मत्तगयन्द सवैया  

मत्तगयन्द सवैया 23 वर्णों का छन्द है, जिसमें सात भगण (ऽ।।) और दो गुरुओं का योग होता है। नरोत्तमदास, तुलसी, केशव, भूषण, मतिराम, घनानन्द, भारतेन्दु, हितैषी, सनेही, अनूप आदि ने इसका प्रयोग किया है।

  • "केसव गाधि के नन्द हमें वह ज्योति सो मूरतिवन्त दिखायी।[१]
  • "कोदौ सवाँ जुरतो भरि पेट न चाहत हौ दधि दूध मठौती।"[२]
  • "धूमि में लोटना था जिनको उनको सुख-सम्पत्ति लूटते देखा।"[३]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रामचन्द्रिका, 6:18
  2. सुजानचरित: नरोत्तमदास
  3. कुणाल : अनूप

धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 741।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=मत्तगयन्द_सवैया&oldid=238279" से लिया गया