भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा  

भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (अंग्रेज़ी: India-Pakistan Line of Control) अन्तर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के रूप में भारत और पाकिस्तान के बीच एक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा है, जो भारतीय राज्यों को पाकिस्तान के चार प्रांतों से अलग करती है। यह सीमा उत्तर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) से, जो पाक अधिकृत कश्मीर को भारतीय कश्मीर से अलग करती है, वाघा तक तक जाती है, जो कि पंजाब प्रांत और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को पूर्व में विभाजित करती है। दक्षिण में शून्य बिंदु, भारत के [[[गुजरात]] और राजस्थान को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अलग करता है।

युद्धविराम समझौता

सात दशकों से भी ज़्यादा वक़्त गुजर चुका है, लेकिन जम्मू और कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का मुख्य मुद्दा बना हुआ है। ये क्षेत्र इस समय एक नियंत्रण रेखा से बँटा हुआ, जिसके एक तरफ़ का हिस्सा भारत के पास है और दूसरा पाकिस्तान के पास। 1947-1948 में भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर पहला युद्ध हुआ था जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में युद्धविराम समझौता हुआ। इसके तहत एक युद्धविराम सीमा रेखा तय हुई, जिसके मुताबिक़़ जम्मू और कश्मीर का लगभग एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान के पास रहा जिसे पाकिस्तान 'आज़ाद कश्मीर' कहता है।[१]

शिमला समझौता

लगभग दो तिहाई हिस्सा भारत के पास है जिसमें जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख शामिल हैं। 1972 के युद्ध के बाद शिमला समझौता हुआ जिसके तहत युद्धविराम रेखा को 'नियंत्रण रेखा' का नाम दिया गया। भारत और पाकिस्तान के बीच ये नियंत्रण रेखा 740 किलोमीटर लंबी है। यह पर्वतों और रिहाइश के लिए प्रतिकूल इलाक़ों से गुजरती है। कुछ जगह पर यह गाँवों को दो हिस्सों में बाँटती है तो कहीं पर्वतों को। वहाँ तैनात भारत और पाकिस्तान के सैनिकों के बीच कुछ जगहों पर दूरी सिर्फ़ सौ मीटर है तो कुछ जगहों पर यह पाँच किलोमीटर भी है। दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा पिछले पचास साल से विवाद का विषय बनी हुई है।

गतिरोध

मौजूदा नियंत्रण रेखा, भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 में हुए युद्ध के वक़्त जैसी मानी गई थी, क़रीब-क़रीब वैसी ही है। उस वक़्त कश्मीर के कई इलाकों में लड़ाई हुई थी। उत्तरी हिस्से में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को कारगिल शहर से पीछे और श्रीनगर से लेह राजमार्ग तक धकेल दिया था। 1965 में फिर युद्ध छिड़ा। लेकिन तब लड़ाई में बने गतिरोध की वजह से यथास्थिति 1971 तक बहाल रही। 1971 में एक बार फिर युद्ध हुआ।

1971 के युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान टूट कर बांग्लादेश बन गया। उस वक़्त कश्मीर में कई जगहों पर लड़ाई हुई और नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों ने एक-दूसरे की चौकियों पर नियंत्रण किया। भारत को करीब तीन सौ वर्ग मील ज़मीन मिली। यह नियंत्रण रेखा के उत्तरी हिस्से में लद्दाख इलाक़े में थी। 1972 के शिमला समझौते और शांति बातचीत के बात नियंत्रण रेखा दोबारा स्थापित हुई। दोनो पक्षों ने ये माना कि जब तक आपसी बातचीत से मसला न सुलझ जाए तब तक यथास्थिति बहाल रखी जाए। यह प्रक्रिया लंबी खिंची। फ़ील्ड कमांडरों ने पांच महीनों में करीब बीस नक्शे एक-दूसरे को दिए। आख़िरकार समझौता हुआ। इसके अलावा भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा राजस्थान, गुजरात और जम्मू से लगती है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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