भड़का रहे हैं आग -साहिर लुधियानवी
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भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम। |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सहर=शाम
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भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम। |
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