श्री कृष्ण जी की तारीफ़ में -नज़ीर अकबराबादी  

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श्री कृष्ण जी की तारीफ़ में -नज़ीर अकबराबादी
कवि नज़ीर अकबराबादी
जन्म 1735
जन्म स्थान दिल्ली
मृत्यु 1830
मुख्य रचनाएँ बंजारानामा, दूर से आये थे साक़ी, फ़क़ीरों की सदा, है दुनिया जिसका नाम आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
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नज़ीर अकबराबादी की रचनाएँ
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है सबका ख़ुदा सब तुझ पे फ़िदा ।
अल्लाहो ग़नी[१], अल्लाहो ग़नी ।
हे कृष्ण कन्हैया, नन्द लला !
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।

इसरारे[२] हक़ीक़त यों खोले ।
तोहीद[३] के वह मोती रोले ।
सब कहने लगे ऐ सल्ले अला ।
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।

सरसब्ज़ हुए वीरानए दिल ।
इस में हुआ जब तू दाखिल ।
गुलज़ार खिला सहरा-सहरा[४]
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।

फिर तुझसे तजल्ली[५] ज़ार[६] हुई ।
दुनिया कहती तीरो तार हुई ।
ऐ जल्वा फ़रोज़े[७] बज़्मे-हुदा[८]
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।

मुट्ठी भर चावल के बदले ।
दुख दर्द सुदामा के दूर किए ।
पल भर में बना क़तरा दरिया ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।

जब तुझसे मिला ख़ुद को भूला ।
हैरान हूँ मैं इंसा कि ख़ुदा ।
मैं यह भी हुआ, मैं वह भी हुआ ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।

ख़ुर्शीद[९] में जल्वा चाँद में भी ।
हर गुल में तेरे रुख़सार[१०] की बू ।
घूँघट जो खुला सखियों ने कहा ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।

दिलदार ग्वालों, बालों का ।
और सारे दुनियादारों का ।
सूरत में नबी[११] सीरत[१२] में ख़ुदा ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।

इस हुस्ने अमल[१३] के सालिक[१४] ने ।
इस दस्तो जबलए[१५] के मालिक ने ।
कोहसार[१६] लिया उँगली पे उठा ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।

मन मोहिनी सूरत वाला था ।
न गोरा था न काला था ।
जिस रंग में चाहा देख लिया ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।

तालिब[१७] है तेरी रहमत का ।
बन्दए नाचीज़[१८] नज़ीर तेरा ।
तू बहरे करम[१९] है नंद लला ।
ऐ सल्ले अला,
अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. निस्पृह
  2. मर्म
  3. अद्वैत
  4. जंगल-जंगल
  5. आभा
  6. भरपूर
  7. रोशन करने वाले
  8. सत्यता की महफ़िल
  9. सूरज
  10. कपोल
  11. ईश-दूत
  12. स्वभाव
  13. शुभ कार्य
  14. गृहस्थ
  15. जंगल और पहाड़
  16. पर्वत
  17. इच्छुक
  18. तुच्छ सेवक
  19. दया का सागर

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