यह रहीम निज संग लै -रहीम  

यह ‘रहीम’ निज संग लै, जनमत जगत् न कोय ।
बैर, प्रीति, अभ्यास, जस होत होत ही होय ॥

अर्थ

बैर, प्रीति, अभ्यास और यश इनके साथ संसार में कोई भी जन्म नहीं लेता। ये सारी चीजें तो धीरे-धीरे ही आती हैं।


रहीम के दोहे

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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