भार झोंकि कै भार में -रहीम  

भार झोंकि कै भार में, ‘रहिमन’ उतरे पार ।
पै बूड़े मँझधार में , जिनके सिर पर भार ॥

अर्थ

अहम् को यानी खुदी के भार को भाड़ में झोंककर हम तो पार उतर गये। बीच धार में तो वे ही डूबे, जिनके सिर पर अहंकार का भार रखा हुआ था, या जिन्होंने स्वयं भार रख लिया था।


रहीम के दोहे

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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