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*मध्यकाल में सम्भल का सामरिक महत्त्व बढ़ गया, क्योंकि यह [[आगरा]] व [[दिल्ली]] के निकट है। सम्भल की जागीर [[बाबर]] के आक्रमण के समय अफ़गान सरदारों के हाथ में थी।  
 
*मध्यकाल में सम्भल का सामरिक महत्त्व बढ़ गया, क्योंकि यह [[आगरा]] व [[दिल्ली]] के निकट है। सम्भल की जागीर [[बाबर]] के आक्रमण के समय अफ़गान सरदारों के हाथ में थी।  
 
*बाबर ने [[हुमायूँ]] को संभल की जागीर दी लेकिन वहाँ वह बीमार हो गया, अतः आगरा लाया गया।  
 
*बाबर ने [[हुमायूँ]] को संभल की जागीर दी लेकिन वहाँ वह बीमार हो गया, अतः आगरा लाया गया।  
*इस प्रकार बाबर के बाद हुमायूँ ने साम्राज्य को भाइयों में बाँट दिया और सम्भल [[अस्करी]] को मिला। [[शेरशाह सूरी]] ने हुमायूँ सूरी को खदेड़ दिया और अपने दामाद मुबारिज़ खान को सम्भल की जागीर दी।  
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*इस प्रकार बाबर के बाद हुमायूँ ने साम्राज्य को भाइयों में बाँट दिया और सम्भल [[अस्करी]] को मिला। [[शेरशाह सूरी]] ने हुमायूँ सूरी को खदेड़ दिया और अपने दामाद मुबारिज़ खान को सम्भल की जागीर दी। अब्बास खां शेरवानी के अनुसार बाबर के सेनापतियों ने यहाँ कई मन्दिरों को तोड़ा था और जैन मूर्तियों का खण्डन किया था।  
अब्बास खां शेरवानी के अनुसार बाबर के सेनापतियों ने यहाँ कई मन्दिरों को तोड़ा था और जैन मूर्तियों का खण्डन किया था।  
 
 
 
 
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११:४१, ६ फ़रवरी २०११ का अवतरण

  • उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले में स्थित सम्भल का एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। टॉलमी द्वारा उल्लिखित संबकल को संभल से समीकृत किया जाता है।
  • यहाँ ऐसी पौराणिक मान्यता है कि कलियुग में कल्कि अवतार शंबल नामक ग्राम में होगा। लोक मान्यता में सम्भल को ही शंबल माना जाता है।
  • मध्यकाल में सम्भल का सामरिक महत्त्व बढ़ गया, क्योंकि यह आगरादिल्ली के निकट है। सम्भल की जागीर बाबर के आक्रमण के समय अफ़गान सरदारों के हाथ में थी।
  • बाबर ने हुमायूँ को संभल की जागीर दी लेकिन वहाँ वह बीमार हो गया, अतः आगरा लाया गया।
  • इस प्रकार बाबर के बाद हुमायूँ ने साम्राज्य को भाइयों में बाँट दिया और सम्भल अस्करी को मिला। शेरशाह सूरी ने हुमायूँ सूरी को खदेड़ दिया और अपने दामाद मुबारिज़ खान को सम्भल की जागीर दी। अब्बास खां शेरवानी के अनुसार बाबर के सेनापतियों ने यहाँ कई मन्दिरों को तोड़ा था और जैन मूर्तियों का खण्डन किया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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