राम नाम जाना नहीं, पाल्यो कटक कुटुम्ब -कबीर  

राम नाम जाना नहीं, पाल्यो कटक कुटुम्ब -कबीर
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

राम नाम जाना नहीं, पाल्यो कटक कुटुम्ब।
धंधा ही में मरि गया, बाहर हुई न बंब।।

अर्थ सहित व्याख्या

कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! हे जीव! तूने राम नाम के महत्व को नहीं जाना और अपना सारा जीवन एक सेना के समान बड़े कुटुम्ब को पालने में ही व्यतीत कर दिया। सांसारिक कृत्यों में ही विनष्ट हो गया और तेरा यशोगान, तेरी कीर्ति प्रकाशित न हो सकी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=राम_नाम_जाना_नहीं,_पाल्यो_कटक_कुटुम्ब_-कबीर&oldid=435553" से लिया गया