा [[नृत्य]] विधा से संबंधित नहीं है? |
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-चाचरी | -चाचरी | ||
-[[घूमर नृत्य|घूमर]] | -[[घूमर नृत्य|घूमर]] | ||
-[[बिहू नृत्य|बिहू]] | -[[बिहू नृत्य|बिहू]] | ||
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</quiz> | </quiz> | ||
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१४:०८, २३ अक्टूबर २०११ का अवतरण
कला और संस्कृति
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