मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं -रसखान  

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं -रसखान
कवि रसखान
जन्म सन् 1533 से 1558 बीच (लगभग)
जन्म स्थान पिहानी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु प्रामाणिक तथ्य अनुपलब्ध
मुख्य रचनाएँ 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रसखान की रचनाएँ

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी।
ओढ़ि पितम्बर लै लकुटी, बन गोधन ग्वारन संग फिरौंगी।।

भावतो मोहि मेरो रसखान, सो तेरे कहे सब स्वाँग भरौंगी।
या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=मोरपखा_सिर_ऊपर_राखिहौं_-रसखान&oldid=428490" से लिया गया