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{'तेराताली' कहाँ का लोक नृत्य है।
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-[[तमिलनाडु]] का
 
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||[[चित्र:Gadisagar-Lake-Jaisalmer-2.jpg|गडसीसर सरोवर, जैसलमेर|100px|right]]बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक राजस्थान में लोगों का मनोरंजन का साधन लोक नाट्य व नृत्य रहे थे। रास-लीला जैसे नाट्यों के अतिरिक्त प्रदेश में ख्याल, रम्मत, रासधारी, नृत्य, भवाई, ढाला-मारु, तुर्रा-कलंगी या माच तथा आदिवासी गवरी या गौरी नृत्य नाट्य, [[घूमर नृत्य|घूमर]], अग्नि नृत्य, कोटा का चकरी नृत्य, डीडवाणा पोकरण के तेराताली नृत्य, मारवाड़ की कच्ची घोड़ी का नृत्य, पाबूजी की फड़ तथा [[कठपुतली]] प्रदर्शन के नाम उल्लेखनीय हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजस्थान]]
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||[[चित्र:Gadisagar-Lake-Jaisalmer-2.jpg|गडसीसर सरोवर, जैसलमेर|100px|right]]बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक [[राजस्थान]] में लोगों का मनोरंजन का साधन लोक नाट्य व [[नृत्य]] रहे थे। [[रासलीला]] जैसे नाट्यों के अतिरिक्त प्रदेश में ख्याल, रम्मत, रासधारी, नृत्य, भवाई, ढाला-मारु, तुर्रा-कलंगी या माच तथा आदिवासी गवरी या गौरी नृत्य नाट्य, [[घूमर नृत्य|घूमर]], अग्नि नृत्य, कोटा का चकरी नृत्य, डीडवाणा पोकरण के तेराताली नृत्य, मारवाड़ की कच्ची घोड़ी का नृत्य, पाबूजी की फड़ तथा [[कठपुतली]] प्रदर्शन के नाम उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजस्थान]]
  
{शेखावटी के प्रसिद्ध नृत्य का क्या नाम है?
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{शेखावटी के प्रसिद्ध [[नृत्य]] का क्या नाम है?
 
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-[[घूमर नृत्य|घूमर]]
 
-[[घूमर नृत्य|घूमर]]
+गीदड़
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-थेर  
 
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-तेराप्ताली
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-तेराताली
  
{निम्नलिखित में से कौन मुग़ल शासक [[वीणा]] वादन के लिए प्रसिद्ध था?
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{दूरदर्शन से [[हिन्दी]] समाचार के प्रसारण की शुरुआत कब हुई?
 
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-[[अकबर]]
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-15 सितम्बर, 1959 ई.
-हुमायूं
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-3 दिसम्बर, 1971 ई.
+[[औरंगजेब]]
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+15 अगस्त, 1965 ई.
-[[बाबर]]
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-15 अगस्त, 1975 ई.
||[[चित्र:Darbarscene-Aurangzeb.jpg|दरबार में औरंगज़ेब|100px|right]]औरंगजेब पवित्र जीवन व्यतीत करता था। अपने व्यक्तिगत जीवन में वह एक आदर्श व्यक्ति था। वह उन सब दुर्गुणों से सर्वत्र मुक्त था, जो [[एशिया]] के राजाओं में सामन्यतः थे। वह यति-जीवन जीता था। खाने-पीने, वेश-भूषा और जीवन की अन्य सभी-सुविधाओं में वह संयम बरतता था। प्रशासन के भारी काम में व्यस्त रहते हुए भी वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए [[क़ुरान]] की नकल करके और टोपियाँ सीकर कुछ पैसा कमाने का समय निकाल लेता था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगजेब]]
 
  
{दूरदर्शन से [[हिन्दी]] समाचार के प्रसारण की शुरुआत कब हुई?
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{निम्नलिखित में कौन 'सरोद' के प्रवर्त्तक माने जाते हैं?
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-[[15 सितम्बर]], 1959
 
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+[[15 अगस्त]], 1965
 
-15 अगस्त, 1975
 
 
 
{निम्नलिखित में कौन सरोद के प्रवर्त्तक माने जाते हैं?
 
 
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+[[अमजद अली ख़ाँ]]  
 
+[[अमजद अली ख़ाँ]]  
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-[[अल्ला रक्खा]]  
 
-[[अल्ला रक्खा]]  
 
-शिव कुमार शर्मा  
 
-शिव कुमार शर्मा  
||[[चित्र:Amjad-ali-khan.jpg|अमजद अली ख़ाँ|100px|right]]अमजद अली ख़ाँ एक प्रसिद्ध सरोद वादक हैं, जो अपनी वंशावली को सेनिया घराने से जोड़ते हैं और जिन्हें [[भारत]] का अग्रणी शास्त्रीय संगीतकार माना जाता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमजद अली ख़ाँ]]  
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||[[चित्र:Amjad-ali-khan.jpg|अमजद अली ख़ाँ|100px|right]]अमजद अली ख़ाँ एक प्रसिद्ध सरोद वादक हैं, जो अपनी वंशावली को सेनिया घराने से जोड़ते हैं और जिन्हें [[भारत]] का अग्रणी शास्त्रीय संगीतकार माना जाता है। [[ग्वालियर]] के शाही परिवार के संगीतकार हाफ़िज अली ख़ां के पुत्र [[अमजद अली ख़ां]] प्रसिद्ध बंगश वंशावली की छठी पीढ़ी के हैं, जिसकी जड़ें [[संगीत]] की सेनिया बंगश शैली में हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमजद अली ख़ाँ]]
  
{[[भारत]] में मनीऑर्डर प्रणाली का प्रारम्भ कब से हुआ?
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{[[भारत]] में 'मनीऑर्डर प्रणाली' का प्रारम्भ कब से हुआ?
 
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-1907 ई.  
 
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{गुरु अर्जुन देव [[सिक्ख|सिक्खों]] के कौन से गुरु थे?
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{गुरु अर्जुन देव [[सिक्ख|सिक्खों]] के कौन-से गुरु थे?
 
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-दूसरे  
 
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+पाँचवें  
 
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||[[सिक्ख|सिक्खों]] चौथे गुरु रामदास अत्यन्त [[साधु]] प्रकृति के व्यक्ति थे, इसलिए बादशाह [[अकबर]] भी उनका आदर करता था। अकबर ने [[अमृतसर]] में एक जलाशय से युक्त भू-भाग उन्हें दान दिया, जिस पर आगे चलकर सिक्ख [[स्वर्णमन्दिर]] का निर्माण हुआ। पाँचवें गुरु अर्जुन ने सिक्खों के आदि ग्रन्थ नामक धर्म ग्रन्थ का संकलन किया, जिसमें उनके पूर्व के चारों गुरुओं तथा कुछ [[हिन्दू]] और [[मुसलमान]] [[संत|संतों]] की वाणी संकलित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिक्ख]]
  
 
{सर्वप्रथम [[शूद्र]] की चर्चा किस धार्मिक ग्रंथ में मिली है?
 
{सर्वप्रथम [[शूद्र]] की चर्चा किस धार्मिक ग्रंथ में मिली है?
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-[[सामवेद]]
 
-[[सामवेद]]
 
-[[अथर्ववेद]]
 
-[[अथर्ववेद]]
||[[चित्र:Rigveda.jpg|ऋग्वेद|100px|right]]ऋग्वेद के कुल मंत्रों की संख्या लगभग 10600 है। बाद में जोड़ गये दशम मंडल, जिसे ‘पुरुषसूक्त‘ के नाम से जाना जाता है, में सर्वप्रथम शूद्रों का उल्लेख मिलता है। इसके अतिरिक्त नासदीय सूक्त (सृष्टि विषयक जानकारी, निर्गुण ब्रह्म की जानकारी), विवाह सूक्त (ऋषि दीर्घमाह द्वारा रचित), नदि सूक्त (वर्णित सबसे अन्तिम नदी गोमल), देवी सूक्त आदि का वर्णन इसी मण्डल में है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]]  
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||[[चित्र:Rigveda.jpg|ऋग्वेद|100px|right]]ऋग्वेद के कुल मंत्रों की संख्या लगभग 10600 है। बाद में जोड़ गये दशम मंडल, जिसे ‘पुरुषसूक्त‘ के नाम से जाना जाता है, में सर्वप्रथम [[शूद्र|शूद्रों]] का उल्लेख मिलता है। इसके अतिरिक्त 'नासदीयसूक्त' (सृष्टि विषयक जानकारी), 'विवाहसूक्त' (ऋषि दीर्घमाह द्वारा रचित), 'नदिसूक्त' और 'देवीसूक्त' आदि का वर्णन इसी मण्डल में है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]]
  
 
{[[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख किस [[बौद्ध]] धर्म-ग्रंथ में मिलता है?
 
{[[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख किस [[बौद्ध]] धर्म-ग्रंथ में मिलता है?
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-[[महावंश]]
 
-[[महावंश]]
 
-[[दिव्यावदान]]  
 
-[[दिव्यावदान]]  
+[[अंगुत्तरनिकाय]]  
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+[[अंगुत्तरनिकाय]]
||अंगुत्तरनिकाय महत्त्वपूर्ण [[बौद्ध]] ग्रंथ है। इसके लेखक महंत आनंद कौसलायन हैं। महाबोधि सभा, [[कलकत्ता]] द्वारा इसको वर्तमान समय में प्रकाशित किया गया है। 11 निपातों से युक्त इस निकाय में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] द्वारा भिक्षुओं को उपदेश में की जाने वाली बातों का वर्णन है। इस निकाय में छठी शताब्दी ई.पू. के [[महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख मिलता हैं|{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंगुत्तरनिकाय]]  
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||अंगुत्तरनिकाय महत्त्वपूर्ण [[बौद्ध]] ग्रंथ है। इसके लेखक 'महंत आनंद कौसलायन' हैं। महाबोधि सभा, [[कलकत्ता]] द्वारा इसको वर्तमान समय में प्रकाशित किया गया है। 11 निपातों से युक्त इस निकाय में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] द्वारा भिक्षुओं को उपदेश में दी जाने वाली बातों का वर्णन है। इस निकाय में छठी शताब्दी ई.पू. के [[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख मिलता हैं|{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंगुत्तरनिकाय]]
  
{[[पैगम्बर मुहम्मद]] की कही गई बातें तथा उनकी स्मृतियाँ किस ग्रंथ में संकलित हैं?  
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{[[पैगम्बर मुहम्मद]] की कही गई बातें तथा उनकी स्मृतियाँ किस ग्रंथ में संकलित हैं?
 
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+[[हदीस]]  
 
+[[हदीस]]  
-[[कुरान]]
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-[[क़ुरान]]
 
-तोराह  
 
-तोराह  
-जेंदावेस्ता  
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-जेंदावेस्ता
  
{[[दक्षिण भारत]] से उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन किसने चलाया?
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{[[दक्षिण भारत]] से उत्तर भारत में [[भक्ति आन्दोलन]] किसने चलाया?
 
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+[[रामानन्द]]  
 
+[[रामानन्द]]  
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-[[विवेकानन्द]]  
 
-[[विवेकानन्द]]  
 
-[[कबीर]]  
 
-[[कबीर]]  
||भविष्य पुराण', 'अगस्त्य संहिता' तथा 'भक्तमाल' के अनुसार राघवानन्द ही रामानन्द के गुरु थे। अपनी उदार विचारधारा के कारण रामानन्द ने स्वतन्त्र सम्प्रदाय स्थापित किया। उनका केन्द्र मठ [[काशी]] के पंच गंगाघाट पर था, फिर भी उन्होंने [[भारत]] के प्रमुख तीर्थों की यात्राएँ की थीं और अपने मत का प्रचार किया था। एक किंवदन्ती के अनुसार छुआ-छूत मतभेद के कारण गुरु राघवानन्द ने उन्हें नया सम्प्रदाय चलाने की अनुमति दी थी। दूसरा वर्ग एक प्राचीन रामावत-सम्प्रदाय की कल्पना करता है और रामानन्द को उसका एक प्रमुख आचार्य मानता है। डा. फर्कुहर के अनुसार यह रामावत-सम्प्रदाय दक्षिण भारत में था और उसके प्रमुख ग्रन्थ '[[वाल्मीकि रामायण|वाल्मीकि-रामायण]]' तथा 'अध्यात्म रामायण' थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामानन्द]]  
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||स्वामी रामानन्द का केन्द्र मठ [[काशी]] के 'पंच गंगाघाट' पर स्थित था। एक किंवदन्ती के अनुसार छुआ-छूत मतभेद के कारण गुरु राघवानन्द ने उन्हें नया सम्प्रदाय चलाने की अनुमति दी थी। दूसरा वर्ग एक प्राचीन रामावत सम्प्रदाय की कल्पना करता है और [[रामानन्द]] को उसका एक प्रमुख आचार्य मानता है। डॉ. फर्कुहर के अनुसार यह रामावत सम्प्रदाय दक्षिण [[भारत]] में था और उसके प्रमुख ग्रन्थ '[[वाल्मीकि रामायण]]' तथा 'अध्यात्म रामायण' थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामानन्द]]
  
{[[भारत]] में [[ब्रह्मा]] का केवल एक ही मन्दिर है, वह मन्दिर कहाँ स्थित है?  
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{[[भारत]] में [[ब्रह्मा]] का एकमात्र मन्दिर कहाँ पर अवस्थित है?
 
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+[[पुष्कर]]  
 
+[[पुष्कर]]  
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-[[द्वारिका]]  
 
-[[द्वारिका]]  
 
-[[केदारनाथ]]  
 
-[[केदारनाथ]]  
||[[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer-1.jpg|पुष्कर झील, अजमेर|100px|right]]पूरे [[भारत]] में केवल एक यही ब्रह्मा का मन्दिर है। इस मन्दिर का निर्माण [[ग्वालियर]] के महाजन गोकुल प्राक् ने [[अजमेर]] में करवाया था। ब्रह्मा मन्दिर की लाट [[लाल रंग]] की है तथा इसमें ब्रह्मा के वाहन हंस की आकृतियाँ हैं। चतुर्मुखी ब्रह्मा देवी गायत्री तथा सावित्री यहाँ मूर्तिरूप में विद्यमान हैं। [[हिन्दु|हिन्दुओं]] के लिए पुष्कर एक पवित्र तीर्थ व महान पवित्र स्थल है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुष्कर]]
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||[[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer-1.jpg|पुष्कर झील, अजमेर|100px|right]]पूरे [[भारत]] में केवल एक यही [[ब्रह्मा]] का मन्दिर है। इस मन्दिर का निर्माण [[ग्वालियर]] के महाजन गोकुल ने [[अजमेर]] में करवाया था। ब्रह्मा मन्दिर की लाट [[लाल रंग]] की है तथा इसमें ब्रह्मा के वाहन हंस की आकृतियाँ हैं। चतुर्मुखी ब्रह्मा की पत्नी [[गायत्री देवी|देवी गायत्री]] तथा [[सावित्री देवी|सावित्री]] यहाँ मूर्तिरूप में विद्यमान हैं। [[हिन्दु|हिन्दुओं]] के लिए पुष्कर एक पवित्र [[तीर्थ]] व महान पवित्र स्थल है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुष्कर]]  
  
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-[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]]  
 
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+[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]]
 
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-[[देवेन्द्रनाथ टैगोर]]
 
-[[देवेन्द्रनाथ टैगोर]]
||[[चित्र:Shantiniketan-1.jpg|शांति निकेतन|100px|right]]1901 में टैगोर ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की। जहाँ उन्होंने भारत और पश्चिमी परंपराओं के सर्वश्रेष्ठ को मिलाने का प्रयास किया। वह विद्यालय में ही स्थायी रूप से रहने लगे और 1921 में यह विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] 
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||[[चित्र:Shantiniketan-1.jpg|शांति निकेतन|100px|right]]1901 ई. में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने [[पश्चिम बंगाल]] के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित 'शांति निकेतन' में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की। जहाँ उन्होंने [[भारत]] और पश्चिमी परंपराओं के सर्वश्रेष्ठ को मिलाने का प्रयास किया। वह विद्यालय में ही स्थायी रूप से रहने लगे और 1921 ई. में यह 'विश्व भारती विश्वविद्यालय' बन गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]]
 
 
{'[[शेरशाह सूरी]] का मकबरा' कहाँ स्थित है?
 
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-[[दिल्ली]]
 
+[[सासाराम]]
 
-[[लाहौर]]
 
-[[अजमेर]]
 
||[[चित्र:Shershah Tomb2.jpg|सासाराम|100px|right]][[सूर वंश]] के संस्थापक [[अफ़ग़ान]] शासक शेरशाह सूरी का मक़बरा सासाराम में है और देश का प्रसिद्ध 'ग्रांड ट्रंक रोड' भी इसी शहर से होकर गुज़रता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सासाराम]]
 
  
 
{'काला-चाँद' नामक चित्र का चित्रांकन किसने किया था?
 
{'काला-चाँद' नामक चित्र का चित्रांकन किसने किया था?
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+सतीश गुजराल  
 
+सतीश गुजराल  
  
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-चाचरी
 
-[[घूमर नृत्य|घूमर]]  
 
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-[[बिहू नृत्य|बिहू]]  
 
-[[बिहू नृत्य|बिहू]]  
+चैती  
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१४:०८, २३ अक्टूबर २०११ का अवतरण

कला और संस्कृति

1 'तेराताली' कहाँ का लोक नृत्य है।

केरल का
राजस्थान का
मध्य प्रदेश का
तमिलनाडु का

2 शेखावटी के प्रसिद्ध नृत्य का क्या नाम है?

घूमर
गीदड़
थेर
तेराताली

3 दूरदर्शन से हिन्दी समाचार के प्रसारण की शुरुआत कब हुई?

15 सितम्बर, 1959 ई.
3 दिसम्बर, 1971 ई.
15 अगस्त, 1965 ई.
15 अगस्त, 1975 ई.

4 निम्नलिखित में कौन 'सरोद' के प्रवर्त्तक माने जाते हैं?

अमजद अली ख़ाँ
पंडित रविशंकर
अल्ला रक्खा
शिव कुमार शर्मा

5 भारत में 'मनीऑर्डर प्रणाली' का प्रारम्भ कब से हुआ?

1880 ई.
1884 ई.
1882 ई.
1907 ई.

6 गुरु अर्जुन देव सिक्खों के कौन-से गुरु थे?

दूसरे
पाँचवें
छठे
सातवें

7 सर्वप्रथम शूद्र की चर्चा किस धार्मिक ग्रंथ में मिली है?

ऋग्वेद
यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद

8 सोलह महाजनपदों का उल्लेख किस बौद्ध धर्म-ग्रंथ में मिलता है?

दीपवंश
महावंश
दिव्यावदान
अंगुत्तरनिकाय

9 पैगम्बर मुहम्मद की कही गई बातें तथा उनकी स्मृतियाँ किस ग्रंथ में संकलित हैं?

हदीस
क़ुरान
तोराह
जेंदावेस्ता

11 भारत में ब्रह्मा का एकमात्र मन्दिर कहाँ पर अवस्थित है?

पुष्कर
उज्जैन
द्वारिका
केदारनाथ

12 'संगीत नाटक अकादमी' की स्थापना कब हुई थी?

1951 ई.
1953 ई.
1954 ई.
1957 ई.

14 'काला-चाँद' नामक चित्र का चित्रांकन किसने किया था?

जैमिनी यार
नन्दलाल बोस
राजा रवि वर्मा
सतीश गुजराल

15 निम्नलिखित में से कौन-सा नृत्य विधा से संबंधित नहीं है?

चाचरी
घूमर
बिहू
चैती

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